इंदौर-उज्जैन सम्भाग में ज्यादा चिन्ता
सतही जलस्रोतों के माध्यम से इन स्थानों पर पानी पिलाया जाएगा। इन्दौर सम्भाग में अधिकांश आदिवासी बहुल जिले हैं। जहाँ पर जागरुकता की बेहद कमी है। इस वजह से आदिवासी अंचल में फ्लोरोसिस की बीमारी तेजी से फैल रही है। लोगों में विकलांगता बढ़ते जा रही है। खासकर बच्चों की स्थिति चिन्ताजनक है। स्कूल में पढ़ने जाने वाले बच्चों में फ्लोरोसिस की समस्या पनपते जा रही है। तमाम प्रयासों के बावजूद दिक्कत बनी हुई है।
धार। मप्र के लोक स्वास्थ्य मंत्री कुसुम महदेले ने फ्लोराइड प्रभावित जिलों की बसाहटों में सुरक्षित पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था के निर्देश दिये हैं। सुश्री महदेले पीएचई के अधिकारियों की बैठक में फ्लोराइड प्रभावित बसाहटों में सुरक्षित पेयजल के इन्तजामों की समीक्षा कर रही थीं।
सबसे ज्यादा चिन्ता इन्दौर व उज्जैन सम्भाग में है जहाँ पर अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को फ्लोराइडमुक्त पानी देने के लिये ध्यान देना होगा। 16 गाँवों को इस बात के लिये चिन्हित किया गया है कि वहाँ पर 24 घंटे शुद्ध पानी उपलब्ध हो।
सुश्री महदेले ने इन्दौर और उज्जैन सम्भाग के फ्लोराइड प्रभावित 16 गाँव में 24×7 सुरक्षित पेयजल मुहैया करवाने की सफल रही पायलट योजना के अन्य प्रभावित गाँवों की बसाहटों में भी संचालन के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि पायलट योजना के सफल होने पर इसे प्रदेश-स्तर पर लागू करवाया जाये।
पायलट स्तर पर यह योजना शुरू की जा रही है। दरअसल सतही जलस्रोतों के माध्यम से इन स्थानों पर पानी पिलाया जाएगा। इन्दौर सम्भाग में अधिकांश आदिवासी बहुल जिले हैं। जहाँ पर जागरुकता की बेहद कमी है। इस वजह से आदिवासी अंचल में फ्लोरोसिस की बीमारी तेजी से फैल रही है।
लोगों में विकलांगता बढ़ते जा रही है। खासकर बच्चों की स्थिति चिन्ताजनक है। स्कूल में पढ़ने जाने वाले बच्चों में फ्लोरोसिस की समस्या पनपते जा रही है। तमाम प्रयासों के बावजूद दिक्कत बनी हुई है। कुछ स्थानों पर पायलट फेस के तहत जो काम किये जा रहे हैं उनसे सम्भावना बनी है कि पेयजल व्यवस्था ठीक होगी।
दिसम्बर तक ये है लक्ष्य
बैठक में बताया गया कि फ्लोराइड प्रभावित 28 जिले की 6746 बसाहट में फ्लोराइड मानक सीमा 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पाया गया था। पीएचई विभाग द्वारा इन बसाहट में से 6371 में वैकल्पिक तौर पर सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था कर दी गई है।
सुश्री महदेले ने शेष 375 बसाहट में भी सुरक्षित पेयजल के वैकल्पिक स्रोत आगामी दिसम्बर तक उपलब्ध करवाने को कहा। मंत्री भले ही इस बात का दावा कर रही हो कि अधिकांश क्षेत्रों में पानी उपलब्ध करा दिया गया है लेकिन वास्तविकता यह है कि अभी भी सारी बसाहटों में बहुत ही न्यूनतम स्तर पर पानी की उपलब्धता है। इसलिये यहाँ पर चिन्ता बनी हुई है।
बैठक में प्रमुख अभियन्ता पीएचई श्री जी.एस. डामोर, इन्दौर, जबलपुर और ग्वालियर के मुख्य अभियन्ता तथा सम्भागीय मण्डल कार्यालयों के अधीक्षण यंत्री भी उपस्थित थे। उपरी स्तर पर आँकड़ेबाजी होती है लेकिन मैदानी स्तर पर कुछ और ही आलम है।