कसूरी सुगन्धित मेथी है। इसके पौधों की ऊँचाई तकरीबन 46 से 56 सेंटीमीटर तक होती है। इस की बढ़वार धीमी और पत्तियाँ छोटे आकार के गुच्छे में होती हैं। पत्तियों का रंग हल्का हरा होता है। फूल चमकदार नारंगी पीले रंग के आते हैं। फली का आकार 2-3 सेंटीमीटर और आकृति हंसिए जैसी होती है। बीज अपेक्षाकृत छोटे होते हैं।
भारत में कसूरी मेथी की खेती कुमारगंज, फैजाबाद (उत्तर प्रदेश) और नागौर (राजस्थान) में अधिक क्षेत्र में की जाती है। आज नागौर दुनियाभर में सब से अधिक कसूरी मेथी उगाने वाला जिला बन गया है। अच्छी सुगन्धित मेथी नागौर जिले से ही आती है और यहीं पर यह करोबारी रूप में पैदा की जाती है और इसी वजह से यह मारवाड़ी मेथी के नाम से भी जानी जाती है।
कसूरी मेथी की अच्छी उपज के लिए हल्की मिट्टी में कम व भारी मिट्टी में अधिक जुताई कर के खेत को तैयार करना चाहिए।
1. उन्नत किस्में - कसूरी मेथी की प्रचलित किस्में पूसा कसूरी व नागौरी या मारवाड़ी मेथी है।
2. बोआई का समय - कसूरी मेथी की बोआई के लिए सही समय 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर है। अगर कसूरी मेथी को बीज के लिए उगाना है तो इसे सितम्बर से नवम्बर तक बोया जा सकता है।
3. बीज दर - छिटकवां विधि से कसूरी मेथी की बोज दर 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और कतार विधि से 30 से 35 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है।
4. बीजोपचार - कसूरी मेथी की अच्छी उपज लेने के लिए बीजोपचार जरूरी है। एक दिन पहले पानी में भिगोने पर जमाव में बढ़ोत्तरी होती है। 50 से 100 पीपेम साइकोसिल घोल में भिगोने पर जमाव में बढ़ोत्तरी और अच्छी बढ़वार होती है। बोने से पहले राइजोबियम कल्वर से बीज को जरूर शोधित करें।
5. बोआई का अन्तराल व विधि - कसूरी मेथी बोने की 2 विधियाँ प्रचलित हैं:-
- छिड़काव विधि
इस में सुविधानुसार क्यारियाँ बनाई जाती हैं, फिर बीजों को एक समान रूप से छिटक कर मिट्टी से हल्का-हल्का ढक देते हैं।
- कतार विधि
इस विधि में 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर कतरों में बोआई करते हैं। पौधे से पौधे की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखी जाती है, जबकि बीज की गहराई 2-3 सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
6. सिंचाई - कसूरी मेथी की बोआई के तुरन्त बाद सिंचाई करनी चाहिए इसके बाद 10 से 15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिए। फूल और बीज बनते समय मिट्टी में सही नमी होनी चाहिए।
7. खरपतवार नियंत्रण - कसूरी मेथी की खेती मुख्यतः पत्तियों की कटाई के लिए की जाती है। बोआई के 15 दिन बाद और पत्तियों की कटाई करने से पहले खरपतवारों को हाथ से निकाल देना चाहिए।