कच्चे तालाब में डुबा दिये साढ़े आठ लाख

Submitted by editorial on Sat, 06/09/2018 - 14:39
Source
13 अप्रैल 2018, दैनिक जागरण


देहरादून। चकराता ब्लॉक की बेगी ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत कच्चे तालाब निर्माण के नाम पर साढ़े आठ लाख रुपए की वित्तीय अनियमितता सामने आई है। पूर्व प्रधान ने कुछ कार्य दूसरी ग्राम पंचायत में करा दिये तो कुछ कार्य हुये नहीं और उसके नाम पर भुगतान हो गया। अब जिलाधिकारी की ओर से पूर्व प्रधान को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जवाब आने के बाद वसूली की कार्रवाई की जाएगी।

बेगी निवासी फकीर चन्द ने जिलाधिकारी से इस सम्बन्ध में शिकायत की थी कि वर्ष 2007 से 2010 के मध्य विभिन्न कार्यों में बड़ी वित्तीय गड़बड़ी की गई है। इसके बाद मुख्य विकास अधिकारी ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर जाँच शुरू कराई थी। जाँच में सामने आया कि पूर्व ग्राम प्रधान ने छह ऐसी जगह तालाब निर्माण कराया, जो क्षेत्र उक्त पंचायत में आता ही नहीं था। इस पर चार लाख 27 हजार रुपए खर्च किये गये।

इसके अलावा पाँच मामले ऐसे हैं, जहाँ तालाब निर्माण दिखाया, लेकिन जाँच के दौरान वहाँ कुछ भी नही मिला। साथ ही निर्माण सामग्री ढुलान के नाम पर भी फर्जी भुगतान किया गया। जिन लोगों को भुगतान होना दर्शाया गया है, उन्होंने भी जाँच समिति को लिखित में दिया है कि उन्होंने ऐसा कोई काम किया ही नहीं। आरोप है कि खाते से पैसा निकालने के लिये उनके फर्जी हस्ताक्षरों का इस्तेमाल किया गया।

मुख्य विकास अधिकारी जी.एस. रावत ने बताया कि उप जिलाधिकारी चकराता से कार्यस्थल चिन्हित करने के लिये पत्र लिखा गया था। चकराता तहसील के राजस्व उप निरीक्षक ने जाँच की और रिपोर्ट दी कि कौन-कौन से कार्यस्थल उक्त पंचायत क्षेत्र से बाहर हैं। मनरेगा के नियमानुसार दूसरे क्षेत्र में काम नहीं कराया जा सकता। नोटिस जारी करने के 20 दिन के भीतर पूर्व प्रधान को जवाब देना होगा। अगर कोई जवाब नहीं आता तो माना जाएगा कि उन्हें आरोप मान्य हैं।

बंजारवाला ग्राम प्रधान को भी नोटिस

रायपुर विकास खण्ड अन्तर्गत बंजारवाला ग्राम प्रधान को भी गोरखा गाँव का बोर्ड लगाने के मामले में नोटिस जारी हुआ है। बोर्ड पर खर्च की धनराशि प्रधान से वसूली जाएगी और बोर्ड हटाया जाएगा। नोटिस में कहा गया है कि ग्राम पंचायत की बैठक में 11 में से छह सदस्यों ने गाँव का नाम गोरखा गाँव रखे जाने के प्रस्ताव पर असहमति जताई। ऐसे में गोरखा गाँव बोर्ड नहीं लगाना चाहिए था।