काहे नहीं ऐसै

Submitted by Hindi on Thu, 06/02/2011 - 09:29
सज-धज के आयी रे बादरी
बरसै झुमकि-झूम

हुलसै आँगन-बीच
पानी में
पूर-पूर गागरी

देखि यह राग
(संग न सुहाग!)
सोच रही सजनी
काहे नहीं ऐसै
मोर भाग जाग!!