आज जब पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है और हरियाली को लोग तरस रहे हैं। जंगल धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं बड़े शहरों में तो हालात यह है कि पौधे लगाने के लिए जगह तलाश करनी पड़ती है। ऐसे दौर में राजस्थान के जोधपुर निवासी अनोप भाम्बु के प्रकृति प्रेम का अनूठा जज्बा है । पर्यावरण एवं हरियाली से उन्हें इतना लगाव है कि वे जहां भी पौधों को लगाने के लिए जगह देखते हैं वहां पौधे लगाने की ठान लेते हैं। अब तक उन्होंने विद्यालय, गांव, मंदिर, घर-घर विभिन्न प्रजाति के छायादार, फूलदार और औषधीय प्रकृति के सैकड़ों पौधे लगा चुके हैं।
पदश्री हिमताराम भाम्बु व पर्यावरणविद श्याम सुंदर ज्याणी को आदर्श मानने वाले अनोप भाम्बु पौधों की देखरेख करने के लिए पेड़ मित्र बनाकर संरक्षण एव संवर्धन करने का कार्य भी करते है। भाम्बु जब भी किसी के घर जाते है तो अपने साथ पौधे साथ ले जाते है और रोपण करवाकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रेरित और जागरूक भी करते हैं। इसके साथ ही वह ग्राम पंचायत की तरफ से सड़क किनारे लगाए गए पौधों में वह रोजाना सुबह शाम पानी देते है।
पेशे से मजदूर अनोप भाम्बु के प्रकृति के प्रेम के जज्बे ने राज्य सरकार को भी कायल कर दिया ।साल 2020 में भाम्बु को अंतरास्ट्रीय जाट ससंद अवार्ड से पुरुस्कृत किया गया । तो अगले ही साल यानी 2021में राष्ट्रीय तेजा दर्शन महोत्सव पर्यावरण वानिकी के रूप में, जोधपुर रत्न और 2022 में पर्यावरण समान से नवाजा गया है। अनोप भाम्बु को मिले इस सम्मान ने आज उन्हें एक नई पहचान दी है आज उनके गांव में दिहाड़ी मजदूर के शख्स के रूप नही वृक्ष मित्र के रूप में जानते है