जल संचयन के लिये ‘वॉटर क्रेडिट’ पर जोर

Submitted by Hindi on Fri, 10/01/2010 - 09:42
Source
अमर उजाला कॉम्पैक्ट, 19 सितंबर 2010
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री पवन बंसल ने कहा कि स्वच्छ पर्यावरण अनुकूल तकनीक अपनाने के लिये जिस तरह कार्बन क्रेडिट की सुविधा शुरू की गई है उसी तरह जल संसाधन की सुरक्षा के लिये ‘वाटर क्रेडिट’ की सुविधा भी दी जानी चाहिये। जल संरक्षण और प्रबंधन पर यहां पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल द्ववारा आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुये बंसल ने कहा कार्बन क्रेडिट की तरह उद्योगों को जल संरक्षण और प्रबंधन के मामले में भी वाटर क्रेडिट मिलना चाहिये। उन्होंने कहा कि देश में जल उपयोग में कुशलता मात्र 40 प्रतिशत है जबकि अन्य देशों में यह 60 प्रतिशत तक है।

उन्होंने कहा कि बदलती जीवन शैली और आदतों से जल संसाधनों पर काफी दबाव है। इसलिये पानी की बचत, उसके शोधन और संचयन को राष्ट्रीय अभियान बनाने की जरूरत है। संघ शासित प्रदेश चंडीगढ़ के वित्त सचिव संजय कुमार ने इस मामले में सामुदायिक भूमिका पर जोर देते हुये कहा कि यह विडंबना है कि पृथ्वी का दो तिहाई हिस्सा पानी से भरा है लेकिन फिर भी हमें पानी के संरक्षण और प्रबंधन पर बात करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि छोटे छोटे उपायों के जरिये जैसे जल संचयन, भूमिगत जल की रिचार्जिंग, पानी की बर्बादी को कम करके जल संरक्षण की दिशा में काफी काम हो सकता है।

केंट आरओ सिस्टम के सीएमडी महेश गुप्ता ने इस मौके पर कहा कि पानी की गुणवत्ता में सुधार लाकर कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि पृथ्वी का दो तिहाई हिस्सा पानी है, लेकिन इसमें से ज्यादा हिस्सा पीने लायक नही है यहां तक कि भूमिगत जल भी कई तरह के खनिज तत्वों से दूषित हो चुका है।