1974 से हर साल विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जा रहा है। वैश्विक संकट बन चुके वायु प्रदूषण को रोकने के लिए इस बार की थीम ‘बीट एयर पाॅल्यूशन’ बनाई गई है। इस बार डब्ल्यूईडी की मेजबानी एशियाई देश चीन कर रहा है।
ऐसे हुई मनाने की शुरूआत
1972 में संयुक्त राष्ट्र की ओर से वैश्विक स्तर पर पर्यावरण की चिंता करते हुए विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की नींव रखी गई। इसकी शुरूआत स्वीडन की राजधानी स्टाॅकहोम में हुई। यहां दुनिया में पहली बार पर्यावरण सम्मेलन आयोजित हुआ।, जिसमें 119 देशों ने हिस्सा लिया। दो साल बाद 1974 में ओनली वन अर्थ थीम के साथ पहला विश्व पर्यावरण दिवस आयोजित किया गया गया। इस वैश्विक कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सामाजिक-राजनीतिक चेतना और वैश्विक सरकारों के माध्यम से पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के साथ ही प्रकृति और पृथ्वी के संरक्षण के केन्द्र में रखते हुए दुनिया के देशों में जागरूकता के स्तर को बढ़ाना था।
वायु प्रदूषण के कारक
वायु प्रदूषण से इस समय पूरा विश्व परेशान है। दुनिया की लगभग 91 प्रतिशत आबादी विषैली वायु की चपेट में है। रसोईयों और ईधनों की वजह से हर साल 30 लाख लोग मारे जाते हैं। सल्फर आक्साइड (कोयले और तेल के जलने से), ओजोन, कार्बन मोनोक्साइड आदि कारणों से वायु प्रदूषण फैलता है। कृषि प्रक्रिया से उत्सर्जित अमोनिया इन दिनों सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली गैस है।
ब्रिटेन में क्लाइमेट इमेरजंसी के समन्वयक ग्रेटा थनबर्ग ने कहा, आप कहते हैं अपने बच्चों को बहुत प्यार करते हैं, लेकिन उनकी आंखों के सामने ही उनका भविष्य चुरा रहे है। यह दुनिया के अस्तित्व पर संकट है और हमें इसे संकट के रूप में ही लेना होगा। अगर सिस्टम के भीतर समाधान ढ़ूढ़ना असंभव है, तो हमें सिस्टम बदलना चाहिए।
2017 में 50 लाख लोगों की मौत
स्टेट आफ ग्लोबल एयर 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, घर के भीतर या लंबे समय तक बाहरी वायु प्रदूषण से घिरे रहने की वजह से 2017 स्टोक, शुगर, हर्ट अटैक, फेफड़े के कैंसर या फेफड़े की पुरानी बीमारियों के कारण वैश्विक स्तर पर करीब 50 लाख लोगों की मौत हो गई। वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे के कारण दक्षिण एशियाई देशों के बच्चों की औसत उम्र में ढाई साल की कमी आई है। जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 20 महीने का है। भारत में वायु प्रदूषण से मौत का आंकड़ा स्वास्थ्य संबंधी कारणों से होने वाली मौत को लेकर तीसरा सबसे खतरनाक कारण है। 2017 में भारत में 12 लाख मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुईं।