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इसके पिछले साल उत्तरी कर्नाटक में भीषण सूखा पड़ा था। तब बागलकोट, बीजापुर आदि जिलों में अभी तक का सबसे बड़ा जल-संकट सामने आया था। अलमत्ती बांध में जहां 45.691 टीएमसी पानी होता है, सूखे के समय महज 22.737 टीएमसी रह गया था। असल में इस तरह के जल संकट बीते एक दशक में राज्य की स्थाई समस्या बन गए हैं।

जरा देखें , किस तरह तालाब उजड़ने से कर्नाटक का नूर फीका हो गया, साथ ही जागरूक समाज ने अपनी परंपराओं को संवारने का जब बीड़ा उठाया तो कैसे तेजी से तस्वीर बदली। सेंटर फार लेक कंजरवेशन, इनवायरमेंट एंड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट(ईएमपीआरआई) के एक शोध के मुताबिक बंगलूरू शहर की मौजूदा 81 झीलों में से नौ बुरी तरह दूषित हो गई हैं, 22 के प्रदूषण को अभी ठीक किया जा सकता है और 50 अभी ज्यादा खराब नहीं हुई हैं।