नए पेट्रोल पम्पों के लिए गाइडलाइन, जल और मिट्टी का प्रदूषण रोकना होगा

Submitted by Shivendra on Sat, 12/07/2019 - 16:58

यह सर्वविदित है कि सभी पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल और डीजल के भंडारण के लिए भूमिगत टैंक बनाए जाते हैं। इन टैंकों या लाइन में रिसाव होने आदि से जल और मिट्टी प्रदूषित होती, जिसे रोकने के लिए अभी तक कोई गाइडलाइन नहीं थी, लेकिन अब नए पेट्रोल पंपों के लिए गाइडलाइन तैयार की गई है, जिसके तहत नए पेट्रोल पंपों को जल और मिट्टी का प्रदूषण रोकना होगा। साथ ही पेट्रोल पंप से निकलने वाले कचरे के प्रबंधन की व्यवस्था भी करनी होगी। नियमों का पालन न करने जुर्माना लगाने तक का प्रावधान किया गया है। नई गाइडलाइन के प्रारूप के कुछ बिंदु नीचे दिए गए हैं :- 

  1. चार मीटर तक भूजल स्तर वाले इलाकों में जल और मिट्टी के प्रदूषण को रोकने के लिए पेट्रोल पंप को दोहरी सुरक्षा करते हुए दोहरा टैंक या फिर ठोस कंक्रीट की दीवार वाला टैंक बनाना होगा।
  2. सभी नए पेट्रोल पंपों को स्कूल और अस्पताल से कम से कम दस बेड या 30 मीटर की दूरी रखनी होगी।
  3. पेट्रोल पंप के सभी नए रिटेल आउटलेट के लिए अंडरग्राउंड टैंक बनाना अनिवार्य होगा। साथ ही टैंक से जुड़े पाइप, पंप, कनेक्टर्स, फिटिंग आदि को आईएस स्टैंडर्ड का रखना होगा। टैंक और पंप को लीकेजमुक्त रखने की व्यवस्था भी पेट्रोल पंप को स्वयं करनी होगी। 
  4. यदि किसी कारण से फ्यूलिंग स्टेशन पर 165 लीटर/एक बैरल से ज्यादा डीजल, पेट्रोल या ल्यूब ऑयल लीकेज हो जाता है तो तत्काल रीटेल आउटलेट को बंद करना होगा। इसके बाद संबंधित ऑयल मार्केटिंग कंपनी द्वारा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पीईएसओ और जिला प्रशासन, सीपीसीबी को 24 घंटे के अंदर इसकी सूचना देनी होगी। लीकेज के लिए तेल कंपनी पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा पर्यावरणीय जुर्माना लगाया जाएगा। 
  5. जुर्माने का आकलन लीकेज के कारण मिट्टी और भू-जल के प्रदूषण व संबंधित साइट में सुधार के आधार पर होगा। जुर्माने का आकलन संबंधित कंपनी की ही नियुक्त की हुई एक्सपर्ट कमेटी करेगी, लेकिन कमेटी को संबंधित काम में सात वर्ष का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अनुभव होना चाहिए। 
  6. ऐसा लीकेज होने की स्थिति में पीईएसओ और राज्य प्रदूषण नियंत्राण बोर्ड पेट्रोल पंप को संचालित करने के लिए प्रमाण पत्र नहीं देगा, जब तक लीकेज वाली जगल की पूरी तरह सफाई सुनिश्चित नहीं हो जाती।
  7. सभी अंडरग्राउंड टैंक और पाइपलाइन की हर पांच साल में जांच की जाएगी। 
  8. अंडरग्राउंड टैंक से कचरा (स्लज) निकालना होगा और इसका निस्तारण खतरनाक कचरा प्रबंधन नियम 2016 के अनुरूप ही करना होगा। सफाई व्यवस्था और कचरा निस्तारण का पूरा रिकाॅर्ड भी पेट्रोल पंप को रखना होगा। 
  9. एक लाख की आबादी वाले शहर में 300 किलोलीटर एमएस प्रति माह क्षमता और 10 लाख की आबादी में 100 किलोलीटर एमएस प्रति माह क्षमता वाले पेट्रोल पंप को वैपर रिकवरी सिस्टम (वीआरएस) दिया जाएगा। ठीक प्रकार से संचालित न करने पर संबंधित पेट्रोल पंप पर वीआरएस की कीमत के बराबर जुर्माना लगाया जाएगा।
  10. इस वीआरएस के सही से संचालन की जिम्मेदारी संबंधित तेल कंपनी की होगी। 
  11. इसकी ऑनलाइन निगरानी की जायेगी कि वीआरएस सिस्टम संचालित हो रहा है या नहीं। 
  12. वीआरएस खराब होने पर 24 से 72 घंटों के अंदर इसे ठीक करना होगा। 
  13. ऐसे पेट्रोल पंप की साल में एक बार जांच की जाएगी, जहां दस लाख की आबादी में 300 किलोलीटर एमएस प्रति माह या उससे अधिक की बिक्री की जा रही है। जांच के दौरान यह देखा जाएगा कि पेट्रोल पंप नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं। इसके बाद रिपोर्ट राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दी जाएगी। 
  14. डाउन टू अर्थ में प्रकाशित लेख के अुनसार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वायु गुणवत्ता प्रबंधन अधिकारी वीके शुक्ला ने बताया कि यह विशेषज्ञ समिति की ओर से गाइडलाइन का निर्णायक प्रारूप तैयार हो चुका है। हालांकि, सुझाव और आपत्तियों के लिए दो सितंबर तक की मोहलत है। यह नए पेट्रोल पंपों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तैयार किया गया है।

 

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