लाॅकडाउन के कारण पर्यावरण की दृष्टि ऐसे सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे है, जो सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करने बाद भी कभी देखे नहीं गए थे। लाॅकडाउन से न केवल जल और ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगी है, बल्कि वायु प्रदूषण भी काफी हद तक कम हुआ है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में वायु प्रदूषण में 75 प्रतिशत तक की कमी आई है। जिससे पर्यावरणविद काफी खुश भी नजर आ रहे हैं।
अभी तक ये सवाल उठ रहे थे कि लाॅकडाउन के कारण दुनिया भर में वायु प्रदूषण घट रहा है। देश की राजधानी दिल्ली में भी वायु प्रदूषण न्यनूतम स्तर पर पहुंच गया है, तो वहीं पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी वायु प्रदूषण काफी कम हुआ है, लेकिन लाॅकडाउन के दौरान प्रदेश में प्रदूषण के स्तर को जांचने के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। ऐसे में सोमवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने रायपुर, आईएसबीटी और घंटाघर में प्रदूषण के स्तर की जांच की। इन स्थानों पर प्रदूषण का स्तर इतना कम मिला जिसकी शायद ही पहले किसी ने कल्पना की होगी। प्रदूषण के पीएम 10 और पीएम 2.5 जैसे तत्व न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए हैं। इनमें 50 से 75 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है।
क्षेत्रीय अधिकारी अमित पोखरियाल का कहना है कि पीएम 10 की मात्रा जहां घंटा घर पर औसत 150 से 250 तक रहती थी, वह सोमवार को 76.01 रही। यहां एसओटू भी 26 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के औसत स्तर से घटकर 6.95 रह गया है। एनओटू की मात्रा जहां औसत 30 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर रहती थी, वह अब सिर्फ 8.05 रह गई है।
ये है स्थिति
दैनिक जारगण में प्रकाशित आंकड़ें बताते हैं कि घंटाघर में पीएम 10 की मात्रा 76.01 है, जो आमतौर पर 150 से 250 तक रहती थी। एसओटू 6.95 है, ये आमतौर पर 26 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर, एनओटू 8.05 है, जो पहले 25 से 30 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर रहता था। रायपुर में पीएम-10 72.58 है, जो पहले 250 से 300 तक रहता था। तो वहीं पीएम-2.5 का स्तर 33.29 है, जो आमतौर पर 150 तक रहता था। एसओटू का लेवल 5.73 है, जो पहले 25 से 26 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर तक था। एनओटू भी 6.90 हैै, तो आमतौर पर 25 से 30 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर तक रहता था। आईएसबीटी में पीएम 10 का स्तर 67 है, इससे पहले तक ये 250 से 300 तक रहता था। यहां पीएम 2.5 का लेवल 23 है, जो पहले 47 तक होता था। एसओटू का लेवल 8.30 है, इससे पहले ये 25 से 26 तक था। एनओटू 11.14 है, जो पहले आमतौर पर 25 से 30 तक रहता था।
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