जामताड़ा। गुमरो, बोकापहाड़ी, गोलपहाड़ी और मालंचा समेत अन्य पहाड़ियों की श्रृंखला जामताड़ा जिले की पहचान थी। ये पहाड़ियां कभी पेड़-पौधे से आच्छादित थीं, लेकिन लोगों ने जरूरत के मुताबिक पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। इससे हरियाली नष्ट हो गई। अब पहाड़ी की चट्टानों का उत्खनन हो रहा है। जिससे दिनों दिन पहाड़ी का आकार छोटा होता रहा है।
पहाड़ को रोजगार से जोड़ दिया गया
केलाही, चन्द्रदीपा, गोलपहाड़ी व अन्य पहाड़ों पर लीज दिया गया है। विकास की अंधी दौड़ में उत्खनन बढ़ रहा है, जिससे पर्यावरण, लोक-जीवन, वन्य जीवन और मानव जीवन को भारी नुकसान पहुंच रहा है। दुष्परिणाम हमारे सामने है। यहां की पहाड़ी से रजिया नदी सहित कई अन्य जोरिया निकली हैं, जो लोगों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही हैं। यह नदी सालोंभर जीवंत रहती है। अब नदी की धारा कम होती जा रही है। जिसके कारण पहाड़ी पर मिलने वाले बेशकीमती औषधियां समाप्त हो रही हैं।
ऐतिहासिक है मालंचा पहाड़ी
नाला स्थित मालंचा पहाड़ स्थित मंदिर और इसके चारों ओर फैली हरियाली अपनी ओर खींचती है। पहाड़ की तराई मेंं मालंचा देवी का मंदिर भी है। पहाड़ की चोटी पर अंग्रेजी सिपाहियों के साथ लड़ी गई लड़ाई ऐतिहासिक थी। लड़ाई में रमना आहड़ी और कड़िया पुजहर की वीरता का गवाह यह क्षेत्र उपेक्षा से अब भी मुख्यधारा से अछूता है।