धार। जिले में हर माह फ्लोरोसिस से प्रभावित बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में सरकारी स्तर पर जितने भी क्षेत्रों में सर्वे हुआ उसमें 3400 से अधिक बच्चे दन्तीय फ्लोरोसिस से प्रभावित हैं। जबकि अन्य श्रेणी के फ्लोरोसिस से प्रभावितों की संख्या अभी सामने नहीं है। लेकिन माना जा रहा है कि हड्डी वाले फ्लोरोसिस के कारण 500 से अधिक बच्चे व बड़े आंशिक रूप से विकलांग हो चुके हैं। जिले भर में स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के नाम पर 150 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं या होने की कगार पर है। लेकिन नतीजा बहुत अच्छा नहीं है। कुछ योजना को छोड़कर अनेक स्थानों पर स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा है।
जिले में फ्लारोसिस नियंत्रण के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कवायद की जा रही है। इसी के तहत जिला सलाहकार के माध्यम से मरीजों को चिन्हित करने के लिये जो कवायद हुई है उसमें यह बात सामने आ रही है कि तेजी से मरीजों की संख्या बढ़ते जा रही है। इस सम्बन्ध में जिला सलाहकार डॉ. एमपी भारती ने बताया कि अब तक 3400 मरीज में इस तरह के रोग की सम्भावना मिली है। उनका कहना है कि चूँकि हमारे पास में जाँच करने की मशीन तो है लेकिन लैब टेक्निशियन नहीं है। ऐसे में हम इसे सम्भावित कहते हैं। लेकिन यह पक्का है कि ये बच्चे दन्तीय फ्लोरोसिस से प्रभावित हैं।
तीनों जिलों में बुरे हाल
डॉ. भारती ने बताया कि जिले के 101 गाँव का ही अभी तक सर्वे हो पाया है। शेष गाँव में सर्वे होना बाकी है। मुझे धार के साथ-साथ झाबुआ और आलीराजपुर जिले का भी प्रभार दे रखा है। इसलिये तीनों जिलों में ही हम यह देख रहे हैं कि जागरूकता के अभाव में बहुत बुरे हाल हैं।
फ्लोरोसिस की बीमारी तेजी से पनप रही है। इसके लिये इस बात की जागरूकता होनी जरूरी है कि लोग स्वच्छ पानी पीएँ। उन्होंने कहा कि हम लोगों को जागरूक करने के साथ पानी को जाँचने की किट भी उपलब्ध कराई है। जिससे कि स्वास्थ्य विभाग के कार्यकर्ताओं के माध्यम से उन्हें शुद्ध पानी के बारे में जानकारी उपलब्ध हो सके।
मैदानी हकीकत
इधर मैदानी हकीकत यह है कि करोड़ों रुपए की योजनाएँ तो बना दी गई है। किन्तु उनके क्रियान्वयन में कमजोरी और योजनाओं की अपूर्णता के चलते दिक्कत है। ऐसे में करोड़ों खर्च होने के बाद भी शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है। इसी वजह से तेजी से फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
तिरला विकासखण्ड के भीतरी गाँवों से लेकर अन्य क्षेत्रों में बुरे हाल हैं। योजनाओं के तहत जो फिल्टर लगवाए गए थे वे फिल्टर या तो खराब हो गए हैं या फिर उनका उपयोग ही नहीं हो पा रहा है।
योजनाओं की स्थिति एक नजर में
1. नालछा विकासखण्ड में सात करोड़ 54 लाख रुपए की लागत से 19 गाँव की 57 बसाहटों में 12 हजार 820 लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने की कवायद चल रही है।
2. मनावर विकासखण्ड में भी नौ करोड़ रुपए की लागत से 40 बसाहटों में पानी देने की योजना बनाई गई। इससे 20,955 लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है।
3. गंधवानी विकासखण्ड में भी फ्लोराइड की समस्या है। वहाँ की 46 बसाहटों में पानी देने के लिये 11 करोड़ 18 लाख रुपए खर्च किये जा रहे हैं।
4. धरमपुरी और उमरबन विकासखण्ड क्षेत्र में 125 बसाहटों को नर्मदा नदी से पानी देना है। इसके लिये 27 करोड़ 95 लाख रुपए खर्च किये जा रहे हैं।
5. दूसरी ओर बदनावर व सरदारपुर विकासखण्ड के 11 ग्राम की 44 बसाहटों में कालीकिराय जलाशय से पानी लेना है। 13 करोड़ 91 लाख रुपए की योजना है।
6. कुक्षी, बाग, निसरपुर व डही विकासखण्ड की 439 बसाहटों में नर्मदा का पानी उपलब्ध हो इसके लिये जिले की सबसे बड़ी योजना पर काम चल रहा है जो करीब 86 करोड़ 20 लाख की है। इससे 78 ग्राम लाभान्वित होना है और 1 लाख 38 हजार लोगों को पानी मिलना है।
आँकड़ों में योजनाओं के हाल
1. जिले के 13 विकासखण्डों में है फ्लोराइड की समस्या
2. 178 गाँव हैं प्रभावित
3. 813 बसाहटों में स्वच्छ पानी के लिये बनी है सात बड़ी परियोजना
4. 3 लाख 20 हजार लोगों को करना है लाभान्वित
5. 219 बसाहटों में पानी देने का दावा
6. 694 बसाहटों में नहीं मिल रहा पानी
7. 150 करोड़ से अधिक राशि हो रही है खर्च
तिरला, नालछा, धरमपुरी क्षेत्र में पानी उपलब्ध हो रहा है। किसी तरह की कोई शिकायत नहीं है। बल्कि मानसरोवर योजना के माध्यम से जो फिल्टर प्लांट से पानी वितरित हो रहा है उसमें बड़ी संख्या में गाँव लाभान्वित हैं... योगेश शर्मा, प्रभारी फ्लोराइड योजना लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग