नवीन पालीवाल, नैनीताल, हिन्दुस्तान 13 मई 2019
कुमाऊं के जंगलों की आग हवाओं में जहर घोल रही हैं। महज तीन दिन में पहाड़ी क्षेत्रों में ब्लैक कार्बन और कार्बन मोनो ऑक्साइड का स्तर 15 गुना तक बढ़ गया है। एरीज वैज्ञानिकों के मुताबिक ब्लैक कार्बन का ऊंचा स्तर पहली बार बढ़ा है।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान एवं शोध संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह ने बताया कि जंगल में आग की घटनाओं से पहले पहाड़ में ब्लैक कार्बन का स्तर एक माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। इस क्षेत्र में इसका स्तर सामान्यत: 1-2 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहता है। जंगलों की आग के बाद यह 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है।
पहली बार 15 माइक्रोग्राम का स्तर पार: कुछ सालों में यह पहला मौका है, जब ब्लैक कार्बन इतनी तेजी से बढ़ा है। जंगल में आग के बाद आए धुएं से वातावरण में कार्बन-डाई-ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड समेत कई जहरीली गैस बढ़ गई हैं। कुमाऊं में इससे पहले 10-12 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक बढ़ने का रिकॉर्ड है।
यह होगा असर : ये जहरीली गैसें तेजी से वायुमंडल में घुलीं तो लोगों की सेहत के साथ ग्लेशियर भी प्रभावित होंगे। इससे फेफड़े और स्वांस संबंधी दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
धधकते जंगल
ब्लैक कार्बन जीवाश्म ईंधन, लकड़ी के अपूर्ण दहन पर निकलने वाला धूम्र कण है। इससे वायुमंडल का ताप बढ़ता है। यह उत्सर्जन के एक से दो सप्ताह तक स्थिर रहने वाला अल्पकालिक प्रदूषक है। इसी अवधि में ब्लैक कार्बन जलवायु, हिमालयी क्षेत्र, कृषि और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है।
आग से वातावरण में खतरनाक पार्टिकल मॉल्यूकूलर (पीएम) 2.5 का स्तर भी बढ़ा है। वैज्ञानिकों के अनुसार धूल कण हवा में घुलने से इसका स्तर बढ़ा है। ये कण सांस के जरिए आसानी से फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। इन धूल कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर होता है।
ब्लैक कार्बन जीवाश्म ईंधन, लकड़ी के अपूर्ण दहन पर निकलने वाला धूम्र कण है। इससे वायुमंडल का ताप बढ़ता है। यह उत्सर्जन के एक से दो सप्ताह तक स्थिर रहने वाला अल्पकालिक प्रदूषक है। इसी अवधि में ब्लैक कार्बन जलवायु, हिमालयी क्षेत्र, कृषि और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है।
वनाग्नि से हवा में ब्लैक कार्बन की मात्रा 15 गुना बढ़ी है। इससे मोनो ऑक्साइड जैसी जहरीली गैस पैदा होती है। इन गैसों का अधिक समय तक रहना खतरनाक है।