कुहरा या कोहरा (Fog)

Submitted by Hindi on Thu, 04/28/2011 - 15:45
वायुमंडल की निचली परत में विद्यमान छोटी-छोटी जल की बूंदों, धुआँ अथवा धूलिकणों की सघन राशि जिससे अदृश्यता उपस्थित होती है। मौसम विज्ञान में सामान्यतः उस अदृश्यता को कुहरा माना जाता है जिसमें एक किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित वस्तु दृष्टिगोचर नहीं होती है। भूपृष्ठ के ऊपर वायुमंडल के निम्नतर परत में वायु के ओसांक से नीचे तक शीतल हो जाने पर वायु में विद्यमान जलवाष्प के संघनन से सामान्यतः कुहरा उत्पन्न होता है। इसके लिए पवन का अति मंद होना तथा रात में स्वच्छ आकाश का होना आवश्यक दशाएँ होती है।

सामान्यतः कुहरा की सर्वाधिक सघनता सूर्योदय के पश्चात् होती है और यह दोपहर तक या इसके पहले ही बिखर जाता है किन्तु शीत ऋतु में यह कई दिनों तक उपस्थित रह सकता है। शीतल सतह के ऊपर आर्द्र वायु के प्रवाह से अथवा किसी आर्द्र वायुराशि से अपेक्षाकृत शीतल वायु राशि के मिलने पर भी कुहरा उत्पन्न हो सकता है। स्थलीय कुहरा मुख्यतः शीत तथा शरद ऋतु में और सागरीय कुहरा मुख्यतः ग्रीष्म और बसंत ऋतु में उत्पन्न होते हैं। सागरीय कुहरा अभिवहन कुहरा (advection fog) का एक प्रकार है जो अधिकांशतः ठंडी महासागरीय धाराओं के क्षेत्र में पाया जाता है। कुहरे की मोटाई में अत्यधिक भिन्नता मिलती है किन्तु यह प्रायः 300 मीटर से कम होती है।

धूम्र कुहरा मुख्यतः धूम्र कणों की उपस्थिति के कारण उत्पन्न होता है जिसमें अदृश्यता कम होती है। यह औद्योगिक क्षेत्रों में कारखानों तथा आवासीय क्षेत्रों में घरेलू चिमनियों से निकलने वाले धुंए के कारण उत्पन्न होता है। इन क्षेत्रों में धुआं तथा जल बिन्दुओं के मिश्रण से भी घटिया प्रकार के कुहरा का उद्भव होता है। मरुस्थलीय प्रदेशों में धूलिकणों की उपस्थिति से धूलि कुहरा (dust fog) उत्पन्न होता है।

कोहरा, वर्षा और हिम


हम जानते हैं कि जब आर्द्र हवा ऊपर उठकर ठंडी होती है तब जलवाष्प संघनित होकर जल की सूक्ष्म बूंदें बनाती है। कभी-कभी अनुकूल परिस्थितियों में हवा के बिना ऊपर उठे ही जलवाष्प जल की नन्हीं बूंदों में बदल जाती है तब हम इसे कोहरा कहते हैं।

अधिक ऊंचाई पर यानी पहाड़ी क्षेत्रों में कोहरा छाना सामान्य घटना है। ऐसे क्षेत्रों में कोहरे का बनना भूमि सतह पर बनने वाले बादलों से अलग नहीं होता है क्योंकि आर्द्र हवा पहाड़ी ढलान पर ऊपर की ओर उठकर ठंडी और संघनित होती है। मैदानी भागों में कोहरा अधिकतर सर्दियों के दिनों में तापमान के ओसांक से कम होने पर बनता है। ओसांक वह तापमान है जिस पर हवा आगे और ठंडी होने पर अतिरिक्त नमी या बिना दाब में परिवर्तन के संतृप्त हो जाती है।

मौसम वैज्ञानिकों ने कोहरे को निम्न चार प्रकारों में वर्गीकृत किया हैः विकिरण कोहरा, अभिवहन (एडविक्शन) कोहरा, पहाड़ी कोहरा और तटीय कोहरा। कोहरे के ये चारों प्रकार सड़क यातायात, वायु यातायात और समुद्री यातायात में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। सन् 1912 में घटित ‘टाइटेनिक दुर्घटना’ कोहरे का ही दुष्परिणाम थी।

स्वच्छ शांत रात के समय भूमि की ऊष्मा विकिरण द्वारा मुक्त होकर, ठंडी होने पर विकिरण कोहरे का निर्माण करती है। इस प्रकार भूमि के समीप की हवा संतृप्त बिंदु तक ठंडी होकर कोहरे का निर्माण करती है। अक्सर कोहरा भूमि के समीप ही सीमित होता है किन्तु कभी-कभी कोहरा अधिक घना और रात भर छाया रहता है। सुबह होने के बाद सौर विकिरण कोहरे को छितरा कर धरती तक पहुंचती है जिससे कोहरा छटने लगता है। भूमि के गर्म होने पर इसके पास वाली वायुमंडल की पर्त भी गर्म हो जाती है। जिसके कारण हवा का तापमान इतना हो जाता है कि कोहरे की सूक्ष्म जल बूंदें वाष्पित होकर दृश्यता में वृद्धि करती है।

अभिवहन कोहरा उस समय उत्पन्न होता है जब अत्यंत आर्द्र हवा ठंडी सतह के ऊपर बहती है। इस प्रकार की घटना उत्तरी अक्षांशों में वसंत ऋतु के आरंभिक दिनों में जब ठंडी दक्षिण-पश्चिमी हवाएं बर्फीली सतह के ऊपर से गुजरती है तब घटित होती है। इससे हवा की निचली पर्त जल्दी से ठंडी होकर कोहरे के बनने के लिए आवश्यक तापमान तक ठंडी हो जाती है।

पहाड़ी कोहरे के नाम से ही स्पष्ट है कि यह कोहरा तब बनता है जब नम आर्द्र हवा पहाड़ी या पहाड़ों की श्रृंखला पर चढ़ती है। पहाड़ों की ओर चलने वाली पवनों की दिशा में हवा ठंडी होती है। यदि हवा संतृप्त हो जाती है तब बादल बनते हैं पहाड़ी के शिखर के नीचे ये बादल कोहरे में बदल जाते हैं।

तटीय कोहरा अधिकतर तटीय क्षेत्रों में बनता है। यह कोहरा विशेषकर उत्तरी अक्षांशों में जब आर्द्र हवा ठंडे सागर से गुजरने पर संतृप्त बिंदु तक ठंडी हो जाती है तब तटीय क्षेत्रों में छा जाता है। इस प्रकार का कोहरा वसंत और गर्मियों के दिनों में बनता है जो दक्षिणी-पश्चिमी और उत्तरी सागर तटीय क्षेत्रों को प्रभावित करता है।

कोहरा और कुहासा दोनों हवा के निलंबित कणों पर जल की सूक्ष्म बूंदों से बने होते हैं। इनमें जल की सूक्ष्म बूंदों के घनत्व के कारण अंतर होता है। कुहासे की तुलना में कोहरे में जल की सूक्ष्म बूंदें अधिक होती हैं। कोहरे की एक परिभाषा के अनुसार कोहरे में दृश्यता सीमा 1,000 मीटर से कम रह जाती है। यह सीमा हवाई यातायात व्यवस्था के लिए उचित है लेकिन आम जनता और वाहनों के लिए दृश्यता की 200 मीटर अधिकतम सीमा अधिक महत्वपूर्ण है। दृश्यता के 50 मीटर के कम हो जाने पर यातायात संबंधी अनेक अवरोध उत्पन्न होते हैं।

अन्य स्रोतों से

सावधान! कोहरे से ( लिमटी खरे, प्रवक्ता.कॉम)


दिसंबर की हाड गलाने वाली ठण्ड के आते ही आवागमन ठहर सा जाता है। वैसे तो समूचे भारत में कोहरे की मार इन दिनों में जबर्दस्त होती है, किन्तु उत्तर भारत विशेषकर आगरा के आगे के इलाकों में कोहरा शनै: शनै: बढता ही जाता है। कोहरे के कारण जन जीवन थम सा जाता है।

आंकडों के अनुसार सडक दुर्घटनाओं में साल दर साल मरने वालों की संख्या में बढोत्तरी के लिए कोहरा एक प्रमुख कारक के तौर पर सामने आया है। अमूमन नवंबर के अंतिम सप्ताह से फरवरी के पहले सप्ताह तक उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्र काहरे की चादर लपेटे हुए रहते हैं।

कोहरे के चलते कहीं कहीं तो दृश्यता (विजीबिलटी) शून्य तक हो जाती है। रात हो या दिन वाहनों की तेज लाईट भी बहुत करीब आने पर चिमनी की तरह ही प्रतीत होती है। यही कारण है कि घने कोहरे के कारण सर्दी के मौसम में सडक दुर्घटनाओं में तेजी से इजाफा होता है।

कोहरे के बारे में प्रचलित तथ्यों के अनुसार सापेक्षिक आद्रता सौ फीसदी होने पर हवा में जलवाष्प की मात्रा एकदम स्थिर हो जाती है। इसमें अतिरिक्त जलवाष्प के शामिल होने अथवा तापमान में और अधिक कमी होने से संघनन आरंभ हो जाता है। इस तरह जलवाष्प की संघनित सूक्ष्म सूक्ष्म पानी की बूंदें इकट्ठी होकर कोहरे के रूप में फैल जातीं हैं।

पानी की एक छोटी सी बूंद के सौंवे हिस्से को संघनन न्यूक्लियाई अथवा क्लाउड सीड भी कहा जाता है। धूल मिट्टी के साथ तमाम प्रदूषण फैलाने वाले तत्व क्क्लाउड सीड की सतह पर आकर एकत्र होते हैं, और इस तरह होता है कोहरे का निर्माण। वैज्ञानिकों के अनुसार यदि वायूमण्डल में इन सूक्ष्म कणों की संख्या बहुत ज्यादा हो तो सापेक्षिक आद्रता शत प्रतिशत से कम होने के बावजूद भी जलवाष्प का संघनन आरंभ हो जाता है।

दरअसल बूंदों के रूप में संघनित जलवाष्प के बादल रूपी झुंड को कोहरे की संज्ञा दी गई है। कोहरा वायूमण्डल में भूमि की सतह से कुछ उपर उठकर फैला होता है। कोहरे में आसपास की चीजें बहुत ही कम दिखाई पडती हैं, कहीं कहीं तो विजिबिलटी शून्य तक हो जाती है।

देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में दिसंबर से फरवरी तक आवागमन के साधन निर्धारित समय से देरी से ही या तो आरंभ होते हैं अथवा पहुंचते हैं। इसका प्रमुख कारण कोहरा ही है।

दरअसल प्रदूषण भी कोहरे के बढने के लिए उपजाउ माहौल पैदा कर रहा है। आंकडे बताते हैं कि 1980 के दशक में देश में घने कोहरे का औसत समय आधे घंटे था, जो बढकर 1995 में एक घंटा और फिर गुणोत्तर तरीके से बढते हुए 2 से 4 घंटे तक पहुंच गया है। जानकारों का मानना है कि साठ के दशक के उपरांत आज घने कोहरे का समय लगभग बीस गुना बढ चुका है।

विडम्बना ही कही जाएगी कि इक्कीसवीं सदी में भी भारत ने कोहरे से निपटने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना अब नहीं बना सकी है। माना जाता है कि सरकार इस समस्या को साल भर में एक से डेढ माह की समस्या मानकर ही छोड देती है, जबकि वास्तविकता यह है कि कोहरे के चलते देश में हर साल आवागमन के दौरान होने वाली मौतों में से 4 फीसदी मौतें पुअर विजिबिलटी के कारण होती हैं।

विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)
कोहरा (अंग्रेज़ी:फ़ॉग) प्रायः ठंडी आर्द्र हवा में बनता है और इसके अस्तित्व में आने की प्रक्रिया बादलों जैसी ही होती है। गर्म हवा की अपेक्षा ठंडी हवा अधिक नमी लेने में सक्षम होती है और वाष्पन के द्वारा यह नमी ग्रहण करती है।[1] ये वह बादल होता है जो भूमि के निकट बनता है। यानि एक बादल का वह भाग जो भूमि के ऊपर हवा में ठहरा हुआ हो कोहरा नहीं होता बल्कि बादल का वह भाग जो ऊपरी भूमि के संपर्क में आता है, कोहरा कहलाता है। इसके अतिरिक्त कोहरा कई अन्य तरीकों से भी बनता है। लेकिन अधिकांश कोहरे दो श्रेणियों, एडवेक्शन फॉग और रेडिएशन फॉग में बदल जाते हैं। दोनों ही प्रकार में कोहरा आम हवा से अधिक ठंडा महसूस होता है। ऐसा उसमें भरी हुई नमी के कणों के कारण होता है।

वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
हिन्दी में - कुहासा, कोहरा.

Bengali: কুজ্ঝটি, কুহেলী.

Telugu: పొగమంచు, కాపు.

Marathi: अंधार, धुके.

Tamil: மூடுபனி, மூடு பனி.

Urdu: دھند, دھُند.

Gujarati: ધુમ્મસ, નીહાર.

Kannada: ಕಾವಳ, ಇಬ್ಬನಿ.

Malayalam: മൂടല്‍മഞ്ഞ്, മഞ്ഞ് കൊണ്ട് മൂടുക.

Assamese: কুঁৱলী, কুহেলিকা.

शब्द रोमन में
Koohara, Kuhara