सिकुड़ती जलधाराओं को मिलेगा पुनर्जीवन

Submitted by Hindi on Tue, 08/30/2016 - 12:40
Source
दैनिक भास्कर, 28 अगस्त, 2016

उच्चतम न्यायालय की मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक में नदियों को अतिक्रमण से मुक्त करने की कार्ययोजना

देहरादून। मेकिंग ए डिफरेंस बाई बीइंग द डिफरेंट (मैड) ने उम्मीद जताई है कि दून की सिकुड़ती जलधाराओं को पुनर्जीवित करने के लिये शासन और प्रशासन की ओर से ठोस कदम उठाए जाएंगे।

मैड ने उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित की गई मॉनीटरिंग कमेटी की 95वीं मीटिंग के आधार पर यह उम्मीद जताई। आज दोपहर 12 बजे उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में मैड के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी ने बताया की उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित की गई कमेटी की 95वीं बैठक का आयोजन केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया गया था। इस बैठक में विशेष सचिव डॉ. नेगी ने मैड की ओर से रिस्पना बिंदाल पर हो रहे अतिक्रमण और उत्तराखण्ड सरकार के लय-विलय के बारे में विशेष सचिव को एक प्रस्तुति के माध्यम से अवगत कराया।

एफआईआई में हुई इस बैठक में जिलाधिकारी रविनाथ रमन मौजूद थे। उन्होंने यह स्पष्ट तौर पर कहा था कि नदियों पर हुए अतिक्रमण को वह राज्य के नए कानून के तहत जायज नहीं ठहराएंगे। मैड ने इसी बैठक में एमडीडीए के नियम-कायदों का हवाला देते हुए कहा कि वह भी देहरादून की नदियों के तटों पर केवल वृक्षारोपण की अनुमति देते हैं अतिक्रमण की नहीं। एमडीडीए का मास्टर प्लान भी रिस्पना को एक जल संवर्धन क्षेत्र चिन्हित करता है। बैठक में मौजूद एमडीडीए सचिव पीसी दुमका ने भी सहमति जताई थी। इसके अतिरिक्त मैड ने जिलाधिकारी द्वारा आयोजित की गई एक अन्य बैठक का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं नदियों के पुनर्जीवन को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया था। उस बैठक में भी मैड ने एक प्रस्तुति दी थी और देहरादून के सभी विधायक भी उपस्थित रहे थे। मैड के सदस्यों का मानना है कि नदियों के तट पर रह रहे लोगों को खुले में शौच जाना पड़ता है जिससे डेंगू का खतरा सबसे ज्यादा बना हुआ है। उसके ऊपर फ्लड प्लेन में रहने से उन्हें कभी भी जान-माल का नुकसान हो सकता है इसलिये उन्होंने सरकार से माँग की है कि एनजीटी के आदेशों का पालन करते हुए एक ठोस पुनर्वास नीति बनाई जानी चाहिए। पत्रकार वार्ता में मुख्य रूप से शार्दूल राणा, आशा भाटिया, करन कपूर आदि मौजूद थे।