मानसून के लिए नदियों के जलस्तर की होगी निगरानी

Submitted by admin on Mon, 07/07/2014 - 13:27
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जनसत्ता, 07 जुलाई 2014

दक्षिणी राज्यों में कृष्णा घाटी के दक्षिण में बहने वाली कावेरी, पेन्नार और अन्य नदियों की व्यापक निगरानी 1 जून से 31 दिसंबर तक सात माह के लिए की जाएगी। सीडब्ल्यूसी के स्रोतों ने कहा, हम अपने बाढ़ भविष्यवाणी केंद्रों की मदद से साल भर में प्रतिदिन तीन बार जलस्तरों की निगरानी करते हैं। लेकन बाढ़ तैयारी अवधि का महत्व यह है कि जलस्तरों का निरीक्षण प्रति घंटे के आधार पर किया जाता है।

पिछले कई साल से बिगड़े हुए मानसून के चलते केंद्रीय जल आयोग ने अपने बाढ़ तैयारी अवधि जल आयोग ने अपने बाढ़ तैयारी अवधि (एफपीपी) में सुधार किया है। यह वह अवधि है, जिसमें वे अंतरराज्यीय नदियों के जलस्तर की निगरानी प्रति घंटे के आधार पर करते हैं, ताकि जिलों को समय रहते चेतावनी दी जा सके।

मानसून के मौसम के दौरान बाढ़ की कोई भी चेतावनी जिला प्रशासनों को जारी करने में आयोग एक अहम भूमिका निभाता है। इससे प्रशासन को संवेदनशील इलाकों से लोगों को निकालने और अन्य त्वरित उपाय करने में मदद मिलती है।

सीवीसी की अधिसूचना में कहा गया कि उत्तरी पूर्वी और पश्चिमी राज्यों के लिए एफपीपी को आधुनिक बनाया जा चुका है और उसे 30 से ज्यादा दिन तक के लिए विस्तार दिया जा चुका है। दक्षिण भारत की ओर बहने वाली नदियों के लिए इसे साल के अंत तक बढ़ाया जा चुका है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के तहत आने वाले ब्रह्मपुत्र घाटी के लिए एफपीपी को संशोधित करके इस साल की एक मई से 31 अक्तूबर तक कर दिया गया है। फिलहाल यह अवधि 15 मई से 15 अक्तूबर तक की है।

दिल्ली समेत भारत के उत्तरी और पश्चिमी राज्यों की नदी घाटियों के लिए एफपीपी को 1 जून से 31 अक्तूबर तक रखने का फैसला किया गया है। इससे पहले यमुना घाटी का एफपीपी 1 जुलाई से 30 सितंबर तक रखा गया था।

दक्षिणी राज्यों में कृष्णा घाटी के दक्षिण में बहने वाली कावेरी, पेन्नार और अन्य नदियों की व्यापक निगरानी 1 जून से 31 दिसंबर तक सात माह के लिए की जाएगी। सीडब्ल्यूसी के स्रोतों ने कहा, हम अपने बाढ़ भविष्यवाणी केंद्रों की मदद से साल भर में प्रतिदिन तीन बार जलस्तरों की निगरानी करते हैं। लेकन बाढ़ तैयारी अवधि का महत्व यह है कि जलस्तरों का निरीक्षण प्रति घंटे के आधार पर किया जाता है।

उन्होंने कहा, हम जिला प्रशासनों को बाढ़ आने की चेतावनियां विभिन्न माध्यमों के जरिए देते हैं। देशभर में विभिन्न अंतरराज्यीय नदी घाटियों में सीडब्ल्यूसी के कुल 175 बाढ़ भविष्यवाणी स्टेशन बने हैं।