‘आप भला तो जग भला’ जैसी कहावत को कृतार्थ करने की राह पकड़े उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत इन दिनों अपने वक्तव्य में कहीं भी चूक नहीं करते कि वे चकबन्दी अपने गाँव खैरासैण से आरम्भ करेंगे। जबकि 80 के दशक में उत्तरकाशी जनपद के बीफ गाँव में स्व. राजेन्द्र सिंह रावत ने चकबन्दी करवाई।
यह पहला गाँव है जहाँ लोगों ने स्वैच्छिक चकबन्दी को तबज्जो दी थी। उसके बाद कई सरकारें आईं और गईं पर किसी में भी इतना दम नहीं दिखा कि वे चकबन्दी के लिये खास नीतिगत पहल करे। अब लगभग चार दशक बाद राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री ने इस ओर कदम बढ़ाया है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो मुख्यमंत्री रावत की यह पहल रंग ला सकती है।
ज्ञात हो कि उत्तराखण्ड राज्य में कृषि की जोत एकदम छोटी है और बिखरी भी हुई है। कृषि विकास के लिये राज्य में चकबन्दी करना नितान्त आवश्यक है। यह बात सभी राजनीतिक व सामाजिक संगठनों के मंचों पर लगातार उठती रही। पिछली कांग्रेस सरकार ने बाकायदा एक चकबन्दी विकास बोर्ड का गठन भी किया था। इस बोर्ड के अध्यक्ष भी चकबन्दी के प्रणेता स्व. राजेन्द्र सिंह रावत के छोटे भाई केदार सिंह रावत को मनोनित किया गया। इस बोर्ड ने चकबन्दी पर कितना काम किया यह सामने नहीं आ पाया। इधर वर्तमान में भाजपानीत सरकार ने बोर्ड को तो ठंडे बस्ते में डाल दिया, उधर मुख्यमंत्री बार-बार अपने भाषणों में जरूर कहते हैं कि वे पहले अपने गाँव से चकबन्दी की शुरुआत करेंगे।
ऐसा ही वक्तव्य मुख्यमंत्री रावत ने किसान भवन में आयोजित राज्य स्तरीय कृषक महोत्सव रबी-2017 का शुभारम्भ करते हुए यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि कृषकों को उनके द्वारा उत्पादित फसलों को एकत्र करने के लिये कोल्ड स्टोरेज एवं फसलों को मंडियों तक सुरक्षित पहुँचाने के लिये कोल्ड वैन उपलब्ध कराने की योजना बनाई जा रही है। चकबन्दी को प्रोत्साहित करने के लिये उन्होंने अपने गाँव से शुरू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने अपने गाँववासियों का आह्वान किया कि वे चकबन्दी शुरू करें, इस पर कृषक महोत्सव में पहुँचे उनके गाँव के लोग सहर्ष चकबन्दी के लिये तैयार हो गए।
मुख्यमंत्री ने अपने गाँववासियों से कहा कि चकबन्दी बाबत जो भी समस्याएँ सामने आएँगी उसके निस्तारण के लिये मुख्यमंत्री स्तर पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। वे त्वरित गति से खैरासैण गाँव में चकबन्दी की प्रक्रिया शुरू कर दें।
उन्होंने महोत्सव में सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थानों एवं स्वयं सहायता समूहों द्वारा लगाए गए कृषि उत्पादों के स्टॉल्स का अवलोकन करते हुए कहा कि राज्य कृषि के क्षेत्र में उत्तरोत्तर वृद्धि कर रहा है। यदि राज्य में चकबन्दी हो गई तो आने वाला समय राज्य के लोगों का कृषि विकास के क्षेत्र में अग्रणी कहा जाएगा।
महोत्सव को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि कृषकों को आधुनिक तकनीक की जानकारी उपलब्ध कराने एवं उनकी आय दोगुनी करने के उद्देश्य से राज्य स्तरीय कृषक महोत्सव रवि-2017 की शुरुआत हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के किसान भाइयों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुनी करने का जो लक्ष्य रखा है, उसे पूरा करने के लिये किसान भाइयों के सहयोग की वे जरूरी आवश्यकता महसूस कर रहे हैं। इसके लिये समर्पण की भी आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिये ऐसी फसलों को उगाया जा सकता है, जिन्हें जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुँचा सकें।
खेती कैसे करें....? बीज उत्पादन कैसे करें....? उपकरणों का इस्तेमाल कैसे करें....? इस प्रकार की वैज्ञानिक जानकारी इस महोत्सव में किसानों को दी जा रही है। यह बात कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने महोत्सव के दौरान लोगों से कही। उन्होंने कृषकों से अपील की कि वे इस महोत्सव का पूरा-पूरा लाभ उठाएँ।
महोत्सव में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी जा रही जानकारी को हमारे कृषक भाई अपनी खेती के तौर-तरीकों में उपयोग करें ताकि वैज्ञानिक विधि से उन्नत कृषि की ओर हम आगे बढ़ सकें। इधर कृषि महोत्सव के माध्यम से कृषि से सम्बन्धित उपकरणों की जानकारी राज्य भर से आये हुए किसानों को दी जा रही थी। इस दौरान बताया जा रहा था कि कृषि में आधुनिक तकनीकों एवं विधियों का प्रयोग करके निश्चित रूप से किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य पूरा किया जा सकता है।
कृषि एवं उद्यान मंत्री उनियाल ने इस बात पर जोर देकर कहा कि जब तक किसान और सम्बन्धित विभागों के अधिकारी और कर्मचारियों के बीच संवाद स्थापित नहीं होगा तब तक वे कृषि विकास की बातों को सिर्फ-व-सिर्फ एक प्रपोगेण्डा ही मानेंगे। इसलिये वे कृषक महोत्सव के माध्यम से कहना चाहते हैं कि कृषकों एवं अधिकारियों के मध्य संवाद स्थापित होना ही चाहिए। ताकि समय-समय पर कृषक लोगों को सरकारी सहायता आसानी से मिल सके। कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के चेहरे पर खुशहाली लाने के लिये कुछ योजनाएँ तैयार की हैं।
सेब की खेती को प्रोत्साहित करके उत्तराखण्ड की आर्थिकी को सुधारा जाएगा। विभिन्न पार्कों का निर्माण कर हॉर्टी - एग्री टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। कोल्ड स्टोरेज एवं कलेक्शन सेंटर तैयार किये जा रहे हैं। राज्य में वे तमाम योजनाएँ विकसित की जा रही हैं जिससे राज्य के किसान सीधे जुड़ सकें और खेती रोजगार का प्रमुख जरिया बन सके।
महोत्सव में पहुँचे राज्य भर के किसानों ने कहा कि राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में खेती करना घाटे का सौदा माना जाता है। कहा कि पहाड़ों की खेती बिखरी, छोटी जोत, असिंचित व उत्पादों को समय पर मंडियों तक पहुँचाने के लिये कोई पुख्ता इन्तजाम नहीं है। ऐसा नहीं कि लोग चकबन्दी नहीं करना चाहते। बशर्ते चकबन्दी को कानून के बजाय स्वैच्छिक चकबन्दी की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। इतने भर से चकबन्दी करने के लिये लोगों को विश्वास में नहीं लिया जा सकता। इसके अलावा चकबन्दी के लिये अलग-अलग चको के लिये सिंचाई की सुविधा, आवागमन की सुविधा, पेयजल, विद्युत इत्यादि के पुख्ता इन्तजाम चकबन्दी करने से पूर्व करने होंगे। ताकि राज्य का प्रत्येक किसान अपनी छोटी जोत की कृषि भूमि को सहज ही एक दूसरे के साथ आदान-प्रदान कर सके।
महोत्सव में पहुँचे किसानों ने कहा कि आज भी उनके उत्पाद कोल्ड स्टोर और यातायात के अभाव में औने-पौने दामों में बिकते हैं। यहाँ तक की जब वे अपनी नगदी फसल को मण्डी पहुँचाते हैं तो उन्हें उनकी फसल का वाजिब दाम नहीं मिलता है। क्योंकि वाजिब भाव ना मिलने के कारण मण्डी से उत्पाद को वापस अपने गाँव ले जाने का मतलब सीधे घाटे का सौदा स्वीकार करना पड़ता है। इसलिये वे अपने उत्पादों को मजबूरन औने-पौने दामों में बेचना ही भला समझते हैं।
किसान भवन में वीर शिरोमणि माधोसिंह भंडारी की मूर्ति का अनावरण
मांझी फिल्म आने के बाद से देश भर में कृषि के लिये अद्भुत काम करने वाले मांझी जैसे लोगों की गाथा सामने आई है। इसी पहाड़ी राज्य में सोलहवीं सदी में एक ऐसा योद्धा पैदा हुआ जिसने नदी का रूख अपने खेतों की तरफ ही नहीं मोड़ा बल्कि अपने किशोर अवस्था वाले बालक को इस नहर बनाने में बली चढ़ा दिया।
माधोसिंह भण्डारी नाम के इस योद्धा ने तत्काल एक पहाड़ को काटने के लिये सिर्फ-व-सिर्फ कुदाल व गैंती का प्रयोग करके पहाड़ पर सुरंग का निर्माण किया और अपने मलेथा के खेतों को सिंचाई से सरसब्ज करवा दिया। जब भी खेती किसानी की बात होती है तो उत्तराखण्ड में वीर माधोसिंह भंडारी का नाम एक आदर्श के रूप में सामने आता है। इस दौरान कृषक महोत्सव में मुख्यमंत्री रावत ने किसान भवन प्रांगण में वीर शिरोमणि माधोसिंह भंडारी की मूर्ति का अनावरण भी किया। इसके बाद राज्य स्तरीय कृषक महोत्सव रबी-2017 के रथों को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। साथ-ही-साथ कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित भी किया गया।
खैरासैण गाँव में हो रही चकबन्दी
पौड़ी जनपद के अन्तर्गत सतपुली व जहरीखाल क्षेत्र का खैरासैण गाँव मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का पैतृक गाँव है। हालांकि मुख्यमंत्री का सम्पूर्ण परिवार देहरादून में बस चुका है, परन्तु उनका पैत्रिक गाँव पौड़ी जनपद के अन्य हिस्सों से आबाद है। इस क्षेत्र में पलायन की समस्या नहीं है। जनपद का यह छोटा सा क्षेत्र पूर्व से भी खेती किसानी के लिये जाना जाता है।
इसी क्षेत्र में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का पैत्रिक गाँव खैरासैण है। मुख्यमंत्री बनने के बाद श्री रावत का यह ड्रिम प्रोजेक्ट है कि वे चकबन्दी की शुरुआत अपने गाँव से करेंगे। और उन्होंने अपने पैतृक गाँव खैरासैण में चकबन्दी करवाने का कार्य आरम्भ कर दिया है, आगे अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री की यह कवायद कितना गुल खिलाएगी।
क्यों जरूरत हुई चकबन्दी की
उतराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्र में कृषि की जमीन अति बिखरी हुई है, जिस कारण किसानों का आधा से ज्यादा समय खेतों तक आने जाने में ही चला जाता है। यही नहीं बिखरे हुए खेतों के कारण फसल की उपज में कोई खास पैदावार नहीं हो पाती। और-तो-और सिंचाई का अभाव तथा जंगली जानवरों से फसलों को भी इस बिखराव के कारण भारी नुकसान पहुँचता है। अगर मुख्यमंत्री की यह चकबन्दी की योजना अमल में आती है तो इससे ग्रामीण स्तर के छोटे व मझौले किसानों को सर्वाधिक फायदा होगा।