बचपन से ही अक्सर हम कुत्ते-बिल्ली का नाम साथ ही लेते हाए हैं लेकिन इन दोंनों जीवों के रहन-सहन में काफी अंतर है। पता ही नहीं चलता कि कब बिल्ली दबे पांव आकर हमारे किचन में दूध पी जाती है। वहीं कुत्ता कुछ भी खाए, शोर मचाए बिना नहीं रहता और खाने-पीने के सामान को बिखेर देता है। बिल्ली के इसी शातिर दिमाग के कारण किसी चतुर और घाघ व्यक्ति को अक्सर हम बिल्ली की संज्ञा देते हैं। इसके विपरीत कुत्ते की संज्ञा ऐसे व्यक्ति को दी जाती है जो अस्त-व्यस्त रहता है। आपने ध्यान दिया होगा कि हम बिल्ली पर दूध की चोरी के लिए संदेह नहीं कर सकते जबकि यदि यही कार्य कुत्ता करे तो वह आसानी से पकड़ में आ जाता है। बिल्ली के सामने दूध का एक कप रखिए, वह आसानी से उसे चाट जाएगी, वह भी बिना कोई निशान छोड़े, यहां तक कि उसकी मूंछों पर भी कोई निशान नहीं होता। दूसरी ओर, कुत्ते के सामने पानी का प्याला रखने पर वह चारों और पानी फैला देता है और स्वयं भी गीला हो जाता है।
जानवरों में पानी पीने का तरीका हमारे पानी पीने के तरीके से अलग होता है। सामान्यत: जब हम किसी पेय को पीते हैं तो अपना सिर थोड़ा पीछे की ओर रखते हैं और कप के किनारे के हमारे मुंह से इस प्रकार लगाते है कि द्रव आसानी से मुंह में बहे। दूसरी ओर जब हम चूसते हैं तब हम मुंह खोल कर चूसते हैं ऐसा करने पर चूसने की आवाज भी आती है। ऐसा इसलिए संभव होता है क्योंकि मनुष्यों के साथ ही भेड़, घोड़े और सूअर के गाल पूर्ण गाल होते है यानि इनके मुंह की संरचना ऐसी होती है कि बाहर से देखने पर हम इनके पूरे दांत नहीं देख सकते हैं। दूसरी ओर मांसाहारी जीव (जैसे कुत्ते और बिल्लियां) में अपूर्ण गाल होते हैं यानि इनके मुंह की संरचना इस प्रकार की होती है कि हम बाहर से भी इनके पूरे दांत देख सकते हैं। अपूर्ण गाल इन जीवों को यह सामर्थ्य प्रदान करते हैं कि वे मुंह को चौड़ा करके अपने शिकार को आसानी से मुंह में जकड़ सके। हालांकि वे अपना मुंह चौड़ा तो कर सकते हैं लेकिन अपने गालों को बंद नहीं कर पाते जिससे उनके मुंह में निर्वात उत्पन्न हो पाए। इसलिए वो पीने की बजाए चाटते हैं।
वैज्ञानिकों ने यह जानने का प्रयास किया कि किस प्रकार कुत्ते और बिल्ली पानी और दूध को चूसते हैं। उच्चस्तरीय फोटोग्राफी में यह देखा गया है कि जब कुत्ते पानी पीते हैं तो जीभ को अपने मुंह से बाहर निकाल लेते हैं और उसे एक कप के आकार में ढाल लेते हैं। पूरी तरह से बाहर निकली हुई जीभ अंग्रेजी के जे आकार के चमचे की तरह दिखती है। जब उनकी जीभ पानी में प्रवेश करती है तो कप पूरी तरह से पानी से भर जाता है। चमचे के आकार की जीभ उसके मुंह में निचोड़ ली जाती है। इस प्रकार चाटने की इस प्रक्रिया में पानी फैल जाता है। एक जैवभौतिकीविद् रोमन स्टॉकर (जो सजीवों की भौतिकी का अध्ययन करते हैं) ने नाश्ते के दौरान अपनी पालतू बिल्ली क्यूटा को जब दूध पिलाया तब उन्होंने ध्यान दिया कि बिल्ली बिना गिराए या फैलाए दूध को चाट रही है। स्टॉकर ने देखा कि बिल्ली ने अपना मुंह तक गीला नहीं किया है। हाल तक वैज्ञानिक यही सोचते थे कि दूध पीने के दौरान बिल्ली भी अपनी जीभ को जे आकार में ढाल लेती है लेकिन बिल्ली इस मामले में कुत्ते से अधिक व्यवस्थित तरीका अपनाती है। इस बात से चकित होकर स्टॉकर और उनके साथियों ने इस पहेली के रहस्य को समझने का निर्णय लिया। उन्होने एक सेकेण्ड में 1000 फोटो लेने वाले उच्च गति के वीडियो कैमरे मे बिल्ली के दूध पीने की घटना को रिकार्ड किया।
रिकार्ड की गई फिल्म को धीमी गति से चलाने पर साफ तौर पर यह पता चला कि बिल्ली अपनी जीभ को जे आकार के चमचे में नहीं बदलती है। उसकी जीभ का एक किनारा ही तरल की सतह के संपर्क में आता है। इसके अलावा जीभ तरल में अधिक गहराई में न डूबकर केवल सतह से ही सटी रहती है। सूक्ष्म अवलोकन से पता चला कि गतिमान जीभ सतह के मध्य दूध का एक स्तंभ बन जाता है। दूध का यह स्तंभ सतह को गुरुत्व के विरूद्ध ऊपर उठाता है। जब यह बल बढ़ता है और पानी के स्तंभ को ऊपर खींचता है तब बिल्ली अपने जबड़ों को उचित समय पर इस प्रकार बंद कर लेती है कि तरल बाहर गिरने से पहले ही मुंह में गिर जाए। बिल्ली की जीभ का पास से निरीक्षण करने पर देखा गया है कि बिल्ली के पास दूध को ऊपर उठाने का माध्यम उसकी जीभ होती है। जब लटकी हुई जीभ तरल की सतह को स्पर्श करती है तब पृष्ठ तनाव के कारण दूध खुरदरी और मोटी जीभ से चिपक जाता है। जब बिल्ली जीभ को अपने मुंह में तेजी से वापिस लेती है तब उसकी जीभ से लगा दूध ऊपर खींचता है। हालांकि जब जीभ ऊपर की ओर जाती है तब गुरुत्व के कारण दूध नीचे की ओर गिरता है। ऊपर लग रहे बल और गुरुत्व की लड़ाई के दौरान दूध का स्तंभ दो विपरीत दिशाओं में खींचता है। इससे पहले कि गुरुत्व दूध को वापिस नीचे लाए बिल्ली बड़ी सावधानी से अपना मुंह बंद कर लेती है। यदि बिल्ली ऐसा करने में देर करें तो दूध का स्तंभ टूट जाएगा और तरल वापिस प्याले में गिर जाएगा जिससे बिल्ली की जीभ फिर से खाली हो जाएगी। इस अनुभव को स्वयं करने के लिए आप अपनी एक उंगली को पानी भरे प्याले में डालें और उंगली को बाहर की ओर खींचे आप देखेंगे कि आपकी उंगली के सिरे और पानी के प्याले के बीच जल स्तंभ बन जाता है। यदि आप निकटता से देखेंगे तो पाएंगे कि जल स्तंभ ऊपर उठ रहा है। हालांकि ऐसा बहुत ही थोड़े समय के लिए होता है।
स्टॉकर और उनके सहयोगियों ने इस धारणा को परखने के लिए बिल्ली की जीभ का एक ऐसा रोबोटिक संस्करण बनाया जो पानी भरे प्याले में ऊपर नीचे हो सकता था। इस प्रयोग से बिल्ली द्वारा पेय को चाटने के पहलुओं को विभिन्न प्रकार से और व्यवस्थित रूप से समझने और उसके लिए एक संकल्पना विकसित करने में मदद मिली। इससे यह साबित हुआ कि बिल्ली द्वारा चाटने की परिघटना अधिक सलीकेदार और सूक्ष्म है जिसके कारण वह बहुत तीव्रता से पेय पीती है।
Source
पर्यावरण डाइजेस्ट, 17 अगस्त 2011