मरीचिका (Mirage or fatamorgana)

Submitted by Hindi on Tue, 05/10/2011 - 13:56
एक प्रकार का दृष्टि भ्रम जिससे दूरस्थ वस्तुओं के प्रतिविम्ब विकृत दिखाई पड़ते हैं। विभिन्न घनत्व वाली वायु की परतों से गुजरने वाली प्रकाश की किरणों के अपवर्तन (refraction) या मुड़ जाने सा भूमि के निकट गर्म वायु की परतें झिलमिलाते हुए जलाशय के समान दिखाई पड़ती है। इसे मरीचिका कहते हैं।

भिन्न-भिन्न प्रदेशों में विविध प्रकार की मरीचिका दिखाई पड़ती है। गर्म मरुस्थलों या अन्य गर्म भागों में धरातल के अधिक गर्म हो जाने पर उसके ऊपर विभिन्न घनत्व वाली वायु की परतें बन जाती हैं जिनसे सूर्य की किरणों के अपवर्तन से जल के झिलमिलाते हुए जलाशय का भ्रम होता है। गर्म प्रदेशों में मृग (जंगली पशु) इन मरीचिकाओं को जल समझ कर इनके पीछे दौड़ते रहते हैं क्योंकि निकट पहुंचने पर ये और आगे दिखाई पड़ती हैं तथा कभी भी मिल नहीं पाती हैं। अतः इसे मृग मरीचिका भी कहते हैं। निम्न तथा मध्य अक्षांशों में उत्पन्न मरीचिका को निम्न कोटि की मरीचिका (inferior mirage) कहते हैं।

उच्चकोटि की मरीचिका (superior mirage) उच्च अक्षांशों में हिमाच्छादित धरातल पर दिखाई पड़ती हैं। यहां हिमाच्छादित धरातल (हिमटोप) पर अतिशीतल सघन वायु की परत नीचे होती है। और उसके ऊपर अपेक्षाकृत गर्म तथा हल्की वायु परत पायी जाती है। जिसके कारण प्रकाश की किरणें नीचे की ओर झुक जाती हैं और दूरवर्ती वस्तुओं के प्रतिविम्ब नजदीक प्रतीत होते हैं तथा वस्तुएं उलटी हुई दिखाई पड़ती है। इसके कारण जलयान या आइसवर्ग आकाश से लगे हुए प्रतीत होते हैं और सागर पर कुछ भी नहीं दिखाई पड़ता है।

गर्मी के दिनों में उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में तारकोल युक्त समतल सड़कों के अधिक गर्म हो जाने पर दूर से देखने पर उनके ऊपर जल फैले होने का भ्रम होता है। इनके अतिरिक्त एक भिन्न प्रकार की मरीचिका में वस्तुओं के दो प्रतिबिम्ब दिखाई पड़ते हैं।

अन्य स्रोतों से




वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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