जहरीली हुईं गंगा- यमुना किनारे की सब्जियां

Submitted by Hindi on Mon, 05/30/2011 - 09:42
Source
दैनिक भास्कर, 30 मई 2011

नई दिल्ली/अगर आप बेहतर सेहत के लिए गंगा व यमुना तीरे पैदा होने वाले ताजे फल व सब्जियों को खा रहे हैं तो सावधान हो जाएं। आप गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। दरअसल, हरा व ताजा दिखने वाली इन सब्जियों व फलों में आर्सेनिक, फ्लोराइड व पारा जैसे खतरनाक तत्वों की अधिकता पाई जा रही हैं। कई तरह के औषधि गुणों वाले तुलसी का पौधा भी इन खतरनाक तत्वों के दायरे में आ चुका है।दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंस एंड रिसर्च (डिपसार) के प्रमुख डॉ. एसएस अग्रवाल ने बताया कि कॉलेज में विभिन्न तरह के अनुसंधान के लिए यमुना तीरे स्थित एक मंदिर (श्मशान घाट के समीप) के आसपास से तुलसी के कई पौधे मंगाए गए थे।

अस्थमा के मरीजों के लिए तुलसी के इस्तेमाल से दवा बनाने पर डिपसार में अध्ययन चल रहा है। अनुसंधान शुरू करने से पहले जब इन पौधों की जांच की गई तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। तुलसी के सभी पौधे पारा से गंभीर तरह से संक्रमित थे। इनमें संक्रमण का स्तर काफी ऊंचा था। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि यमुना के किनारे पैदा की जा रहीं सब्जियां व फल भी संक्रमित हो चुके होंगे। कृषि वैज्ञानिक डॉ. केके सिंह कहते हैं कि यमुना ही नहीं इंडो-गैंगटिक इलाकों से भी खतरनाक तत्वों के संक्रमण की बात सामने आ रही है। इस इलाके में आर्सेनिक, फ्लोराइड जैसे तत्वों के संक्रमण की खबर है।

पूर्वी दिल्ली में लोगों ने घरों में ही छोटी-छोटी फैक्टरियां खोल रखी हैं। चूंकि इन फैक्टरियों का पंजीकरण नहीं किया जाता है, इसलिए तय सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जाता है। दूसरी और इंडो-गैंगटिक प्लेन में काफी बड़े-बड़े कारखाने लगे हुए हैं। इनसे निकलने वाले अपशिष्ट में शामिल खतरनाक तत्व मिट्टी में मिल जाते हैं। जो जड़ के माध्यम से पूरे पौधे में फैल जाता है। डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि पौधों में मौजूद पारा अगर शरीर में प्रवेश कर जाए तो सेहत पर इसका दूरगामी असर पड़ता है। उनका कहना है कि पारा नष्ट नहीं होता है। शरीर में जमा होने लगता है। इसकी मात्रा बढ़ने पर ओवेरियन कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। खतरनाक विषैले तत्वों के संक्रमण को देखते हुए कृषि मंत्रालय इसके लिए एक गाइडलाइन तैयार कर रहा है।
 

इस खबर के स्रोत का लिंक: