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दैनिक भास्कर (करियर मंत्र), 28 अक्टूबर 2013
पहाड़ कैसे बनते हैं या ज्वालामुखी कैसे फटता है? डायनासोर कैसे विलुप्त हो गए? ग्लोबल वार्मिंग की वजहें क्या है या फिर धरती को कैसे बचाया जाए, अगर इस तरह के सवाल आपके मन उठते हैं तो जिओलॉजी आपके लिए बना हुआ विषय है।
जिओलॉजी विज्ञान की वह शाखा है जो धरती की संरचना, पदार्थ प्रक्रियाओं व संसाधनों का अध्ययन करती है। जिओलॉजी शारीरिक व मानसिक रूप से थका देने वाला विषय है। इस क्षेत्र में पहाड़ों की चोटी से लेकर समुद्र की गहराइयों, रेगिस्तान या खनन क्षेत्र के बीच कहीं भी आपको काम करना पड़ सकता है। प्रकृति के प्रति रुझान और जिज्ञासा इस विषय के लिए जरूरी है।
जिओलॉजिस्ट अप्लाइड साइंस का विस्तृत और विविधताओं भरा क्षेत्र है। जिओलॉजिकल साइंटिस्ट धरती के भौतिक गुणों को मापते हैं। पृथ्वी के इतिहास और उसमें हुई तब्दीलियों का अध्ययन करते हैं। पिछले मौसमों, वर्तमान ग्लोबल वार्मिंग और भविष्य के मौसम परिवर्तनों को समझने के लिए प्राकृतिक व मानव निर्मित आपदाओं जैसे ज्वालामुखी, भूकंप, तूफान, बाढ़, सुनामी का अध्ययन करते हैं मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनों (तेल, प्राकृतिक गैस, ईंधन, मैटल, मिनरल्स, ग्राउंड वॉटर) की खोज में इनका अहम योगदान होता है। रिसोर्स मैपिंग, रिमोट सेंसिंग, रिसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी व कम्प्यूटर सिम्यूलेशन में भी इनकी भूमिका अहम है। जिओलॉजिस्ट अपने स्पेशलाइज्ड नॉलेज, स्किल्स, रिसर्च व एनालिसिस को कई रूपों में इस्तेमाल करते हैं। पृथ्वी की व्यवस्था और व्यवहार (प्राकृतिक प्रक्रियाएं जैसे महाद्वीपों की गति, समुद्र स्तर में उतार-चढ़ाव, चट्टानों का निर्माण, ग्लेशियर आदि) की भविष्यवाणी में ये अपनी कुशलताओं का उपयोग करते हैं। पर्यावरण प्रभाव को सुनिश्चित करने, प्रकृति को बचाने और सेहतमंद इकोसिस्टम्स को बरकरार रखने में इनकी भूमिका होती है। वैश्विक जलवायु प्रतिमानों को समझने और मौसम की भविष्यवाणी करने का काम ये पेशेवर करते हैं। प्राकृतिक संसाधनों की खोज से लेकर उनका अधिकतम इस्तेमाल भी सुनिश्चित करते हैं। कृषि उत्पादकता को बरकरार रखते हैं। बांध, पुल, सुरंग, रेलवे लाइन सड़कें और भवन निर्माण के लिए उपयुक्त क्षेत्रों का पता लगाते हुए भूमि उपयोग की योजना तैयार करना इनकी जिम्मेदारी होता है। भूमि का सुरक्षित उपयोग भी ये सुनिश्चित करते हैं। दूषित भूमि व खनन क्षेत्रों के पुनर्वास का काम भी ये करते हैं।
जिओलॉजी काम के लिए विस्तृत अवसर उपलब्ध करवाती है। ये अवसर आपकी विशेषज्ञता पर आधारित होते हैं। इस क्षेत्र में स्ट्रक्चरल जिओलॉजिस्ट स्ट्रेटीग्राफर, जिओमॉर्फोलॉजिस्ट, पेट्रोलॉजिस्ट, जिओफिजिसिस्ट, जिओकेमिस्ट, ज्योग्राफर, जिओहाइड्रलॉजिस्ट, ओश्नोग्राफर, एटमॉसफियरिक साइंटिस्ट, इंजीनियरिंग जिओलॉजिस्ट, मीटिरिओलॉजिस्ट, मिनरेलॉजिस्ट, पेट्रोलियम जिओलॉजिस्ट, सॉइल साइंटिस्ट, सेडिमेंटोलॉजिस्ट, वोल्कैनोलॉजिस्ट, जिओक्रोनोलॉजिस्ट इत्यादि के रूप में आपके पास अवसरों का भंडार है। हरेक फील्ड समान रूप से रोचक, उत्साहजनक और फायदेमंद है। घटते प्राकृतिक संसाधनों, बढ़ती पर्यावरण चिंताओं और प्राकृतिक आपदाओं ने दुनिया भर में जिओलॉजिस्ट की मांग व लोकप्रियता बढ़ा दी है। रक्षा और अर्द्ध सैनिक बल जिओलॉजिस्ट की सेवाओं का उपयोग करते हैं। इसी तरह रेल मार्ग, पर्यावरण स्वच्छता के लिए काम करने वाली कंपनियां, अपशिष्ट नियंत्रण और निष्कासन व्यवसाय, स्टेट हाइवे डिपार्टमेंट, इम्पोर्ट/एक्सपोर्ट कंपनियां, टेक्निकल पब्लिशिंग कंपनियां बैंक और इन्वेस्टमेंट ग्रुप में भी रोजगार के अच्छे अवसर हैं। इसके अलावा कंसल्टिंग फर्म के रूप आप स्वयं का व्यवसाय स्थापित कर सकते हैं। सरकारी व निजी क्षेत्रों, एनजीओ और शिक्षा संस्थानों में इस विषय से जुड़े काफी अवसर उपलब्ध हैं। माइनिंग कंपनियां, गैस अन्वेषण कंपनियां, सीमेंट इंडस्ट्री नेचुरल रिसोर्स कंपनियां, एनवायरमेंटल कंसल्टिंग कंपनियां औरसिविल इंजीनियरिंग फर्म्स इस क्षेत्र से जुड़े मौके देती है। मुख्य नियोक्ताओं में जीएसआई, ओएनजीसी, कोल इंडिया, बीपीआरएल, जीएसपीसी, ऑइल इंडिया लिमिटेड, सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड, मिनरल एक्सप्लोरेशन ऑथोरिटी, हिंदुस्तान जिंक, एनएमडीसी, केयर्न इंडिया लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड एस्सार ऑइल लिमिटेड आदि शामिल हैं।
सामान्य तौर पर इस क्षेत्र में शुरुआती वेतन आकर्षक होता है। पे स्केल यहां नियोक्ता कंपनी के साथ-साथ आपकी डिग्री और स्पेशलाइजेशन पर निर्भर करता है। फ्रेशर 20-25,000 रुपए प्रतिमाह से शुरुआत कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियां एक लाख रुपए प्रतिमाह का वेतन भी देती है।
की पृष्ठभूमि इस विषय के लिए जरूरी है। विभिन्न कॉलेज अप्लाइड जिओलॉजी में बीएससी कोर्स करवाते हैं। आप अंतिम वर्ष में जिओलॉजी को आनर्स विषय के रूप में भी चुन सकते हैं। एमएससी जिओलॉजी के बाद जिओसाइंश के किसी एक विषय (स्ट्रक्चरल जिओलॉजी, मिनरेलॉजी, पेट्रोलॉजी, हाइड्रोलॉजी, ओशनोग्राफी, वोल्कैनोलॉजी , सेडिमेंटोलॉजी, मीटिओरोलॉजी, जिओमॉर्फोलॉजी, एटमॉसफियरिक साइंस, सॉइल साइंस, जिओलॉजिकल इंजिनियरिंग) मे स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। रिसर्च या टीचिंग के लिए एमफिल या पीएचडी जरूरी है।
आईआईटी. बॉम्बे
http://www.iitb.ac.in/
अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, चेन्नईhttp://annamalaiuniversity.ac.in/
ओस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
http://www.osmania.ac.in/
श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी, तिरुपति
http://svuniversity.ac.in/
इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
http://www.ismdhanbad.ac.in/
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी
http://www.bhu.ac.in/
जिओलॉजी विज्ञान की वह शाखा है जो धरती की संरचना, पदार्थ प्रक्रियाओं व संसाधनों का अध्ययन करती है। जिओलॉजी शारीरिक व मानसिक रूप से थका देने वाला विषय है। इस क्षेत्र में पहाड़ों की चोटी से लेकर समुद्र की गहराइयों, रेगिस्तान या खनन क्षेत्र के बीच कहीं भी आपको काम करना पड़ सकता है। प्रकृति के प्रति रुझान और जिज्ञासा इस विषय के लिए जरूरी है।
क्या करते हैं जिओलॉजिस्ट
जिओलॉजिस्ट अप्लाइड साइंस का विस्तृत और विविधताओं भरा क्षेत्र है। जिओलॉजिकल साइंटिस्ट धरती के भौतिक गुणों को मापते हैं। पृथ्वी के इतिहास और उसमें हुई तब्दीलियों का अध्ययन करते हैं। पिछले मौसमों, वर्तमान ग्लोबल वार्मिंग और भविष्य के मौसम परिवर्तनों को समझने के लिए प्राकृतिक व मानव निर्मित आपदाओं जैसे ज्वालामुखी, भूकंप, तूफान, बाढ़, सुनामी का अध्ययन करते हैं मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनों (तेल, प्राकृतिक गैस, ईंधन, मैटल, मिनरल्स, ग्राउंड वॉटर) की खोज में इनका अहम योगदान होता है। रिसोर्स मैपिंग, रिमोट सेंसिंग, रिसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी व कम्प्यूटर सिम्यूलेशन में भी इनकी भूमिका अहम है। जिओलॉजिस्ट अपने स्पेशलाइज्ड नॉलेज, स्किल्स, रिसर्च व एनालिसिस को कई रूपों में इस्तेमाल करते हैं। पृथ्वी की व्यवस्था और व्यवहार (प्राकृतिक प्रक्रियाएं जैसे महाद्वीपों की गति, समुद्र स्तर में उतार-चढ़ाव, चट्टानों का निर्माण, ग्लेशियर आदि) की भविष्यवाणी में ये अपनी कुशलताओं का उपयोग करते हैं। पर्यावरण प्रभाव को सुनिश्चित करने, प्रकृति को बचाने और सेहतमंद इकोसिस्टम्स को बरकरार रखने में इनकी भूमिका होती है। वैश्विक जलवायु प्रतिमानों को समझने और मौसम की भविष्यवाणी करने का काम ये पेशेवर करते हैं। प्राकृतिक संसाधनों की खोज से लेकर उनका अधिकतम इस्तेमाल भी सुनिश्चित करते हैं। कृषि उत्पादकता को बरकरार रखते हैं। बांध, पुल, सुरंग, रेलवे लाइन सड़कें और भवन निर्माण के लिए उपयुक्त क्षेत्रों का पता लगाते हुए भूमि उपयोग की योजना तैयार करना इनकी जिम्मेदारी होता है। भूमि का सुरक्षित उपयोग भी ये सुनिश्चित करते हैं। दूषित भूमि व खनन क्षेत्रों के पुनर्वास का काम भी ये करते हैं।
अवसर
जिओलॉजी काम के लिए विस्तृत अवसर उपलब्ध करवाती है। ये अवसर आपकी विशेषज्ञता पर आधारित होते हैं। इस क्षेत्र में स्ट्रक्चरल जिओलॉजिस्ट स्ट्रेटीग्राफर, जिओमॉर्फोलॉजिस्ट, पेट्रोलॉजिस्ट, जिओफिजिसिस्ट, जिओकेमिस्ट, ज्योग्राफर, जिओहाइड्रलॉजिस्ट, ओश्नोग्राफर, एटमॉसफियरिक साइंटिस्ट, इंजीनियरिंग जिओलॉजिस्ट, मीटिरिओलॉजिस्ट, मिनरेलॉजिस्ट, पेट्रोलियम जिओलॉजिस्ट, सॉइल साइंटिस्ट, सेडिमेंटोलॉजिस्ट, वोल्कैनोलॉजिस्ट, जिओक्रोनोलॉजिस्ट इत्यादि के रूप में आपके पास अवसरों का भंडार है। हरेक फील्ड समान रूप से रोचक, उत्साहजनक और फायदेमंद है। घटते प्राकृतिक संसाधनों, बढ़ती पर्यावरण चिंताओं और प्राकृतिक आपदाओं ने दुनिया भर में जिओलॉजिस्ट की मांग व लोकप्रियता बढ़ा दी है। रक्षा और अर्द्ध सैनिक बल जिओलॉजिस्ट की सेवाओं का उपयोग करते हैं। इसी तरह रेल मार्ग, पर्यावरण स्वच्छता के लिए काम करने वाली कंपनियां, अपशिष्ट नियंत्रण और निष्कासन व्यवसाय, स्टेट हाइवे डिपार्टमेंट, इम्पोर्ट/एक्सपोर्ट कंपनियां, टेक्निकल पब्लिशिंग कंपनियां बैंक और इन्वेस्टमेंट ग्रुप में भी रोजगार के अच्छे अवसर हैं। इसके अलावा कंसल्टिंग फर्म के रूप आप स्वयं का व्यवसाय स्थापित कर सकते हैं। सरकारी व निजी क्षेत्रों, एनजीओ और शिक्षा संस्थानों में इस विषय से जुड़े काफी अवसर उपलब्ध हैं। माइनिंग कंपनियां, गैस अन्वेषण कंपनियां, सीमेंट इंडस्ट्री नेचुरल रिसोर्स कंपनियां, एनवायरमेंटल कंसल्टिंग कंपनियां औरसिविल इंजीनियरिंग फर्म्स इस क्षेत्र से जुड़े मौके देती है। मुख्य नियोक्ताओं में जीएसआई, ओएनजीसी, कोल इंडिया, बीपीआरएल, जीएसपीसी, ऑइल इंडिया लिमिटेड, सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड, मिनरल एक्सप्लोरेशन ऑथोरिटी, हिंदुस्तान जिंक, एनएमडीसी, केयर्न इंडिया लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड एस्सार ऑइल लिमिटेड आदि शामिल हैं।
वेतन
सामान्य तौर पर इस क्षेत्र में शुरुआती वेतन आकर्षक होता है। पे स्केल यहां नियोक्ता कंपनी के साथ-साथ आपकी डिग्री और स्पेशलाइजेशन पर निर्भर करता है। फ्रेशर 20-25,000 रुपए प्रतिमाह से शुरुआत कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियां एक लाख रुपए प्रतिमाह का वेतन भी देती है।
योग्यता
की पृष्ठभूमि इस विषय के लिए जरूरी है। विभिन्न कॉलेज अप्लाइड जिओलॉजी में बीएससी कोर्स करवाते हैं। आप अंतिम वर्ष में जिओलॉजी को आनर्स विषय के रूप में भी चुन सकते हैं। एमएससी जिओलॉजी के बाद जिओसाइंश के किसी एक विषय (स्ट्रक्चरल जिओलॉजी, मिनरेलॉजी, पेट्रोलॉजी, हाइड्रोलॉजी, ओशनोग्राफी, वोल्कैनोलॉजी , सेडिमेंटोलॉजी, मीटिओरोलॉजी, जिओमॉर्फोलॉजी, एटमॉसफियरिक साइंस, सॉइल साइंस, जिओलॉजिकल इंजिनियरिंग) मे स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। रिसर्च या टीचिंग के लिए एमफिल या पीएचडी जरूरी है।
यहां से करें पढ़ाई
आईआईटी. बॉम्बे
http://www.iitb.ac.in/
अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, चेन्नईhttp://annamalaiuniversity.ac.in/
ओस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
http://www.osmania.ac.in/
श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी, तिरुपति
http://svuniversity.ac.in/
इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
http://www.ismdhanbad.ac.in/
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी
http://www.bhu.ac.in/