पहले से ही हम पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अनेकों कदम उठा रहे हैं। ऐसी दशा में पर्यावरण संरक्षण के नाम पर गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा।
देहरादून। इको सेन्सिटिव जोन उत्तरकाशी के बारे में मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया कि केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मौजूदा मसौदे पर एतराज दर्ज किया जायेगा। उत्तरकाशी से गोमुख तक रहने वाले लोगों के हितों की अनदेखी नहीं होने दी जायेगी। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पहले ही भारत सरकार से अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। मुख्य सचिव ने सभी सबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे हर हाल में ड्राफ्ट के बारे में अपनी आपत्तियां अगले 22 जुलाई 2011 तक प्रस्तुत करें। इन आपत्तियों को संकलित कर उत्तराखण्ड सरकार का पक्ष वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा जायेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि गंगा नदी के बीच से दोनों ओर 100 मीटर के दायरे में गतिविधियों पर रोक लगाये जाने पर उत्तरकाशी का जन जीवन प्रभावित होगा।
साथ ही उनकी जीविका पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। विकास कार्यो को हम आगे नहीं बढा पायेंगे। 25 मेगावाट से ऊपर जल विद्युत का उत्पादन नहीं कर पायेंगे। इसलिए तय किया गया कि इस मसौदे का पुरजोर विरोध किया जाय। मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग है। पहले से ही हम पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अनेकों कदम उठा रहे हैं। ऐसी दशा में पर्यावरण संरक्षण के नाम पर गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा। पारस्थितिकीय संतुलन बनाने में उत्तराखण्ड का अहम रोल है। उन्होंने कहा कि जन सुविधाओं और विकास कार्यो की राह में ऐसे प्रतिबंध आड़े नहीं आने चाहिए।
बैठक में प्रमुख सचिव पर्यटन राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव लोनिवि उत्पल कुमार सिंह, प्रमुख वन्य संरक्षक आर.बी.एस. रावत, सचिव ऊर्जा डॉ. उमाकांत पंवार, अपर सचिव अरविंद सिंह ह्यांकि, एम.सी. उप्रेती आदि वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।