जो न बरसे पुनर्वसु स्वाती

Submitted by Hindi on Thu, 03/18/2010 - 11:53
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घाघ और भड्डरी

जो न बरसे पुनर्वसु स्वाती।
चरखा चले न बोले ताँती।


भावार्थ- यदि पुनर्वसु और स्वाति नक्षत्र में वर्षा नहीं हुई तो न चरखा चल पायेगा और नही ताँत बजेगी अर्थात् रुई धुनी नहीं जाएगी क्योंकि कपास की फसल नष्ट हो जायेगी।