लाजवाब आपदा प्रबंधन योजना

Submitted by Hindi on Sat, 08/20/2016 - 12:52
Source
नवोदय टाइम्स, 14 अगस्त, 2016

.हमारी राज्य सरकारों ने देशभर में मूसलाधार बरसात और अभूतपूर्व बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिये जो तरीके अपनाए हैं, उसके लिये अवश्य ही उन्हें बधाई दी जानी चाहिए। पुल धराशायी हो रहे हैं, शहरों के शहर बाढ़ में डूबे हुए हैं, नदियाँ उफान पर हैं।

आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने हँसते हुए कहा, “दुनिया में एक भी देश ऐसा नहीं, जो इन गम्भीर आपदाओं को हमारे जैसे प्रोफेशनल ढंग से हैंडल कर सकता हो।”

‘यह क्या है?’ मैंने सड़क पर हमारी दिशा में आ रहे सफेद एम्बेसडर कारों के लम्बे काफिले को देखकर पूछा।

“यह हमारे माननीय मंत्री, सांसद और विधायक हैं, जो हवाई अड्डे की ओर जा रहे हैं ताकि किसी ऐसे देश में पर्यटन पर जा सकें, जहाँ कोई बाढ़ न हो और भारत में बाढ़ के बावजूद आप लोगों पर शासन चलता रहे। कितनी गजब की मानसिकता है?”

“आम आदमी का क्या बनेगा? क्या हम जैसे लोगों के लिये भी आपके पास कोई योजना है?” मैंने पूछा।

‘निश्चय ही है,’ अधिकारी ने कहा और साथ ही अपने चपरासी को इशारे से कार में से सामान उतारने को कहा, “मैंने प्रत्येक नागरिक के नाम एक व्हाट्सएप मैसेज भेजा है।”

मैंने कृतज्ञतापूर्वक कहा, “आप भाग्यशाली हैं कि सभी लोगों को आने वाले खतरे की सूचना देने के लिये तत्काल संदेश भेज सकते हैं।”

‘कोई आपदा नहीं आएगी,’ अधिकारी ने कहा और तभी चपरासी के साथ उनकी पत्नी कार में से उतर कर हमारे पास आ गई। वह अपने पीछे-पीछे एक भारी-भरकम बैग खींचे आ रही थी। मेरा ख्याल है इसमें उसकी सारी ज्वैलरी भरी होगी, आते ही उसने अधिकारी से कानाफूसी के अंदाज में कहा, “पतिदेव जी, जल्दी कीजिए। नहीं तो स्पेन की फ्लाइट निकल जाएगी।”

“कितनी लाजवाब योजना है आम आदमी को बचाने की?” मैंने बहुत जल्दी में दोहराया, जबकि अधिकारी ने अपने दराज में से एक कागज निकाला और इसे खोलकर मेरे लिये पढ़ने लगाः “यह देखो, मैंने प्रत्येक नागरिक को आदेश जारी कर दिया है कि वे बिना नागा मंदिर, गिरजा मस्जिद और गुरुद्वारे जाएं तथा बारिश थमने और बाढ़ के कम होने के लिये तत्काल प्रार्थना करें।”

“क्या यही है आपकी प्रबंधन योजना?” मैंने अविश्वसनीय ढंग से धीरे से कहा।

“क्या सचमुच ही यह लाजवाब नहीं?” अधिकारी ने कहा और अपनी कार की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया, “जरा यह कल्पना करें कि किस देश में इस प्रकार की तैयार-ब-तैयार योजना है?”“तो फिर आप देश छोड़कर स्पेन क्यों जा रहे हैं?” मैंने पूछा। आपदा प्रबंधन अधिकारी ने कहा, “बात दरअसल यूँ है कि मैंने प्रबंधन स्कूल में किसी जगह यह बात पढ़ी थी कि सभी अंडे एक ही टोकरी में मत रखें। इस तरह आप देखते हैं कि हम दूसरी टोकरी में रखे हुए अंडों की तरह हैं। सारी सरकारी मशीनरी और खुद मैं किसी सूखी जगह पर बैठकर यहाँ कि स्थिति की मॉनीटरिंग करेंगे और आप नागरिकों के बचाव की कार्रवाई को टी.वी. पर देखेंगे।”

मैंने देखा कि लोग तैरते हुए गिरजाघरों, मंदिरों, गुरुद्वारों और मस्जिदों तथा अन्य धार्मिक स्थानों की ओर जा रहे थे, जबकि सफेद अम्बेसडर कारें हमारे नेताओं को सूखी भूमि पर ले जाने के लिये हवाई अड्डे की ओर जा रही थीं। आपदा प्रबंधन अधिकारी ने तो मेरी ओर देखकर अपना हाथ लहराया और उसकी पत्नी ने मेरी ओर घूर कर देखा, जबकि मुझ पर बारिश की बूँदें थपेड़ों की तरह बरस रही थीं और बाढ़ का पानी मेरे गले तक आ गया था।

मैंने अपना हाथ उठाया और मरियल से अंदाज में अधिकारी का अभिवादन किया तथा उनकी अद्भुत आपदा प्रबंधन योजना के लिये उन्हें धन्यवाद दिया।