उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत अपने छः माह के कार्यकाल की उपलब्धियों को लेकर पत्रकारों से मुखातिब हुए। हालांकि वे बहुत खुश दिख रहे थे, मगर कुछ पर्यावरणीय सवाल उनके कार्यक्रमों को लेकर खड़े हो गए हैं। उन्होंने हर एक विकासीय योजना को रोजगार से जोड़ा है। रोजगार का सपना दिखाया गया, प्राकृतिक संसाधनों के बेहद दोहन करके उसे रोजगार का खास हथियार बताया है।
एक तरफ उन्होंने यह बताया कि नदी संरक्षण के लिये जरूरी इन्तजाम करने होंगे तो वहीं वे बता रहे थे कि पंचेश्वर बाँध जैसी जल ऊर्जा की योजना राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। अतएव नदी का संरक्षण बाँध बनाने से होगा? या नदी की धारा बाँध बनने के बाद अविरल बहेगी? ऐसे कुछ पर्यावरणीय सवाल मुख्यमंत्री श्री रावत की प्रेसवार्ता के बाद कौतुहल का विषय बन गया। यही नहीं उन्होंने वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री की हर तरफ खूब तारीफ की परन्तु प्रधानमंत्री के ड्रिम प्रोजेक्ट ‘नमामि गंगे’ पर एक शब्द भी नहीं कहा, जो उनके प्राकृतिक संसाधनों के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है। इधर मुख्यमंत्री श्री रावत ने छः माह का कार्यकाल पूरा करने पर आम जनता, गरीब, पिछड़े और दलित समाज के सर्वांगीण विकास के लिये हो रहे सफल प्रयासों की जमकर प्रशंसा की है तो वहीं उन्होंने राज्य की छोटी जोत की कृषि को कैसे पानी मिले, पहाड़ के गाँव पेयजल संकट से जूझ रहे हैं उनकी यह समस्या कैसे दूर हो इस पर उनकी एक भी योजना प्रेसवार्ता के दौरान सामने नहीं आ पाई।
उन्होंने अपनी बात को सम्पूर्ण स्वच्छता और शौचालय युक्त राज्य से आरम्भ करते हुए कहा कि 31 मार्च 2018 तक राज्य का शहरी क्षेत्र ओ.डी.एफ. हो जाएगा। जिसके लिये फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने राज्य के स्वच्छता अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनने की स्वीकृति सहर्ष प्रदान कर दी है। आगे उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड का ग्रामीण क्षेत्र खुले में शौच मुक्त होने वाला देश का चौथा राज्य बना है। इसलिये राज्य को स्वच्छता अभियान को भारत सरकार का बेस्ट प्रैक्टिसेज दर्जा प्राप्त हुआ है।
अब उन्होंने शहरी स्वच्छता कार्यक्रम के लिये मार्च 2018 तक सभी 92 शहरी निकायों को ओ.डी.एफ. बनाने का लक्ष्य पूरा करने का दायित्व जिलाधिकारियों को दिया है। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि National Rural Drinking Water Programme (NRDWP) के अन्तर्गत 12 करोड़ रुपए का उपयोग जलस्रोतों के संरक्षण-संवर्द्धन हेतु किया जाएगा। पर्वतीय क्षेत्रों की छोटी नदियों तथा गाड़-गदेरों पर छोटे-छोटे बाँध/जलाशय बनाकर जलसंग्रह की योजना क्रियान्वित की जा रही है। जबकि सूखने की कगार पर आ चुकी नदियों को पुनर्जीवित करने लिये जिलों को लक्ष्य दिये गए हैं। उधर वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। यानि उत्तराखण्ड को आर्गेनिक हर्बल स्टेट बनाने का लक्ष्य है।
गन्ना किसानों के बकाया को 115 करोड़ रुपए के भुगतान का निर्णय सरकार ने लिया है तथा निजी चीनी मिलों को भी किसानों का बकाया चुकाने के निर्देश सम्बन्धित विभाग को दिये गए हैं। क्लस्टर आधारित कृषि, उद्यानिकी एवं पशुपालन के विकास का लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने नर्सरी एक्ट लागू करने का निर्णय भी लिया है। ताकि अधिक-से-अधिक लोग उद्यानिकी से जुड़ पाएँ। इसके लिये कागजी अखरोट उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये चौबटिया व टिहरी में मगरा को मॉडल फार्म के तौर पर विकसित किया जाएगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत 1.12 लाख किसानों का बीमा कराया गया है। योजना के तहत पाँच लाख किसानों के बीमा का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने केन्द्र सरकार की तीन परियोजनाओं को राज्यहित में बताया। कहा कि इन परियोजनाओं से राज्य में रोजगार के दरवाजे खुल जाएँगे। जिसमें ऋषीकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन, चारधाम ऑलवेदर रोड एवं पंचेश्वर बाँध का कार्य प्रगति पर है। केन्द्र सरकार द्वारा राज्य में पॉवर सेक्टर के विकास के लिये ए.डी.बी. से मिलने वाले 819.20 करोड़ रुपए के ऋण के लिये सैद्धान्तिक स्वीकृति प्रदान की गई है। इससे राज्य में नई ट्रांसमिशन लाइन के साथ ही नए सब स्टेशन स्थापित होंगे। साथ ही पुराने सब स्टेशनों की क्षमता में वृद्धि होगी। यह धनराशि ऊर्जा विकास के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।
राज्य को मिलने वाली इस धनराशि से समयबद्ध रूप से 173.5 मेगावाट की जल विद्युत परियोजनाएँ पूरी होंगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि सबसे पहले राज्यहित में कुछ लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं, जिनमें 2019 तक हर घर को बिजली एवं शत-प्रतिशत साक्षरता, 2022 तक सबको घर, किसानों की आय दोगुनी करने तथा पाँच लाख बेरोजगार युवाओं के लिये कौशल विकास का लक्ष्य रखा गया है। इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिये अधिकारियों को निर्देश ही जारी नहीं किये गए हैं, बल्कि इसके लिये ठोस कार्ययोजना भी तैयार करने को कहा गया है और इस दिशा में कार्य शुरू भी हो गया है। कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और अन्य राजस्व कार्यों हेतु 1000 पटवारियों की भर्ती करने का निर्णय सरकार के स्तर पर लिया गया है।
पर्वतीय चकबन्दी कार्य के लिये अधिनियम और नियमावली के लिये कृषि मंत्री की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री के स्वयं के गाँव से चकबन्दी आरम्भ करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अन्तर्गत शेष 63 ग्रामों का विद्युतीकरण दिसम्बर, 2017 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। समस्त परिवारों को 2019 तक विद्युत कनेक्शन देने का लक्ष्य है। बिजली चोरी रोकने के लिये ओवरहेड एल.टी. लाइनों को एल.टी.ए.वी. केबल प्रयोग करने का निर्णय लिया गया है। 05 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं को राज्य के स्थायी निवासियों हेतु आरक्षित किया गया है। उजाला एल.ई.डी. योजना के तहत 39 लाख एल.ई.डी. बल्ब वितरित कर दिये गए हैं। मार्च 2018 तक 100 लाख एल.ई.डी. बल्ब वितरण का लक्ष्य रखा गया है। सरकारी दफ्तरों में एल.ई.डी. का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि चारधाम ऑलवेदर रोड के भूमि अधिग्रहण, वन भूमि हस्तान्तरण और मुआवजा वितरण काम के लिये सरकार ने 30 सितम्बर, 2017 की डेडलाइन तय की है। 250 से कम आबादी के 889 गाँवों के लिये सड़क हेतु विश्व बैंक की न्यू फंडिंग में काम प्रस्तावित किया जा रहा है। जिन सड़कों में 75 प्रतिशत से अधिक काम हो चुका हो, उन्हें प्राथमिकता से पूरा किया जाएगा। हल्द्वानी, रूद्रपुर, हरिद्वार एवं देहरादून में रिंग रोड का निर्माण किया जाएगा। प्रदेश में पर्यटन को बढ़ाने के लिये ‘13 डिस्ट्रिक्ट, 13 न्यू डेस्टिनेशन्स’ के अन्तर्गत प्रदेश के सभी जिलों में कम-से-कम एक नए पर्यटन स्थल का विकास किया जाएगा।
खरसाली-यमुनोत्री रोप-वे, गोविन्दघाट-घाघरिया रोप-वे व गुच्चुपानी-मसूरी रोप-वे का निर्माण किया जाएगा। प्रदेश में हॉस्पिटेलिटी यूनिवर्सिटी की स्थापना का निर्णय लिया गया है। कुमाऊँ एवं गढ़वाल मण्डल विकास निगमों का विलय किया जाएगा। राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये एडवेंचर टूरिज्म, होम स्टे व ‘एपिक सर्किट’ विकसित करने पर विशेष फोकस दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वे आधुनिक तकनीक का भी पूरा उपयोग कर रहे हैं। फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया जनता तक पहुँचने का सबसे सरल माध्यम है, अब लोग जन समस्याओं को सोशल मीडिया के माध्यम से सीधे मुख्यमंत्री तक पहुँचा रहे हैं। अधिकारियों को भी स्पष्ट निर्देश दिये गए हैं कि आम जनता से सीधा संवाद कायम करें और जन समस्याओं का त्वरित निस्तारण किया जाय। शीघ्र समाधान के लिये समाधान पोर्टल को और अधिक प्रभावी बनाया गया है।
समाधान पोर्टल के साथ ही शिकायत दर्ज कराने के लिये टोल फ्री नम्बर 1905 हेल्पलाइन की व्यवस्था की गई है तथा आई.वी.आर.एस. के माध्यम से स्थानीय बोलियों में भी शिकायतें दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। विभिन्न अनियमितताओं की त्वरित जाँच हेतु एस.आई.टी. का गठन किया गया है। सीएम डेशबोर्ड जैसी अभिनव पहल शुरू की गई है। इसके माध्यम से विभागों से सम्बन्धित जानकारी उपलब्ध होगी, जिस पर सीधा नियंत्रण मुख्यमंत्री कार्यालय का होगा।
उत्तराखण्ड में 100 जन औषधि केन्द्र खोले जाएँगे। राज्य के छः अस्पतालों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सुविधा का लक्ष्य रखा गया है। वर्षों से मैदानी जनपदों में तैनात डॉक्टरों की पर्वतीय क्षेत्रों में तैनाती सुनिश्चित की गई है। प्रदेश में सेना के 70 सेवानिवृत्त डॉक्टरों की सेवाएँ ली जाएँगी। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को सेना के माध्यम से संचालित करने हेतु कार्यवाही चल रही है। राज्य में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी को देखते हुए टेलीमेडिसिन और टेली रेडियोलॉजी की व्यवस्था का निर्णय लिया गया है।
प्रदेश में वर्ष 2018 में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय खेलों के आयोजन हेतु तेजी से कार्य कराए जा रहे हैं। खिलाड़ियों को प्रतिदिन डाइट हेतु 250 रुपए देने का निर्णय लिया गया है। नेशनल गेम्स में अधिक पदक जीतने के उद्देश्य से 12 खेलों का चयन किया गया है। राज्य में जी.एस.टी. की तैयारियों के सन्दर्भ में वाणिज्य कर विभाग तथा मनोरंजन कर विभाग के समस्त 800 अधिकारियों/कर्मचारियों को विधिक प्रशिक्षण के अतिरिक्त जी.एस.टी. सॉफ्टवेयर का भी व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। वाणिज्य कर विभाग द्वारा छोटे करदाताओं को विवरणी, पंजीयन आवेदन पत्र इत्यादि दाखिल करने में सहायता प्रदान करने तथा रोजगार सृजन के उद्देश्य से ‘जी.एस.टी. मित्र योजना’ के अन्तर्गत लगभग 1700 अभ्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया है।
जी.एस.टी. के अधीन संचालित किये गए पहुँच (outreach) कार्यक्रम के अन्तर्गत विधायकों एवं समस्त विभागाध्यक्षों के लिये कार्यशाला, सभी आहरण वितरण अधिकारियों के लिये प्रशिक्षण तथा समस्त राज्य में करदाताओं हेतु 450 से अधिक कार्यशालाएँ आयोजित की गई हैं। 10 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को एकीकृत करने के साथ ही सभी विद्यालयों में एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकें लागू करने का निर्णय लिया गया है। देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में छात्रों को मध्यान्ह भोजन हेतु केन्द्रीयकृत किचन योजना आरम्भ की गई है। कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों का शैक्षिक कैलेंडर लागू किया गया है। परीक्षा परिणाम के 30 दिन के भीतर शिक्षण कार्य शुरू करने का निर्णय लिया गया है। कॉलेजों ई-लाईब्रेरी की स्थापना की जाएगी। 100 रिसर्च स्कालरों को स्कॉलरशिप देने का निर्णय लिया गया है। कॉलेजों में 800 प्राचार्यों की भर्ती की जाएगी। सरकारी संस्थानों में ड्रेस कोड लागू करने का निर्णय लिया गया है।
निवेश के लिये सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम लागू किया गया है। 1325 करोड़ रुपए धनराशि के निवेश प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई है, जिसमें 5000 युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। डी.बी.टी. के अन्तर्गत राज्य खाद्य योजना की सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के खाते में दी जा रही है। डी.बी.टी. के अन्तर्गत अन्त्योदय अन्न योजना के 1.84 लाख राशन कार्डधारकों की चीनी की सब्सिडी भी सीधे खाते में दी जा रही है। “उज्ज्वला” योजना में वंचित बी.पी.एल. परिवारों को निःशुल्क गैस कनेक्शन राज्य सरकार द्वारा दिये जाएँगे। उन्होंने 25 सितम्बर 2017 पं. दीन दयाल उपाध्याय जी का जन्म दिवस गरीब कल्याण दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। लघु एवं सीमान्त कृषकों को 01 लाख रुपए तक ऋण मात्र 02 प्रतिशत ब्याज पर दिया जाएगा।
हॉर्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर, पशुपालन, जड़ी-बूटी सगन्ध पादप, डेरी, फिशरीज, मशरूम में क्लस्टरों को विकसित किया जा रहा है। प्रत्येक जनपद में कम-से-कम एक आयुष/योग ग्राम की स्थापना की जाएगी। राज्य में दो महिला सहकारी बैंक शाखाएँ प्रारम्भ की गई हैं। प्रदेश में ‘गौ-धाम’ की स्थापना की जाएगी। स्थानीय नस्ल की बद्री गाय की दुग्ध उत्पादन क्षमता में वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। जबकि नव विवाहित जोड़ों से बेटी बचाओ शपथ पत्र हस्ताक्षर कार्यक्रम, बेटी जन्मोत्सव एवं गोद भराई कार्यक्रम, कुपोषण से मुक्ति पर अभियान, टेक होम राशन की आपूर्ति, जैसे जनकल्याण के कार्यक्रम महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कराए जाएँगे।
राज्य में सभी ग्राम पंचायतों में जन्म-मृत्यु पंजीकरण व परिवार रजिस्टर पंजीकरण की ऑनलाइन सुविधा प्रदान की गई है। राज्य में 5904 देवभूमि जन सेवा केन्द्र स्थापित किये गए हैं, जिनसे ई-डिस्ट्रिक्ट की 14 सेवाएँ जुड़ी हैं। पी.एम.जी.डी.आई.एस.एच.ए. के तहत 32000 को ट्रेनिंग दी गई है। पंचायत स्तर पर भीम एप के प्रचार के लिये शिविर लगाए गए। ग्रामीण क्षेत्रों में 900 वित्तीय साक्षरता शिविरों का आयोजन किया जा चुुका है। हल्द्वानी, हरिद्वार व देहरादून में डिजि धन मेले आयोजित किये गए। उज्जवला योजना के तहत 8,817 गैस कनेक्शन तीन महीनों में जारी किये गए। सेतु-भारतम योजना के अन्तर्गत मार्च, 2017 में राज्य में 2 आर.ओ.बी. के निर्माण के लिये केन्द्र की स्वीकृति मिली है। देहरादून, हल्द्वानी एवं हरिद्वार को जल्द नई रिंग रोड मिलेगी।
गढ़वाल एवं कुमाऊँ की कनेक्टिविटी के लिये कंडी मार्ग को खोलने के लिये युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है और भारत सरकार से 22 सड़कों को राष्ट्रीय हाईवे बनाने के लिये भी सहमति मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि केन्द्र के सहयोग से राज्य में तीन महत्त्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना होने जा रही है, जिनमें NIFT, Central Institute of Plastics Engineering & Technology (CIPET) and Hospitality University प्रमुख है। इसके साथ ही राज्य में एक आई.टी. पार्क की भी स्थापना केन्द्र सरकार के सहयोग से की जा रही है। केन्द्र सरकार ने देहरादून को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिये भी चुन लिया है, जिसके लिये राज्य सरकार द्वारा अलग से मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्मार्ट सिटी की तैनाती की गई है।
कुल मिलाकर जितने भी विकास के कार्यों की मुख्यमंत्री श्री रावत ने वकालत की और खुशी जाहिर की कि अब उनका राज्य विकास के पथ पर अग्रसर होने जा रहा है जैसी योजनाओं में जल संरक्षण व वन संरक्षण की कोई गुंजाइश ही नहीं दिखाई दी। बजाय सम्पूर्ण योजनाओं में प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन पर ही वे अपना वक्तव्य फोकस करते रहे। यह तो समय ही बता पाएगा कि जल संरक्षण व दोहन के नफा-नुकसान किस तरह से सामने आएगा, परन्तु साल 2013 की आपदा से वे इस प्रेसवार्ता में कोई इत्तेफाक नहीं रखते। क्योंकि ‘नमामि गंगे’ उनकी प्रेसवार्ता का हिस्सा नहीं बन पाया।