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नई दुनिया
1. अभी भी ग्रामीण क्षेत्र के बड़े व बच्चे मजबूर है फ्लोराइड वाला पानी पीने को
2. दंतीय फ्लोरोसिस के कारण अंचल में बिगड़ रहे हैं हालात
3. मुख्यमंत्री की मंशा के विपरीत है गांव में काम की स्थिति
मैदानी हकीकत देखने पर मालूम हुआ कि मोहनपुरा सहित कई ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी के मामले में दयनीय स्थिति है। पाइप लाइन बाहर पड़ी हुई है। जिन टंकियों से पानी दिया जाना है वे टंकियां अब खराब होने लगी हैं। वहीं जिन स्रोतों से पानी दिया जाना है वे इस कदर से खराब है कि यदि उसे सीधे ही पानी वितरित कर दिया जाए तो लोगों को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। धार। मुख्यमंत्री भले ही गांव-गांव स्वच्छ पानी पहुंचाने के लिए योजना बनाते हैं किंतु उसकी हकीकत आदिवासी अंचलों में देखी जा सकती है। जिले के 13 विकासखंड में अब तक 792 बसाहटों में अभी भी स्वच्छ पानी की धारा बहना शुरू नहीं हुई है।
अधूरे कामों के चलते इन बसाहटों में फ्लोराइडमुक्त पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इसकी वजह यह है कि मैदानी स्तर पर कई तरह की खामियां रह गई हैं। इसीलिए इन गांवों के लोग पूछते हैं कि कब मिलेगा फ्लोराइड मुक्त पानी।
आदिवासी बहुल जिले में सभी 13 विकासखंड फ्लोराइड की परेशानी से ग्रस्त है। नई दुनिया ने मैदानी स्तर पर हकीकत जानी तो वह बहुत ही चिंताजनक है। ग्राम मोहनपुरा में पिछले एक साल से लोग योजना के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं। ग्राम के बालम डावर ने बताया कि सभी 12 फलियों में पानी पहुंचाने के लिए काम अधूरा पड़ा है।
पाइप जमीन के ऊपर बाहर फैलाकर रख दिए गए हैं। बच्चों से लेकर सबको खराब पानी मजबूरी में पीना पड़ रहा है। खांदनखुर्द क्षेत्र के दयाराम जोगड़िया ने बताया कि हमारा क्षेत्र भी फ्लोराइड प्रभावित है किंतु आज तक यहां पर पाइप लाइन बिछाने के लिए कोई ध्यान ही नहीं दिया गया। इसी तरह आदिवासी अंचल के लगभग हर गांव की स्थिति यही है।
मैदानी हकीकत देखने पर मालूम हुआ कि मोहनपुरा सहित कई ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी के मामले में दयनीय स्थिति है। पाइप लाइन बाहर पड़ी हुई है। जिन टंकियों से पानी दिया जाना है वे टंकियां अब खराब होने लगी हैं। वहीं जिन स्रोतों से पानी दिया जाना है वे इस कदर से खराब है कि यदि उसे सीधे ही पानी वितरित कर दिया जाए तो लोगों को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
लगभग सभी विकासखंडों में फिलहाल यही स्थिति है। कहीं फिल्टर प्लांट बने हुए हैं तो वे अभी परीक्षण के स्तर पर है। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि जिन स्थानों पर पाइप लाइन डाल दी गई है वहां भी लोगों को पानी नहीं मिल पाएगा क्योंकि पाइप लाइन बिछाने के लिए जो लेवल मिलाने से लेकर स्थानीय परिस्थितियों का ध्यान रखना था वह नहीं रखा गया है।
बदनावर व बाग में 32-32, डही में 67, धरमपुरी में 88, गंधवानी में 70, कुक्षी में 57, मनावर में 40, नालछा में 130, निसरपुर में 55, सरदारपुर में 53, तिरला में 46 व उमरबन में 116 बसाहटें फ्लोराइडयुक्त पानी से परेशान हैं। जबकि धार विकासखंड में केवल छह बसाहटें प्रभावित हैं।
उल्लेखनीय है कि फ्लोराइड वाले पानी के कारण हड्डी संबंधी रोग हो जाते हैं और कई परेशानियां होती हैं। जिले के सभी विकासखंड में फ्लोराइड की परेशानी है। इस मामले में धार व सरदारपुर कार्यालय व्यवस्था को देखते हैं।
धार कार्यालय से जुड़े हुए जितने भी विकासखंड है वहां पर शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए मैदानी स्तर पर टेस्टिंग हो रहा है। जून 2014 तक हम योजनाओं पर काम पूरा कर लेंगे जिससे कि गर्मी में लोगों को पानी की दिक्कत नहीं हो।
राजीव खुराना, कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग धार
2. दंतीय फ्लोरोसिस के कारण अंचल में बिगड़ रहे हैं हालात
3. मुख्यमंत्री की मंशा के विपरीत है गांव में काम की स्थिति
मैदानी हकीकत देखने पर मालूम हुआ कि मोहनपुरा सहित कई ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी के मामले में दयनीय स्थिति है। पाइप लाइन बाहर पड़ी हुई है। जिन टंकियों से पानी दिया जाना है वे टंकियां अब खराब होने लगी हैं। वहीं जिन स्रोतों से पानी दिया जाना है वे इस कदर से खराब है कि यदि उसे सीधे ही पानी वितरित कर दिया जाए तो लोगों को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। धार। मुख्यमंत्री भले ही गांव-गांव स्वच्छ पानी पहुंचाने के लिए योजना बनाते हैं किंतु उसकी हकीकत आदिवासी अंचलों में देखी जा सकती है। जिले के 13 विकासखंड में अब तक 792 बसाहटों में अभी भी स्वच्छ पानी की धारा बहना शुरू नहीं हुई है।
अधूरे कामों के चलते इन बसाहटों में फ्लोराइडमुक्त पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इसकी वजह यह है कि मैदानी स्तर पर कई तरह की खामियां रह गई हैं। इसीलिए इन गांवों के लोग पूछते हैं कि कब मिलेगा फ्लोराइड मुक्त पानी।
आदिवासी बहुल जिले में सभी 13 विकासखंड फ्लोराइड की परेशानी से ग्रस्त है। नई दुनिया ने मैदानी स्तर पर हकीकत जानी तो वह बहुत ही चिंताजनक है। ग्राम मोहनपुरा में पिछले एक साल से लोग योजना के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं। ग्राम के बालम डावर ने बताया कि सभी 12 फलियों में पानी पहुंचाने के लिए काम अधूरा पड़ा है।
पाइप जमीन के ऊपर बाहर फैलाकर रख दिए गए हैं। बच्चों से लेकर सबको खराब पानी मजबूरी में पीना पड़ रहा है। खांदनखुर्द क्षेत्र के दयाराम जोगड़िया ने बताया कि हमारा क्षेत्र भी फ्लोराइड प्रभावित है किंतु आज तक यहां पर पाइप लाइन बिछाने के लिए कोई ध्यान ही नहीं दिया गया। इसी तरह आदिवासी अंचल के लगभग हर गांव की स्थिति यही है।
पाइप लाइन बाहर, टंकी खराब
मैदानी हकीकत देखने पर मालूम हुआ कि मोहनपुरा सहित कई ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी के मामले में दयनीय स्थिति है। पाइप लाइन बाहर पड़ी हुई है। जिन टंकियों से पानी दिया जाना है वे टंकियां अब खराब होने लगी हैं। वहीं जिन स्रोतों से पानी दिया जाना है वे इस कदर से खराब है कि यदि उसे सीधे ही पानी वितरित कर दिया जाए तो लोगों को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
लगभग सभी विकासखंडों में फिलहाल यही स्थिति है। कहीं फिल्टर प्लांट बने हुए हैं तो वे अभी परीक्षण के स्तर पर है। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि जिन स्थानों पर पाइप लाइन डाल दी गई है वहां भी लोगों को पानी नहीं मिल पाएगा क्योंकि पाइप लाइन बिछाने के लिए जो लेवल मिलाने से लेकर स्थानीय परिस्थितियों का ध्यान रखना था वह नहीं रखा गया है।
13 विकासखंड में प्रभावित बसाहट
बदनावर व बाग में 32-32, डही में 67, धरमपुरी में 88, गंधवानी में 70, कुक्षी में 57, मनावर में 40, नालछा में 130, निसरपुर में 55, सरदारपुर में 53, तिरला में 46 व उमरबन में 116 बसाहटें फ्लोराइडयुक्त पानी से परेशान हैं। जबकि धार विकासखंड में केवल छह बसाहटें प्रभावित हैं।
उल्लेखनीय है कि फ्लोराइड वाले पानी के कारण हड्डी संबंधी रोग हो जाते हैं और कई परेशानियां होती हैं। जिले के सभी विकासखंड में फ्लोराइड की परेशानी है। इस मामले में धार व सरदारपुर कार्यालय व्यवस्था को देखते हैं।
टेस्टिंग शुरू कर दिया है
धार कार्यालय से जुड़े हुए जितने भी विकासखंड है वहां पर शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए मैदानी स्तर पर टेस्टिंग हो रहा है। जून 2014 तक हम योजनाओं पर काम पूरा कर लेंगे जिससे कि गर्मी में लोगों को पानी की दिक्कत नहीं हो।
राजीव खुराना, कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग धार