वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिये सरकार ने कृषि, उद्यान, पशुपालन के साथ ही कृषि और बागवानी से जुड़े लाइन डिपार्टमेंट के माध्यम से योजना तैयार की है। जिसमें पर्वतीय क्षेत्रों में कलस्टर बनाकर कृषि को बढ़ावा दिया जायेगा। प्रत्येक कलस्टर में क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी व भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार किसानों को फसलों की पैदावार के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा। इसके साथ ही विपणन की सुविधा के लिये कोल्ड स्टोर, कोल्ड चेन, नई फल-सब्जी मण्डी, किसान आउटलेट, ग्रामीण हाट बाजार आदि विकसित किये जायेंगे।
ऑर्गेनिक और हर्बल खेती के क्षेत्र में उत्तराखण्ड में अब तेजी से बढ़ेगा। उत्तराखण्ड को ऑर्गेनिक स्टेट बनाने के लिये केन्द्र सरकार ने 1500 करोड़ की योजना स्वीकृत की है। ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिये पहली बार राज्य को इतनी बड़ी राशि मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखण्ड को ऑर्गेनिक स्टेट के रूप में विकसित करने की योजना है। इसका वे केदारनाथ दौरे पर ऐलान भी कर चुके हैं।
उत्तराखण्ड में ऑर्गेनिक व हर्बल खेती की अपार सम्भावना को देखते हुए केन्द्र ने परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत 1500 करोड़ की राशि स्वीकृत की है। इससे प्रदेश में 10 हजार नये कलस्टर विकसित कर पाँच लाख किसानों को जैविक खेती से जोड़ा जायेगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल के निर्देश पर राज्य की ओर से केन्द्र को ऑर्गेनिक खेती का प्रस्ताव भेजा गया। इस प्रस्ताव पर केन्द्र से 1500 की स्वीकृति मिल गई। इससे सरकार अब उत्तराखण्ड में जैविक खेती पर ज्यादा काम करेगी। योजना के मुताबिक राज्य में दस हजार नये कलस्टर बनाकर दो लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को जैविक के अधीन लाया जायेगा। राज्य में उत्पादित होने वाले पारम्परिक फसलों के साथ अन्य 15 विभिन्न प्रकार की फसलों को चयनित कर ऑर्गेनिक कलस्टर में पैदावार की जायेगी। किसानों के माध्यम से ऑर्गेनिक बीज तैयार किया जायेगा। अभी तक प्रदेश में 585 कलस्टरों में जैविक खेती की जा रही हैं। इससे करीब 80 हजार किसान ऑर्गेनिक विधि से फसलों की पैदावार कर रहे हैं।
किसानों की दोगुनी आमदनी के लिये सरकार की योजना तैयार
आगामी पाँच सालों के भीतर राज्य के किसानों की आय दोगुनी करने के लिये सरकार ने कार्ययोजना तैयार कर ली है। इसमें कृषि, उद्यान समेत 15 विभाग सामूहिक रूप से किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे।
पर्वतीय क्षेत्रों में बिखरी जोतों पर कलस्टर आधारित कृषि को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने फोकस किया है। इसके साथ ही किसानों को समय पर उन्नत बीज, पौधे, खाद उपलब्ध कराने के साथ ही सिंचाई सुविधा, विपणन के लिये खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) इकाइयों व ग्रामीण क्षेत्रों में किसान आउटलेट खोलने की योजना बनाई है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिये सरकार ने कृषि, उद्यान, पशुपालन के साथ ही कृषि और बागवानी से जुड़े लाइन डिपार्टमेंट के माध्यम से योजना तैयार की है। जिसमें पर्वतीय क्षेत्रों में कलस्टर बनाकर कृषि को बढ़ावा दिया जायेगा। प्रत्येक कलस्टर में क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी व भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार किसानों को फसलों की पैदावार के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा। किसानों को बिजाई से पहले उन्नत किस्म के बीज, पौधे, खाद उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है।
इसके साथ ही विपणन की सुविधा के लिये कोल्ड स्टोर, कोल्ड चेन, नई फल-सब्जी मण्डी, किसान आउटलेट, ग्रामीण हाट बाजार आदि विकसित किये जायेंगे। कृषि उत्पादों को होने वाले नुकसान को कम करने के लिये पर्वतीय क्षेत्रों में फूड प्रोसेसिंग व कोल्ड चेन इकाइयों को सरकार बढ़ावा देगी। ताकि किसान के उत्पाद को प्रोसेसिंग कर बाजार तक पहुँचाया जा सके।
आधुनिक कृषि उपकरणों से होगी खेतीबाड़ी
उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों के किसान अब आधुनिक कृषि उपकरणों से खेती-बाड़ी कर सकेंगे। प्रदेश सरकार की ओर से फार्म मशीनरी बैंक (एफएमबी) के माध्यम से किसानों को कृषि कार्य के लिये उपकरण उपलब्ध कराये जायेंगे। राज्य में पहली बार एफएमबी स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। प्रत्येक फार्म मशीनरी बैंक के लिये 10 लाख रुपये का प्रावधान किया गया। जिसमें आठ लाख रुपये का अनुदान सरकार की तरफ से मिलेगा।
न्यू इंडिया मंथन (संकल्प से सिद्धि) कार्यक्रम के तहत किसानों की इनकम दोगुनी करने के लिये सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में फार्म मशीनरी बैंक स्थापित कर रही है। इससे खेती की लागत कम होने के साथ-साथ कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी। अभी तक पहाड़ों में महिलाओं को खेती के लिये कमर तोड़ मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन फार्म मशीनरी बैंक स्थापित होने से किसानों से आसानी से सभी प्रकार के कृषि उपकरण उपलब्ध होंगे। पहले चरण में 70 फार्म मशीनरी बैंक प्रदेश में स्थापित किये जा चुके हैं। इसके साथ ही 300 मशीनरी बैंकों की स्वीकृति मिल गई है। एग्रीकल्चर कलस्टरों में एफएमबी स्थापित करने के लिये सरकार 80 प्रतिशत अनुदान दे रही है। एक मशीनरी बैंक के लिये 10 लाख रुपए देने का प्रावधान है। जिसमें किसान समूह को 8 लाख का अनुदान सरकार दे रही है।
एकीकृत आजीविका सहयोग मिशन के तहत प्रदेश भर में गठित 130 स्वयं सहायता समूहों को सरकार ने फार्म मशीनरी बैंक स्वीकृत किये हैं। इसके अलावा कृषि उद्यान विभाग के माध्यम से कलस्टरों में एफएमबी स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।
चकबन्दी से संवरेंगे उत्तराखण्ड के पहाड़, रुकेगा पलायन
‘दूर धार तक फैल्यां खेत, चकबन्दी मा होला एक’ यह बात जल्द ही साकार होने वाली है। सरकार ने पहाड़ों में बिखरी कृषि जोतों को एक करने के लिये चकबन्दी करने का फैसला लिया है। इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के गाँव से की गई है। पहाड़ों को संवारने के लिये चकबन्दी ही अच्छा विकल्प है। इससे खेती की उत्पादकता बढ़ने से पलायन रुकेगा। राज्य की कुल कृषि क्षेत्र का 54 प्रतिशत हिस्सा पर्वतीय क्षेत्रों में है। लेकिन पहाड़ों में छोटी और बिखरी कृषि जोत होने से मैदानी क्षेत्रों की तुलना में कृषि उत्पादन काफी कम है। इसे देखते हुए सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में बिखरी कृषि जोत को एक करने के लिये आंशिक चकबन्दी को बढ़ावा दे रही है। बिखरी कृषि जोत पर खेती करने में मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है। मेहनत के हिसाब से किसानों को मुनाफा नहीं मिल पाता है। यही वजह है कि पिछले 17 सालों में प्रदेश में 15 प्रतिशत कृषि क्षेत्र घटा है। अब सरकार चकबन्दी के लिये किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। ताकि किसान एक ही जगह पर फसलों की पैदावार कर सके। पर्वतीय क्षेत्रों में 10 किसान भी चकबन्दी के लिये तैयार होते हैं तो सरकार उसे कानूनी रूप से मान्य करेगी।
ग्राम पंचायतों के माध्यम से किसानों को चकबन्दी के लिये जागरूक किया जायेगा। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि पहाड़ों में कृषि पैदावार बढ़ाने के लिये चकबन्दी बहुत ही जरूरी है। पहाड़ों से पलायन व कृषि भूमि कम होने पर सरकार ने आंशिक चकबन्दी करने का फैसला लिया है। चकबन्दी के माध्यम से पहाड़ों को संवारकर पलायन रोका जायेगा। कृषि विभाग के आँकड़ों के अनुसार राज्य में करीब सात लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है। जिसमें रबी और खरीफ फसलें उगाई जाती है। जबकि दो लाख 28 हजार हेक्टेयर भूमि बंजर हो चुकी है।
राज्य में बनेगा ऑर्गेनिक और नर्सरी एक्ट
प्रदेश सरकार किसानों को अच्छी क्वालिटी के पौधे उपलब्ध कराने के लिये नर्सरी एक्ट बना रही है। वहीं उत्तराखण्ड के ऑर्गेनिक उत्पादों की पहचान दिलाने के साथ किसानों को जैविक उत्पादों को उचित दाम देने के लिये ऑर्गेनिक एक्ट बनाया जा रहा है। ऑर्गेनिक व नर्सरी एक्ट की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही सरकार इस पर मोहर लगायेगी। नर्सरी एक्ट बनने के बाद किसानों को घटिया फलदार पौधे बेचने वाले नर्सरी मालिकों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी।
प्रदेश में 176279 क्विंटल होता है जैविक उत्पादन
नैनीताल, पौड़ी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली जिला में मंडुवा, गहत, बासमती चावल, मक्की, चौलाई, सोयाबीन, भट्ट, रामदाना, राजमा, गेहूँ, मसूर, सरसों के अलावा सब्जी व मसाले की जैविक खेती की जा रही है। प्रदेश में 176279 क्विंटल जैविक कृषि उत्पादों का उत्पादन हो रहा है। जिसकी मार्केट वैल्यू करीब 4254 लाख रुपये है।
700 करोड़ रुपये औद्यानिकी फसलों को बढ़ावा
राज्य में औद्यानिकी विकास के लिये विश्व बैंक वित्तीय सहायता से 700 करोड़ की योजना को स्वीकृति मिली है। इस योजना में फलोत्पादन के साथ-साथ जड़ी-बूटी, औषधीय, एरोमेटिक, चाय उत्पादन, फ्लोरीकल्चर आदि क्षेत्र में काम होगा। इसके लिये उद्यान विभाग के माध्यम से कार्य योजना तैयार की जा रही है।
सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में कृषि, उद्यान समेत जैविक, हर्बल, फ्लोरीकल्चर, सगंध फसलों की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य को ऑर्गेनिक व हर्बल स्टेट बनाने के लिये 1500 करोड़ की योजना तैयार की गई। जिसमें 10 हजार नये ऑर्गेनिक कलस्टर बनाकर किसानों को जैविक खेती से जोड़ा जायेगा। 700 करोड़ की एकीकृत औद्यानिकी विकास परियोजना को विश्व बैंक की मंजूरी मिल गई। इस परियोजना से प्रदेश में हार्टिकल्चर सेक्टर में तेजी से काम होगा। पर्वतीय क्षेत्रों में आधुनिक तकनीक से खेतीबाड़ी करने के लिये 370 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किये जा रहे हैं। राजकीय उद्यानों को आदर्श बनाकर हार्ट टूरिज्म को बढ़ावा दिया जायेगा। -त्रिवेंद्र सिंह रावत
2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना सरकार का लक्ष्य है। प्रदेश के किसानों की आय किस तरह से बढ़ाई जाये। इसके लिये सरकार ने विभागवार योजना तैयार की है। किसानों के लिये सरकार हर तरह की सुविधाएँ देगी। -सुबोध उनियाल, कृषि एवं उद्यान मंत्री
1. 1500 करोड़ की योजना को केन्द्र से मिली मंजूरी
2. 10,000 नये कलस्टर बनेंगे, पाँच लाख किसान जुड़ेंगे