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यू-ट्यूब
आज हम पानी के परंपरागत जल स्रोत कुएँ, बावड़ियां, टांके, झालरे, जोहड़, नाड़ियां, बेरियों, तालाब और जलाशयों जैसे पानी के स्रोत को बिसरा चुके हैं। जो अभी भी हमारे लिए जल संग्रहण का काम कर रहे हैं और लोगों के लिए लाइफ लाइन साबित हो सकते हैं।समय रहते इन्हें नहीं संभाला गया और गंभीरता से इनकी देखरेख नहीं की गई तो इनको मरने से कोई नहीं बचा पाएगा। पानी की कमी से न सिर्फ लोग त्रस्त हो रहे हैं बल्कि जानवर भी पानी के लिए त्राहि-त्राहि करने लगते हैं। जल संरक्षण का काम आने वाली वॉटर बॉडीज लगभग खत्म हो चुकी हैं और इसी का नतीजा जल संकट के रूप में सामने है। राजस्थान के रेगिस्तान में लोगों द्वारा पानी सहेजने के तरीके को समझाते अनुपम मिश्र।