पानी बर्बाद नहीं करने देतीं मेरी बेटियाँ

Submitted by editorial on Sat, 06/09/2018 - 15:54
Source
कादम्बिनी, मई, 2018

 

अब दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं बचा जो पानी की कमी से जूझ न रहा हो। हाँ किसी-किसी देश में यदि आप जाएँगे तो देखेंगे कि उन्होंने किस तरह से पानी की समस्या से निपटने की तकनीक बनाई है। पानी बचाना है तो हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। इसके लिये जागरुकता अभियान चलाना होगा। लोगों को बताना होगा कि अपने दैनिक जीवन में पानी कैसे बचाएँ।

जल संकट का समाधान खोजना हम सभी का दायित्व बनता है। यह हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी भी है और हम अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से भी ऐसी ही जिम्मेदारी की अपेक्षा करते हैं। जब मुझे पता चला कि मेरी दोनों बेटियाँ अकीरा और शाक्या ‘जल बचाओ अभियान’ का हिस्सा बन रही हैं, तो एक पिता होने के नाते मुझे उन पर गर्व हुआ।

यदि हम अभी से अपनी आने वाली पीढ़ी को पानी की अहमियत के बारे में बताएँगे, तो वे उसे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए उस पर काम करेंगे। मुझे खुशी है कि मेरी दोनों बेटियाँ अपने देश के लिये अपनी जिम्मेदारियाँ समझती हैं। वे दोनों घर पर भी किसी को ज्यादा पानी बहाने नहीं देतीं और सभी को समझाती हैं कि किचन हो या फिर बाथरूम, जरूरत से ज्यादा पानी न बहाएँ। अब उनके कारण घर के लोगों से लेकर नौकर तक सभी पानी की बचत का खास खयाल रखते हैं। वैसे भी पानी की बचत मेरे घर में ही क्यों; हर घर में होनी चाहिए।

मेरे हिसाब से जल प्रबन्धन और जल संरक्षण की दिशा में जन जागरुकता को बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए। जल प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया जाये तथा संकट से निपटने के लिये इनकी सेवाएँ ली जानी चाहिए, ताकि ज्यादा-से-ज्यादा लोग इससे जुड़ सकें और वे समझ सकें कि इसके क्या फायदे हैं? हमें समझना होगा कि बिन पानी के कुछ नहीं हो सकता, इसलिये पानी के इस्तेमाल में हमें मितव्ययी बनना होगा।

छोटे-छोटे उपाय करके जल की बड़ी बचत की जा सकती है। मसलन हम दैनिक जीवन में पानी की बर्बादी कतई न करें और एक-एक बूँद की बचत करें। लोगों को जागरूक करने की जरूरत है कि जिस तरह से रोटी-कपड़ा और मकान जरूरी हैं, उसी तरह से पानी भी जरूरी है। महानगरों में रहने वाले लोगों को भी समझना होगा कि यदि अभी से उन्होंने पानी को खर्च करने में अपने हाथ नहीं बाँधे, तो एक दिन कहीं ऐसा न हो कि उन्हें पानी दिखे ही न।

हमारी बदकिस्मती है कि नदियों का देश होने के बावजूद ज्यादातर नदियों का पानी पीने लायक और कई जगह तो नहाने लायक तक नहीं है। हम लोगों ने नदियों को इतना गन्दा बना दिया है कि वहाँ का पानी किसानों के इस्तेमाल करने के लायक भी नहीं बचा।

पानी की कमी से हर साल महाराष्ट्र किस कदर तपता है यह किसी से छिपा नहीं है। वहाँ के किसान कैसे जान देने पर मजबूर होते हैं, यह सभी देखते हैं। अक्सर हर दूसरे दिन हम इस तरह की बात भी सुनते हैं कि अगर अगला विश्वयुद्ध हुआ, तो वह विचारधारा, उग्र राष्ट्रवाद या किसी अन्य वजह से नहीं, बल्कि पानी के भण्डार पर अधिकार को लेकर लड़ा जाएगा।

अब दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं बचा जो पानी की कमी से जूझ न रहा हो। हाँ किसी-किसी देश में यदि आप जाएँगे तो देखेंगे कि उन्होंने किस तरह से पानी की समस्या से निपटने की तकनीक बनाई है; पर उसके बाद भी अमेरिका से लेकर मध्य पूर्व और भारत से लेकर अफ्रीका के देशों में पानी की समस्या दिन-ब-दिन और भी ज्यादा विकराल होती जा रही है। हमें समझना होगा कि पानी हमारे लिये और आने वाली पीढ़ी के लिये बेशकीमती है। इसे बिना कारण बर्बाद न करें, वरना यह हमारे लिये जानलेवा संकट बन सकता है।

(लेखक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता, निर्देशक हैं)