जामनेर

Submitted by admin on Mon, 02/22/2010 - 10:39
Author
जगदीश प्रसाद रावत

इस नदी का प्राचीन पौराणिक नाम जाम्बुला है। यह बेतवा की सहायक नदी है। जामनेर की सहायक नदी यमदृष्टा है। जो आजकल जमड़ार नाम से जानी जाती है। जमड़ार नदी टीकमगढ़ से 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित कुण्डेश्वर शिवतीर्थ से गुजरती है। कुण्डेश्वर इस क्षेत्र की आस्था का केन्द्र है जो समुद्र तल से 1255 फुट की ऊँचाई पर स्थित ‘शिवपुरी’ नाम से भी जाना जाता है।

जमड़ार नदी यहाँ एक कुण्ड बनाती है। शायद इसीलिए इसे कुण्डेश्वर कहा जाता है। यह कुण्ड जमड़ार नदी के किनारे स्थित एक ऊँची चट्टान से टकराकर गहरे कुण्ड में गिरता है, तथा आगे बढ़कर जामनेर नदी में अपनी अंतिम यात्रा को समाप्त करता है। कुण्डेश्वर मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती स्थल पर स्थित है। टीकमगढ़ और ललितपुर के मध्य स्थित यह स्थान मकर संक्रांति पर देखते ही बनता है। यहाँ संवत् 1201 में निर्मित प्राचीन शिवलिंग है। कुण्डेश्वर को ग्रामीण केड़ादेव भी कहकर पुकारते हैं। कुण्डेश्वर स्थित खैराई सघन वन के उस पार जामनेर नदी मिलती है। इस क्षेत्र के समीप उत्तरप्रदेश का ललितपुर जिला है।

जामनेर और जमड़ार सरिताओं के मध्य एक जमाने में खैराई सघन वन प्रांतर था। यहाँ भाँति-भाँति के वृक्षों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इस नदी के किनारे एवं आस-पास शिव विवाह बाग (बड़ा बगीचा), रानीबाग, बनारसी बाग, चौरिया बाग, सरदार सिंह स्मृति उद्यान, ऊषा विहार, परी घाट, संगम और अमरनाथ अतपपर पापट संग्रहालय हैं।