उत्तर में हिमालय पर्वत की विशाल पर्वतमालाओं और उनके वुजारोधों तथा दक्षिण में महासागर की मौजूदगी भारत की जलवायु पर सक्रिय दो प्रमुख प्रभाव हैं। पहला प्रभाव केन्द्रीय एशिया से आने वाले शीत बयारों के प्रभाव को अवेद्य रूप से रोकता है और इस उप-महाद्वीप को उष्णकटिबन्धीय प्रकार की जलवायु के तत्व प्रदान करता है। दूसरा प्रभाव भारत पहुचंने वाली शीतल नमी-धारक बयारों का स्रोत है और वह महासागरीय प्रकृति की जलवायु के तत्व उपलब्ध कराता है।
भारत की जलवायु में अत्यधिक विविधता और कोटियां हैं और यहां तक कि वैविध्यपूर्ण जलवायु स्थितियां कहीं अधिक संख्या में है। यहां की जलवायु महाद्वीपी से लेकर समुद्री, अत्यधिक गर्मी से लेकर अत्यधिक ठण्डी, अत्यधिक सूखे और नाममात्र की वर्षा से लेकर अत्यधिक नमी और भीषण वर्षा तक की विविधताएं लिए रहती है। इसलिए किसी विशेष प्रकार की जलवायु की मौजूदगी को लेकर किसी भी प्रकार के सामान्यीकरण से बचना जरूरी है। जलवायु स्थितियां देश में जल संसाधनों के प्रयोग को बहुत सीमा तक प्रभावित करती हैं।
भारत की जलवायु में अत्यधिक विविधता और कोटियां हैं और यहां तक कि वैविध्यपूर्ण जलवायु स्थितियां कहीं अधिक संख्या में है। यहां की जलवायु महाद्वीपी से लेकर समुद्री, अत्यधिक गर्मी से लेकर अत्यधिक ठण्डी, अत्यधिक सूखे और नाममात्र की वर्षा से लेकर अत्यधिक नमी और भीषण वर्षा तक की विविधताएं लिए रहती है। इसलिए किसी विशेष प्रकार की जलवायु की मौजूदगी को लेकर किसी भी प्रकार के सामान्यीकरण से बचना जरूरी है। जलवायु स्थितियां देश में जल संसाधनों के प्रयोग को बहुत सीमा तक प्रभावित करती हैं।