प्लेट विवर्तन/विवर्तनिक सिद्धांत या प्लेट विवर्तनिकी (Plate tectonic theory or plate tectonics)

Submitted by Hindi on Mon, 05/09/2011 - 11:30
भू-आकृति विज्ञान का एक नवीन सिद्धांत जो प्लेटों की आकृति, उनके प्रवाह तथा प्रवाह से उत्पन्न स्थलाकृतियों की व्याख्या करता है। विवर्तन प्लेट सिद्धांत (1960) के प्रवर्तक हेस (Hess) के अनुसार स्थलमंडल आंतरिक रूप से दृढ़ प्लेट का बना हुआ है और महाद्वीप तथा महासागरीय तली विभिन्न प्लेट के ऊपर स्थित हैं। ये प्लेट विभिन्न रूपों में गतिशील तथा प्रवाहित होते हैं जिसके कारण महाद्वीप तथा महासागरीय तली भी विस्थापित होती है। भूपटल में 6 प्रमुख (बृहद्) तथा अनेक गौण (लघु) प्लेट हैं जिनके गतिशील होने से विभिन्न स्थलाकृतियों की उत्पत्ति होती है।

गतिशील प्लेटों के किनारे तीन प्रकार के होते हैं- विनाशात्मक, रचनात्मक तथा संरक्षी किनारे। वह किनारा जिस पर दो प्लेट परस्पर मिलते हैं या टकराते हैं, विनाशात्मक किनारा कहलाता है। यहाँ भारी पदार्थों से निर्मित प्लेट (महासागरीय प्लेट) नीचे की ओर चला जाता है और पिघल कर गहराई में विलीन हो जाता है। इस प्रकार संपीडनात्मक संचलन के परिणामस्वरूप अपेक्षाकृत् हल्के प्लेट (महाद्वीपीय प्लेट) के किनारे के भाग ऊपर उठ जाते हैं और पर्वत श्रेणियों की उत्पत्ति होती है। राकी तथा एंडीज पर्वतश्रेणियां इसी प्रकार निर्मित हैं। एक-दूसरे की ओर गतिशील दो प्लेटों के मध्य स्थित भूसन्नति (geosyncline) के मलवा के ऊपर उठने से वलित पर्वतों की उत्पत्ति होती है जैसे एशियायी तथा भारतीय प्लेट के मध्य अल्पाइन तथा हिमालय पर्वतों की उत्पत्ति। रचनात्मक किनारों पर पृथ्वी के नीचे से तप्त तरल मैगमा ऊपर निकलता है और उसके ठोस होने पर नवीन प्लेट का निर्माण होता है। इस प्रकार की घटनाएं प्रायः महाद्वीपीय कटकों के सहारे होती हैं। संरक्षी किनारे पर दो प्लेट अगल-बगल सरकते हैं जिससे वहाँ रूपांतर भ्रंश (transform fault) का निर्माण होता है किंतु किनारों के क्षेत्रफल में अंतर नहीं आता है।

इस सिद्धांत के अनुसार, पृथ्वी की सतह अनेक प्लेटों और बड़ी-बड़ी चट्टानी पट्टियों को रखती हैं। इन प्लेटों की धीमी, परंतु निरंतर गति के आधार पर महाद्वीप के सरकाव एवं पर्वतों के निर्माण आदि परिघटनाओं की व्याख्या की जा सकती है।

अन्य स्रोतों से




वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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