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सर्वोदय प्रेस सर्विस, 29 जनवरी, 2016
राजस्थान में जन अधिकारों को लेकर प्रशासन व शासक को आगाह करने के उद्देश्य से निकाली जा रही सौ दिवसीय ‘जवाबदेही यात्रा’ पर किया गया हमला साफ दर्शा रहा है कि राजस्थान सरकार और तमाम भ्रष्ट राजनीतिज्ञ जनता से आँख मिलाने से डर रहे हैं और इस तरह की कायराना हरकत पर उतर आए हैं।
लोकतंत्र की सफलता के लिये जरूरी है कि सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में प्रशासनिक जानकारी एकत्र की जाए और इनसे जुड़ी समस्याओं को जनसंगठन प्रशासन तक पहुँचाए। इसके साथ ही कार्यक्रमों को बेहतर बनाने के सुझावों को भी व्यापक जन विमर्श से सरकार तक पहुँचाया जाए। परन्तु प्रशासन का सहयोग बनाए रखते हुए ऐसी भूमिका निभाने के प्रयास पर भी राजनीतिक दृष्टि से शक्तिशाली व्यक्ति हमले करवाने लगें तो फिर जमीनी स्तर पर लोगों की समस्याएँ दूर करने की जिम्मेदारी कौन निभाएगा? राजस्थान में आज यह सवाल बार-बार उठ रहा है क्योंकि इस तरह की महत्त्वपूर्ण लोकतांत्रिक भूमिका निभाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को ही मार-पीट कर घायल कर देने की घटना से लोग स्तब्ध हैं।16 जनवरी 2015 राजस्थान के झालावाड़ जिले के अकलेरा कस्बे में जवाबदेही यात्रा के कार्यकर्ताओं पर असामाजिक तत्वों ने दो बार लाठियों से हमला किया। इसमें महिलाओं सहित 12 से अधिक कार्यकर्ता घायल हुए व उनके वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया। साथ गए एक फिल्म निर्माता का कैमरा भी क्षतिग्रस्त किया गया। इस हमले की जिम्मेदारी के संदर्भ में एक ऐसे स्थानीय विधायक पर व्यापक स्तर पर आरोप लगे हैं जिस पर पहले ही कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।
‘सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान, राजस्थान’ द्वारा प्रवर्तित सौ दिवसीय जवाबदेही यात्रा 1 दिसम्बर को आरम्भ हुई व इसकी समाप्ति 10 मार्च को होनी है। इस यात्रा के अंतर्गत सामाजिक कार्यकर्ता व देश के अनेक भागों से आए प्रशिक्षार्थी छात्र विभिन्न गाँवों व बस्तियों में जाकर गाँववासियों की विभिन्न समस्याओं व शिकायतों को सुनते हैं व दर्ज करते हैं। इसी के साथ लगभग सभी जिलों में जन सुनवाइयों का आयोजन भी किया जा रहा है। इस अभियान के अन्तर्गत अभी तक लोगों की हजारों शिकायतों को दर्ज कर प्रशासन तक पहुँचाया व ‘सम्पर्क पोर्टल’ पर दर्ज करवाया गया है। सूचना, रोजगार, शिक्षा व खाद्य सुरक्षा के अधिकारों का संदेश दूर-दूर के गाँवों में पहुँचाया गया है। इसके साथ क्रियान्वयन में टिकाऊ सुधार के लिये नए जवाबदेही कानून की मांग भी की गई है। प्रत्येक जिले में जिला अधिकारियों से भी जवाबदेही यात्रा के कार्यकर्ता संवाद करते हैं।
‘सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान’ जिसे संक्षेप में एस.आर. अभियान भी कहा जाता है, की इस यात्रा को राज्य के लगभग 90 जनसंगठनों का समर्थन प्राप्त है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय स्तर पर भी अनेक बुद्धिजीवियों और जनसंगठनों ने इस यात्रा के प्रति समर्थन व्यक्त किया है व इस प्रयास की सराहना की है। विभिन्न कार्यक्रमों व कानूनों (विशेषकर खाद्य सुरक्षा व ग्रामीण रोजगार) की सही जमीनी स्थिति जानने में इस यात्रा से बहुत सहायता मिली है। राष्ट्रीय स्तर के कई जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता जैसे अरुणा राय व निखिल डे बहुत नजदीकी से इस यात्रा से जुड़े रहे हैं।
जवाबदेही यात्रा पर हुए हमले में शंकर सिंह जैसे कई जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता घायल हुए हैं जिनमें से अनेक मजदूर किसान शक्ति संगठन से जुड़े रहे हैं। इस संगठन ने कई वर्षों से प्रशासन की जवाबदेही सुनिश्चित करने का कार्य कई मंचों से किया है।
इस तरह के लोकतांत्रिक प्रयासों पर हो रहे हमलों का बहुत व्यापक स्तर पर विरोध होना चाहिए। ऐसे हमले या उसके नियोजन से जुड़े सभी व्यक्तियों के विरुद्ध असरदार कार्यवाही होनी चाहिए, फिर चाहे वे कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों। जवाबदेही यात्रा के आगे के अभियान को सुरक्षित बनाने के लिये प्रशासन को समुचित व्यवस्था करनी चाहिए।
अकलेरा में हुए हमले से पहले भी ऐसी कई घटनाएँ हुई हैं जिनसे सामाजिक संगठनों व कार्यकर्ताओं के प्रति सरकार की बढ़ती संवेदनहीनता का संकेत मिलता है। यह लोकतंत्र के लिये ऐसा बढ़ता हुआ खतरा है जिसके प्रति सभी नागरिकों को अधिक सचेत होना चाहिए।
जवाबदेही अभियान ने प्रशासन को निरंतर संपर्क में रखते हुए संवेदनशील बनाने का ही प्रयास किया है। यदि ऐसे जनअभियान पर भी क्रूर हमला किया जाता है तो इसका अर्थ है कि सरकार अब नागरिकों की लोकतांत्रिक सक्रियता को हर स्तर पर रोकना चाहती है ताकि अनुचित नीतियों को मनमानी से लागू किया जा सके।