हिम गर्तिकाः
किसी शैल या अपरदी पदार्थ में एक छिद्र या गर्त जिसके भीतरी भाग की आकृति केटली सदृश होती है। इस प्रकार के छिद्र या गर्त बड़े विचित्र ढंग से निर्मित होते हैं। भू-विज्ञानियों का ऐसा मत है कि जब हिमनद के सामान्य गलन से उसका कोई खंड अलग होकर अंशतः अवसादों से ढक जाता है और बाद में वह भी पूर्णरूप से पिघल कर अदृश्य हो जाता है तो उसके स्थान पर गर्त बन जाता है। ये गर्त छोटे से लेकर बहुत बड़े-बड़े आकार तक में मिलते हैं। बड़े गर्तों का स्थान कभी-कभी झीलें या तालाब ले लेते हैं और छोटे आकार के सूखे गर्त हिम-गर्तिकाएं कहलाती हैं।
- हिमनदीय अपोढ़ (glacial drift) में पाया जाने वाला एक वर्तुल गर्त, जो सामान्यतः जल से भरा होता है। यह गर्त एक ऐसी विलगित बर्फ-संहति से बनता है, जो पहले थी, परंतु बाद में धीरे-धीरे पिघल गई ।
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