जलभराव पर समीक्षा बैठक

Submitted by birendrakrgupta on Wed, 08/13/2014 - 18:06
Source
कल्पतरु एक्सप्रेस, 13 अगस्त 2014
आखिर मौसम विभाग की तथाकथित भविष्यवाणियों को धता बताकर मानसून आ ही गया। शहर में निचली बस्तियों में पानी का जमाव होने से शासकीय सभागार में ‘समीक्षा बैठक’ आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता सरकार के प्रभारी मंत्री स्वयं करने वाले हैं। प्रोटोकॉल के अनुसार सरकारी अमला, मीडियाकर्मी, स्वयंसेवी संस्थाओं आदि के प्रतिनिधि, पुलिस के आला अधिकारी तथा प्रबुद्ध जन बैठक में शिरकत करने वाले हैं। बैठक का समय सरकारी कायदों के अनुसार 11 बजे का निर्धारित है। व्यवस्थापन करने वाले बाबू तथा भृत्य गण अपनी-अपनी हैसियत के अनुसार कक्ष की व्यवस्था संभाल रहे हैं।

मंत्री- ये जलभराव का क्या मामला है इसे बारिश आने से पहले ही क्यों नहीं देखा गया? मुझे संबंधित अधिकारियों तथा विभागों के नाम तुरंत फैक्स करवाइये।निर्धारित समयानुसार आमंत्रितों का आगमन प्रारम्भ हो चुका है। मुख्य द्वार पर बैठा अति क्रियाशील अधिकारी जिसने सफारी धारण की हुई है, आगंतुकों का स्वागत कर उन्हें निर्धारित स्थान पर बैठने हेतु निर्देशित कर रहा है। लगभग 12 बजे प्रभारी मंत्री जी के कक्ष में प्रवेश के साथ ही कुर्सियों पर बैठे माननीयों ने प्रोटोकॉल के चलते खड़े होकर उनका अभिवादन किया। स्वागत की औपचारिक रस्म अदायगी पश्चात मंत्री जी ने बैठक शुरू करने के निर्देश दिए। सर्वप्रथम एक वरिष्ठ अधिकारी ने बैठक का एजेंडा प्रस्तुत करते हुए शहर में मुख्य मार्गों तथा बस्तियों में हो रहे जल जमाव तथा उसके दुष्परिणामों पर अति संक्षेप में जानकारियां दीं।

मंत्री- ये जलभराव का क्या मामला है इसे बारिश आने से पहले ही क्यों नहीं देखा गया? मुझे संबंधित अधिकारियों तथा विभागों के नाम तुरंत फैक्स करवाइये।

अधिकारी- महोदय, पूर्व तैयारी के लिए निर्देशानुसार सभी संबंधित विभागों को सर्कुलर भेज दिए थे। सभी प्रतिलिपियां मैं आपको प्रेषित करवाता हूं।

मीडियाकर्मी- शहर में चारों ओर जल भराव हो रहा है। बीमारियां अपने पैर पसार रही हैं। चार दिनों से हमने लोकल चैनल पर लगातार कवरेज दिखाई है। मंत्री ने जिस सामुदायिक भवन का लोकार्पण किया था वहां तक तो अब नाव से भी नहीं पंहुचा जा सकता है।

मंत्री- मीडिया के मित्र सहयोग करें। मुझे उस सामुदायिक भवन वाली वीडियो भेज दें। मैं पर्सनली उसे देखता हूं। मंत्री ने मिनरल बोतल को खोला और बोले- ये नल के पानी में गंदे पानी के मिल जाने की समस्या का भी बहुत हो-हल्ला हो रहा है?

स्वयंसेवी- हमारे कार्यकर्ता बस्तियों में जन-जागरूकता का प्रसार कर रहे हैं, लेकिन बजट की कमी होने से हम अंतिम छोर के व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाते हैं।

मंत्री- ये जलभराव पर कार्य कर रही स्वयंसेवी संस्थाओं की सूची भेजो। इनके बजट में क्या बढ़ोतरी हो सकती है? अरे भाई मानसून का बजट यदि मानसून के रहते खर्च नहीं हुआ तो लेप्स हो जाएगा। विपक्ष इस पर भी टांग खींचेगा। बैठक के बाद सर्वसम्मति से आगामी कार्यवाही का रोड मैप तैयार हुआ

समीक्षा बैठक अब प्रत्येक माह की 10 तारीख को आयोजित होगी। जलभराव क्षेत्रों में दौरा करने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित होगी, जो 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट मंत्री जी को देगी। स्वयंसेवी संस्थाओं के बजट बढ़ोतरी का मुद्दा प्राथमिकता से देखा जाएगा, सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को निचली बस्तियों में नियमित मॉनिटरिंग हेतु सर्कुलर भेजे जाएंगे। अंत में राष्ट्रगान और बैठक का समापन।