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राजस्थान पत्रिका, 18 अप्रैल 2016
आर्थिक सर्वेक्षण : पाँच साल में 238 वर्ग किमी वनक्षेत्र घटा
जल, जंगल और जमीन की बात करने वाली भाजपा सरकार के राज में पाँच साल में 238 वर्ग किमी जंगल क्षेत्र कम हो गया है। ऐसा लगातार कम होती बारिश और बढ़ते शहरीकरण के कारण हुआ है। यही नहीं बंजर भूमि का दायरा भी बढ़ गया है। नतीजा ये कि प्रदेश भीषण जलसंकट की चपेट में है। सरकार के नए आर्थिक सर्वेक्षण 2016 के मुताबिक प्रदेश में जंगल तेजी से घटे हैं। वर्ष 2011 में 77700 वर्ग किमी में जंगल था, जो 2015 में घटकर 77462 वर्ग किमी रह गया। पहले 2013 में जंगल क्षेत्र 178 वर्ग किमी घटा पर सरकार नहीं चेती। इसलिये 2015 तक 238 वर्ग किमी जंगल कम हो गया। जिस समय कान्हा-पेंच में एक के बाद एक बाघों की मौत हो रही है, तब जंगल पर छाये इस खतरे का खुलासा सरकार के लिए चिन्ता पैदा कर रहा है।
बंजर भूमि भी बढ़ गई
सरकार सिंचित क्षेत्र बढ़ने और उत्पादन बढ़ने के दावे करती है, लेकिन इसके उलट प्रदेश में बंजर भूमि बढ़ गई है। सरकार इस भूमि को कृषि योग्य बंजर भूमि मानती है। यानी बंजर भूमि पर विशेष प्रयास करने पर कृषि हो सकती है। यह जमीन 2009-10 में 3.7 प्रतिशत थी, जो 2015 में बढ़कर 4 प्रतिशत हो गई।
यूँ कम हुआ जंगल
वर्ष | क्षेत्रफल |
2001 | 77265 |
2003 | 76429 |
2005 | 76013 |
2009 | 77700 |
2011 | 77700 |
2013 | 77522 |
2015 | 77462 |
ऐसे घटी बारिश
वर्ष | इतनी बारिश | इतनी कम |
2004-05 | 866.6 | 265.4 |
2009-10 | 734.0 | 398.0 |
2010-11 | 842.04 | 289.9 |
2011-12 | 1132 | 0.00 |
2012-13 | 1001 | 131.0 |
2013-14 | 1203 | 71.6 ज्यादा |
2014-15 | 733.4 | 398.6 |
2015-16 | 804.3 | 328.7 |
ये हैं मुख्य वजह
1. शहरीकरण की रफ्तार तेज होना।
2. कृषि भूमि पर कॉलोनियाँ कटना।
3. लगातार बारिश में कमी आते जाना।
4. राजनीतिज्ञ-अफसरशाही की उदासीनता।
5. अदूरदर्शी नीति व विसंगतियाँ।
6. सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार।
7. बाघ-जंगली जानवरों का शिकार।
8. जंगलों में अवैध कटाई-तस्करी।
जमीन का स्थिति
50 प्रतिशत बोया गया क्षेत्र
03 प्रतिशत पड़त की भूमि
04 प्रतिशत बंजर कृषि योग्य
04 प्रतिशत गैर कृषि भूमि
11 प्रतिशत भूमि कृषि योग्य
28 फीसदी वन क्षेत्र
स्रोतः कृषिःआर्थिक सर्वेक्षण 2016
जंगल कटने से जलसंकट छाया
जंगल कटने से पानी के जमीन में रिसने की बजाय बहने में बढ़ोत्तरी हुई। इससे भूजल स्तर घटा है। पेड़ों के कम होने से बारिश पर भी असर हुआ है।
विकास की कीमत समझना जरूरी
जिस तरह बेतरतीब तरीके से विकास किया जा रहा है उसका खामियाजा जल, जंगल और जमीन को भुगतना पड़ रहा है। यह आने वाले समय में हमारे लिये नुकसानदायक होगा। जंगल का कम होना बेहद चिन्ताजनक है। मध्य प्रदेश जंगल के लिये पहचाना जाता है। लगातार बारिश घटी है। हमें सन्तुलित विकास करना चाहिए। इसके लिये दीर्घकालीन योजना बनाने की जरूरत है... शोभित शास्त्री, विशेषज्ञ, वन-पर्यावरण व सामाजिक क्षेत्र