गंगा स्वच्छता के लिए जागरुकता आवश्यक

Submitted by Editorial Team on Tue, 06/04/2019 - 12:42
Source
राष्ट्रीय सहारा, देहरादून, 04 जून 2019

गंगा की अवरिता तथा निर्मलता व अस्मिता को छिन्न- भिन्न करने के लिए राजनेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। गंगा अपनी सफाई खुद कर लेती है। यह कार्य अनादि काल से होता आ रहा है। जिसके लिए बजट निर्गत करने की जरूरत है। इसके बाद भी गंगा की स्वच्छता खत्म हो रही है। इसके लिए लोगों को भी जागरुक होने की जरूरत है। 

सोमवार को पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर एक होटल में जल बिरादरी की बैठक में गंगा अविरल यात्रा संदेश कार्यक्रम में वक्ताओं ने यह बात कही। गंगा अविरल यात्रा संदेश 23 मई केदारनाथ से शुरू होकर आज द्रोण होटल में संपन्न की गई। इस मौके पर जलपुरुष राजेंद्र सिंह, मोहन सिंह, सुनील काला, बीपी मैठानी, भगवती प्रसाद भट्ट, लक्ष्मीप्रसाद थपलियाल तथा अन्य कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विभिन्न जल संगठनों जुड़े बुद्धिजीवी, समाजसेवी, पत्रकार और विभिन्न पार्टियों से जुड़ लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम में यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि गंगा की अविरलता और निर्मलता को छिन्न-भिन्न करने में राजनेताओं ने कोई असर नहीं छोड़ी है। 22 हजार करोड़ का बजट गंगा सफाई के नाम पर ठिकाने लगा दिया गया। 

इस अवसर पर भोपाल सिंह चौधरी ने कहा कि गंगा प्रतिवर्ष अपनी सफाई स्वयं कर लेती है। इसके लिए बजट निर्गत करने की जरूरत नहीं है। यह कार्य आदि अनादि काल से होता आ रहा है। मोहन सिंह गांववासी ने कहा कि यह सवाल विचारणीय है कि गंगा अविरल थी और इसकी स्वच्छता को कौन खंडित कर रहा है। आखिर इसकी सफाई की आवश्यकता ही क्यों पड़ी। गंगा को स्वच्छ रखने के लिए जनजागरुकता बेहद जरूरी है। कार्यक्रम के संयोजक सुशील बहुगुणा ने कहा कि गंगा को साफ करने के लिए बजट की नहीं गंगा को गंदा न किए जाने की आवश्यकता है। आरटीआई क्लब के अध्यक्ष बीपी मैथानी ने कहा कि पर्यावरण संतुलन के लिए गंगा ही नहीं बल्कि विश्व की समस्त नदियां साफ और स्वच्छ होनी चाहिए।  

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