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कुरुक्षेत्र, फरवरी 2013
अलवर जिले की नीमराना पंचायत समिति की 900 घरों और 4500 के करीब आबादी वाली ग्राम पंचायत रैवाणा ऐसा गांव है जिसने राज्य ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर निर्मल गांव के रूप में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। अरावली पर्वत शृंखला की तलहटी में बसे गांव रैवाणा तथा तलवाणा की एक ही ग्राम पंचायत है। एनएच-8 पर स्थित औद्योगिक नगरी नीमराना से नारनौल को जाने वाली मुख्य सड़क रैवाणा गांव के बीच से होकर निकलती है। राष्ट्रीय स्तर पर ग्राम पंचायत रैवाणा की पहचान तब बनी जब राजस्थान की 32 निर्मल ग्राम पंचायतों की सूची में इसका नाम आया और यहां के सरपंच मेदाराम यादव को मार्च 2012 में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया गया।अलवर जिले की नीमराना पंचायत समिति की राष्ट्रीय स्तर पर ग्राम पंचायत रैवाणा की पहचान तब बनी जब राजस्थान की 32 निर्मल ग्राम पंचायतों की सूची में इसका नाम आया और यहां के सरपंच मेदाराम यादव को मार्च 2012 में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया गया। रैवाणा और तलवाणा दोनों ही गांवों के सभी रास्ते सी.सी. रोड तथा ईंट खुरा द्वारा निर्मित हैं। बेहद स्वच्छता की पहचान तो यह है कि इतनी आबादी होने के बाद भी गांव की नालियों में तथा रास्तों में पानी फैला हुआ कहीं भी नजर नहीं आता। जब मैंने सरपंच मेदाराम यादव से पूछा कि घरों में रोजाना प्रयोग किए जाने वाला पानी जाता कहां है, तो सरपंच ने बताया कि प्रत्येक घर के सामने 20 फिट गहरा सोख्ता गड्ढा बनाया गया है। नाली द्वारा प्रत्येक का जल उस गड्ढे में चला जाता है और उस गड्ढे को ईंटों से पक्का करके ढककर रास्ते को समतल कर दिया गया। इसके अलावा गांव के प्रत्येक घर में शौचालय आवश्यक रूप से बनाया गया है। बीपीएल परिवारों के घर में ग्राम पंचायत के सहयोग से तथा अन्य ने अपने खर्चे पर बनाए हैं। सभी घरों में मटकी से पानी पीने के लिए डंडी वाले लोटे का प्रयोग किया जाता है। गांव में जगह-जगह दीवारों और बिजली के पोल पर ‘बीमारी दूर भगाओ, शौचालय अपनाओ’, ‘महंगा औषधालय छोड़ो, सस्ता शौचालय अपनाओ’, पेड़ लगाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ’, जैसे नारे लिखे हुए हैं।
सुदूर क्षेत्र में बसे इस गांव में कुछ वर्ष पहले यातायात साधनों का अत्यंत अभाव था, शहर जाने के लिए कोसों दूर चलकर बस पकड़नी पड़ती थी। आज मुख्य सड़क से तथा आसपास के सभी गांवों से डामर रोड द्वारा जोड़ देने से गांव के बस स्टैंड पर ही बहरोड़, नारनौल व नीमराना की बसें उपलब्ध हो जाती हैं। शिक्षा का स्तर अत्यंत निम्न था, 4-5 किमी पैदल चलकर स्कूल जाना होता था परंतु अब दोनों गांवों में राजकीय माध्यमिक स्तर का स्कूल बन गया है तथा अनिवार्य निःशुल्क शिक्षा अधिनियम 2010 लागू होने से गांव का प्रत्येक बच्चा स्कूल जाता है। दो किमी दूरी पर स्थित गांव डूमरोली में महिला कॉलेज तथा बीएड कॉलेज संचालित हैं जिससे उच्च शिक्षा को भी बढ़ावा मिला है। पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छता के लिए गत 2-3 वर्षों से ग्रामीणों ने आपसी भाईचारा बनाए रखते हुए आगे बढ़ने का निरन्तर प्रयास किया है। बाबा गंगादास आश्रम तलवाना में ग्राम पंचायत द्वारा 150 पौधे लगाए गए हैं तथा स्कूल ग्राउण्ड में 32 पौधे लगाए हैं और इनके संरक्षण की जिम्मेदारी भी ली गई है। प्रधान बलवान सिंह ने 2 लाख रुपये आर्थिक सहायता देकर पौधों की चारदीवारी करवा दी है।
गांव तलवाना में सरपंच मेदाराम यादव ने 8 बीघा पक्की जमीन स्वयं खरीदकर गऊशाला स्थापित की है। इस गऊशाला में लगभग 300 गायें हैं। गऊशाला की जमीन पर ही 250 पौधे लगाए हैं। जिनकी देखरेख गऊशाला में काम करने वाले 10-12 व्यक्ति करते हैं। वर्ष 2011 में 5 लाख रुपये विधायक डॉ. जसवन्त यादव तथा 5 लाख रुपये राज्यसभा सदस्य रामदास अग्रवाल द्वारा गऊशाला को दान स्वरूप प्राप्त हुए हैं जिससे गऊशाला का काफी विकास हुआ है। गांव रैवाणा में पहाड़ी के नीचे बने तालाब को ग्राम पंचायत द्वारा पक्का कराया गया तथा पहाड़ी से आने वाले पानी के लिए पक्की नालियां बनाई गई तथा बरसात में गांव के रास्तों व नालियों के पानी के लिए उसी के पास एक जोहड़ बना हुआ है। उसमें यह पानी चला जाता है जिससे तालाब का पानी गंदा नहीं होता है। पेयजल के लिए गांव में सेक्टर फॉर्म योजना से बोरवेल करवाया है तथा घर-घर नल व्यवस्था की गई है जिसके लिए प्रत्येक घर से मात्र 35 रुपये प्रतिमाह चार्ज लिया जाता है। फिर भी जल व्यवस्था कमेटी के पास 6 लाख रुपये की राशि जमा है।
ग्राम पंचायत में कुल 155 बीपीएल परिवार हैं जिनमें से मुख्यमंत्री आवास योजना 2012 के तहत 20 बीपीएल परिवारों का चयन किया गया है। इसमें प्रत्येक परिवार को एक कमरा, रसोई व लैट्रीन बाथरूम हेतु 50 हजार रुपये की राशि दी जाएगी। गांव में दो आंगनबाड़ी केन्द्र तथा एक प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र है। गांव में सड़क पर ही ग्राम पंचायत भवन बना हुआ है तथा इसी के पास वर्ष 2010 में नवनिर्मित भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्र स्थित है तथा इसमें विद्युत व्यवस्था के लिए सोलर ऊर्जा लगाई गई है जिससे गांव में संचार क्रान्ति का लाभ प्राप्त हुआ है। इस भवन से पंचायत से संबंधित सभी रिकार्ड एक ही छत के नीचे कम्प्यूटर पर क्लिक करते ही प्राप्त हो जाएंगे। ग्राम पंचायत से एक किमी दूर कायसा गांव में ही ई-मित्र सुविधा स्थित है यानी अब शहर का काम गांव में होने लगेगा।
रैवाणा गांव हरियाणा सीमा पर स्थित है। अतः यहां राजस्थान और हरियाणा की मिली-जुली संस्कृति है। धार्मिक दृष्टि से देखें तो यहां पहाड़ी की तलहटी में दादूपंथी संतबाबा रामस्वरूप दास जी का आश्रम है। चैत्र कृष्णा-अष्टमी को प्रतिवर्ष मेला व भण्डारा किया जाता है जिसमें करीब 100-150 दादूपंथी साधु-संत एकत्रित होते हैं तथा मेले में नृत्य-गायन अथवा स्वांग का आयोजन भी किया जाता है। राठ क्षेत्र में स्थित होने से ‘‘काठ नवै पर राठ ना नवै’’ यहां की प्रसिद्ध कहावत है।
पंचायत समिति नीमराना के प्रधान श्री बलवान सिंह यादव ने बताया कि एसएफसी योजना के तहत हमने तीन लाख रुपये ग्राम पंचायत के स्वच्छता कार्यों में लगाने के लिए दिए तथा नीमराना में ही संचालित गैर-सरकारी संगठन ‘सौहार्द संस्था’ ने गांवों में जाकर लोगों में स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए जनचेतना लाने का कार्य किया तथा आर्थिक सहायता भी प्रदान की है। प्रधान बलवान सिंह यादव के युवा एवं क्षमताशील होने का आभास तो इसी से होता है कि उन्हीं की पंचायत समिति से तीन ग्राम पंचायतों रैवाणा, माजरा और मांढण को निर्मल ग्राम पुरस्कार के लिए चुना गया है। इस प्रकार लोगों ने जनचेतना, शिक्षा तथा सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर न केवल अपने गांव का विकास किया है अपितु देश के विकास में भी सहयोग दे रहे हैं।
(लेखक महाराजा महिला महाविद्यालय, भगवाड़ी कलां (बहरोड़) अलवर राजस्थान में प्रवक्ता तथा विज्ञान एवं ग्रामीण विकास विशेषज्ञ हैं। ई-मेल : yadav.drbp@gmail.com)
सुदूर क्षेत्र में बसे इस गांव में कुछ वर्ष पहले यातायात साधनों का अत्यंत अभाव था, शहर जाने के लिए कोसों दूर चलकर बस पकड़नी पड़ती थी। आज मुख्य सड़क से तथा आसपास के सभी गांवों से डामर रोड द्वारा जोड़ देने से गांव के बस स्टैंड पर ही बहरोड़, नारनौल व नीमराना की बसें उपलब्ध हो जाती हैं। शिक्षा का स्तर अत्यंत निम्न था, 4-5 किमी पैदल चलकर स्कूल जाना होता था परंतु अब दोनों गांवों में राजकीय माध्यमिक स्तर का स्कूल बन गया है तथा अनिवार्य निःशुल्क शिक्षा अधिनियम 2010 लागू होने से गांव का प्रत्येक बच्चा स्कूल जाता है। दो किमी दूरी पर स्थित गांव डूमरोली में महिला कॉलेज तथा बीएड कॉलेज संचालित हैं जिससे उच्च शिक्षा को भी बढ़ावा मिला है। पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छता के लिए गत 2-3 वर्षों से ग्रामीणों ने आपसी भाईचारा बनाए रखते हुए आगे बढ़ने का निरन्तर प्रयास किया है। बाबा गंगादास आश्रम तलवाना में ग्राम पंचायत द्वारा 150 पौधे लगाए गए हैं तथा स्कूल ग्राउण्ड में 32 पौधे लगाए हैं और इनके संरक्षण की जिम्मेदारी भी ली गई है। प्रधान बलवान सिंह ने 2 लाख रुपये आर्थिक सहायता देकर पौधों की चारदीवारी करवा दी है।
गांव तलवाना में सरपंच मेदाराम यादव ने 8 बीघा पक्की जमीन स्वयं खरीदकर गऊशाला स्थापित की है। इस गऊशाला में लगभग 300 गायें हैं। गऊशाला की जमीन पर ही 250 पौधे लगाए हैं। जिनकी देखरेख गऊशाला में काम करने वाले 10-12 व्यक्ति करते हैं। वर्ष 2011 में 5 लाख रुपये विधायक डॉ. जसवन्त यादव तथा 5 लाख रुपये राज्यसभा सदस्य रामदास अग्रवाल द्वारा गऊशाला को दान स्वरूप प्राप्त हुए हैं जिससे गऊशाला का काफी विकास हुआ है। गांव रैवाणा में पहाड़ी के नीचे बने तालाब को ग्राम पंचायत द्वारा पक्का कराया गया तथा पहाड़ी से आने वाले पानी के लिए पक्की नालियां बनाई गई तथा बरसात में गांव के रास्तों व नालियों के पानी के लिए उसी के पास एक जोहड़ बना हुआ है। उसमें यह पानी चला जाता है जिससे तालाब का पानी गंदा नहीं होता है। पेयजल के लिए गांव में सेक्टर फॉर्म योजना से बोरवेल करवाया है तथा घर-घर नल व्यवस्था की गई है जिसके लिए प्रत्येक घर से मात्र 35 रुपये प्रतिमाह चार्ज लिया जाता है। फिर भी जल व्यवस्था कमेटी के पास 6 लाख रुपये की राशि जमा है।
ग्राम पंचायत में कुल 155 बीपीएल परिवार हैं जिनमें से मुख्यमंत्री आवास योजना 2012 के तहत 20 बीपीएल परिवारों का चयन किया गया है। इसमें प्रत्येक परिवार को एक कमरा, रसोई व लैट्रीन बाथरूम हेतु 50 हजार रुपये की राशि दी जाएगी। गांव में दो आंगनबाड़ी केन्द्र तथा एक प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र है। गांव में सड़क पर ही ग्राम पंचायत भवन बना हुआ है तथा इसी के पास वर्ष 2010 में नवनिर्मित भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्र स्थित है तथा इसमें विद्युत व्यवस्था के लिए सोलर ऊर्जा लगाई गई है जिससे गांव में संचार क्रान्ति का लाभ प्राप्त हुआ है। इस भवन से पंचायत से संबंधित सभी रिकार्ड एक ही छत के नीचे कम्प्यूटर पर क्लिक करते ही प्राप्त हो जाएंगे। ग्राम पंचायत से एक किमी दूर कायसा गांव में ही ई-मित्र सुविधा स्थित है यानी अब शहर का काम गांव में होने लगेगा।
रैवाणा गांव हरियाणा सीमा पर स्थित है। अतः यहां राजस्थान और हरियाणा की मिली-जुली संस्कृति है। धार्मिक दृष्टि से देखें तो यहां पहाड़ी की तलहटी में दादूपंथी संतबाबा रामस्वरूप दास जी का आश्रम है। चैत्र कृष्णा-अष्टमी को प्रतिवर्ष मेला व भण्डारा किया जाता है जिसमें करीब 100-150 दादूपंथी साधु-संत एकत्रित होते हैं तथा मेले में नृत्य-गायन अथवा स्वांग का आयोजन भी किया जाता है। राठ क्षेत्र में स्थित होने से ‘‘काठ नवै पर राठ ना नवै’’ यहां की प्रसिद्ध कहावत है।
पंचायत समिति नीमराना के प्रधान श्री बलवान सिंह यादव ने बताया कि एसएफसी योजना के तहत हमने तीन लाख रुपये ग्राम पंचायत के स्वच्छता कार्यों में लगाने के लिए दिए तथा नीमराना में ही संचालित गैर-सरकारी संगठन ‘सौहार्द संस्था’ ने गांवों में जाकर लोगों में स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए जनचेतना लाने का कार्य किया तथा आर्थिक सहायता भी प्रदान की है। प्रधान बलवान सिंह यादव के युवा एवं क्षमताशील होने का आभास तो इसी से होता है कि उन्हीं की पंचायत समिति से तीन ग्राम पंचायतों रैवाणा, माजरा और मांढण को निर्मल ग्राम पुरस्कार के लिए चुना गया है। इस प्रकार लोगों ने जनचेतना, शिक्षा तथा सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर न केवल अपने गांव का विकास किया है अपितु देश के विकास में भी सहयोग दे रहे हैं।
(लेखक महाराजा महिला महाविद्यालय, भगवाड़ी कलां (बहरोड़) अलवर राजस्थान में प्रवक्ता तथा विज्ञान एवं ग्रामीण विकास विशेषज्ञ हैं। ई-मेल : yadav.drbp@gmail.com)