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नई दुनिया, 31 जुलाई 2011
कर्नाटक के लोकायुक्त एन संतोष हेगड़े ने पूरे देश में एक नए घोटाला नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। कर्नाटक में अवैध खनन में राजनीतिज्ञों, अधिकारियों और व्यापारियों की मिलीभगत बताने वाली उनकी हजारों पन्नों की रिपोर्ट से पता चलता है कि यह पूरे देश की कहानी है। खनन का यह अवैध कारोबार अभी तक इस रूप में लोगों के सामने नहीं आया था। इसे सिर्फ कर्नाटक के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। यह हर उस राज्य का किस्सा है जहां कि जमीन में अयस्क भरे पड़े हैं। घोटाला करने वाले राजनेता जमीन की कोख लूटने में लग गए हैं। देश में 89 तरह के मिनरल्स के रूप में लगभग 10 हजार लाख करोड़ रुपए कि भू-सम्पदा है। इसका बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जा रहा है। इस काम में एक लाख से अधिक लोग लगे हैं। जबकि, देशभर में करीब दो सौ लोगों को ही खनन की इजाजत मिली है। यही देश में बढ़ते कालेधन का सबसे बड़ा स्रोत है।
जस्टिस हेगड़े ने राज्य में अवैध खनन से जुड़े रेड्डी-बंधुओं के खिलाफ जांच में पाया था कि बिलिकेरे बंदरगाह से 35 लाख टन लौह अयस्क गायब कर दिया गया। यह लौह अयस्क बेल्लारी की खानों से निकाला गया, उसे करीब 400-500 ट्रकों के जरिए बिलिकेरे बंदरगाह भेजा गया। वहां से यह अयस्क कहां चला गया, किसी को नहीं पता। मोटे तौर पर इसकी कीमत का अंदाजा इस तरह लगाया जा सकता है। माना जाए कि लौह अयस्क की अंतर्राष्ट्रीय कीमत लगभग 145 डॉलर प्रति टन है। यदि इसे हम 130 डॉलर भी मानें और इसमें से 30 डॉलर प्रति टन परिवहन और अन्य खर्चों के तौर पर घटा भी दें तब भी 35 लाख टन का मूल्य हुआ 35 करोड़ डॉलर। 45 रुपए प्रति डॉलर के हिसाब से भारतीय मुद्रा में यह रकम 1575 करोड़ रुपए होती है। विधानसभा में मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने स्वीकार किया था कि सन् 2007 में (जब भाजपा सत्ता में नहीं थी) 47 लाख टन लौह अयस्क का अवैध खनन और तस्करी हुई थी।
अवैध खनन का राज सामने आया 2007 के बाद जब एक ईमानदार वन अधिकारी आर गोकुल ने कर्नाटक के बिलिकेरे बंदरगाह पर 8 लाख टन लौह अयस्क अवैध रूप से पड़ा देखा उन्होंने तत्काल विभिन्न कंपनियों और रेड्डी बंधुओं पर केस दर्ज कर दिया। इसका खामियाज गोकुल को भुगतना पड़ा और बताया जाता है कि रेड्डी बंधुओं के खास कहे जाने वाले तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जे कृष्णा पालेमर ने गोकुल को निलंबित कर दिया।
लोकायुक्त हेगड़े ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि गोवा, विशाखापत्तनम और रामेश्वरम बंदरगाह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते, इसलिए वहां की जांच का जिम्मा संबंधित राज्य सरकारों का है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि समुद्र तट से मीलों दूर अवैध खदानों में अवैध खनन हो रहा है। खदान से बंदरगाह तक पहुंचने के बीच कम से कम 7 जगह प्रमुख चेक-पोस्ट हैं, लेकिन किसी भी चेकपोस्ट पर लौह अयस्क ले जा रहे एक भी ट्रक की एंट्री नहीं है। ऐसा तभी संभव है, जब पूरी मशीनरी भ्रष्टाचार में लिप्त हो।
देश में अवैध खनन की समस्या से निपटने के लिए सरकार के पास खदानों से मिलने वाले खनिजों का मूल्य निर्धारित करने के लिए कोई कानूनी तंत्र नहीं है। खदानों के संबंध में सरकार के पास निगरानी और मंजूरी देने का तंत्र तो है, लेकिन खनन से प्राप्त होने वाले खनिज का मूल्य तय करने के लिए कोई तंत्र नहीं है। इसके कारण भी अवैध खनन की गतिविधियां जोरों पर हैं। निजी कंपनियां खनिजों का कम मूल्य सरकार को देती हैं, जबकि उन्हें ऊंचे दामों पर विदेशों में बेचकर बड़ा मुनाफा कमाती हैं।
35 लाख टन लौह अयस्क गायब
जस्टिस हेगड़े ने राज्य में अवैध खनन से जुड़े रेड्डी-बंधुओं के खिलाफ जांच में पाया था कि बिलिकेरे बंदरगाह से 35 लाख टन लौह अयस्क गायब कर दिया गया। यह लौह अयस्क बेल्लारी की खानों से निकाला गया, उसे करीब 400-500 ट्रकों के जरिए बिलिकेरे बंदरगाह भेजा गया। वहां से यह अयस्क कहां चला गया, किसी को नहीं पता। मोटे तौर पर इसकी कीमत का अंदाजा इस तरह लगाया जा सकता है। माना जाए कि लौह अयस्क की अंतर्राष्ट्रीय कीमत लगभग 145 डॉलर प्रति टन है। यदि इसे हम 130 डॉलर भी मानें और इसमें से 30 डॉलर प्रति टन परिवहन और अन्य खर्चों के तौर पर घटा भी दें तब भी 35 लाख टन का मूल्य हुआ 35 करोड़ डॉलर। 45 रुपए प्रति डॉलर के हिसाब से भारतीय मुद्रा में यह रकम 1575 करोड़ रुपए होती है। विधानसभा में मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने स्वीकार किया था कि सन् 2007 में (जब भाजपा सत्ता में नहीं थी) 47 लाख टन लौह अयस्क का अवैध खनन और तस्करी हुई थी।
कैसे खुला मामला
अवैध खनन का राज सामने आया 2007 के बाद जब एक ईमानदार वन अधिकारी आर गोकुल ने कर्नाटक के बिलिकेरे बंदरगाह पर 8 लाख टन लौह अयस्क अवैध रूप से पड़ा देखा उन्होंने तत्काल विभिन्न कंपनियों और रेड्डी बंधुओं पर केस दर्ज कर दिया। इसका खामियाज गोकुल को भुगतना पड़ा और बताया जाता है कि रेड्डी बंधुओं के खास कहे जाने वाले तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जे कृष्णा पालेमर ने गोकुल को निलंबित कर दिया।
किसी चेक-पोस्ट पर एंट्री नहीं
लोकायुक्त हेगड़े ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि गोवा, विशाखापत्तनम और रामेश्वरम बंदरगाह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते, इसलिए वहां की जांच का जिम्मा संबंधित राज्य सरकारों का है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि समुद्र तट से मीलों दूर अवैध खदानों में अवैध खनन हो रहा है। खदान से बंदरगाह तक पहुंचने के बीच कम से कम 7 जगह प्रमुख चेक-पोस्ट हैं, लेकिन किसी भी चेकपोस्ट पर लौह अयस्क ले जा रहे एक भी ट्रक की एंट्री नहीं है। ऐसा तभी संभव है, जब पूरी मशीनरी भ्रष्टाचार में लिप्त हो।
खनिज का मूल्य तय करने का तंत्र नहीं
देश में अवैध खनन की समस्या से निपटने के लिए सरकार के पास खदानों से मिलने वाले खनिजों का मूल्य निर्धारित करने के लिए कोई कानूनी तंत्र नहीं है। खदानों के संबंध में सरकार के पास निगरानी और मंजूरी देने का तंत्र तो है, लेकिन खनन से प्राप्त होने वाले खनिज का मूल्य तय करने के लिए कोई तंत्र नहीं है। इसके कारण भी अवैध खनन की गतिविधियां जोरों पर हैं। निजी कंपनियां खनिजों का कम मूल्य सरकार को देती हैं, जबकि उन्हें ऊंचे दामों पर विदेशों में बेचकर बड़ा मुनाफा कमाती हैं।
कर्नाटक में अवैध लौह अयस्क के निर्यात का खेल
वर्ष | 2003-04 |
अनुमति | 25,27,001 |
निर्यात | 45,76,964 |
वर्ष | 2004-05 |
अनुमति | 64,51,665 |
निर्यात | 1,16,91,183 |
वर्ष | 2005-06 |
अनुमति | 92,99,600 |
निर्यात | 1,14,71,092 |
वर्ष | 2006-07 |
अनुमति | 60,55,833 |
निर्यात | 1,08,00,478 |
वर्ष | 2007-08 |
अनुमति | 98,73,490 |
निर्यात | 1,47,34,538 |
वर्ष | 2008-09 |
अनुमति | 60,71,482 |
निर्यात | 1,31,99,419 |
(निर्यात के आंकड़े लाख टन में) |