20 अप्रैल 2010 इन्दौर। नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा इंदौर स्थित नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण में सरदार सरोवर बांध के निर्माण, पर्यावरणीय विनाश व पुनर्वास में बरती जा रही अनियमितताओं के विरोध में जारी धरने ने आज आठवें दिन में प्रवेश किया। महाराष्ट्र, गुजरात व मध्यप्रदेश के हजारों आदिवासी, किसान, मछुआरे, केवट, कहार व अन्य समुदाय इस धरने में भागीदारी कर रहे हैं। इस बीच नर्मदा बचाओ आंदोलन का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली रवाना हो गया है जहां वह संबंधित मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों से भेंट कर चर्चा करेगा।
आज पूर्वाध में इंदौर के नागरिकों का समूह पर्यावरणविद् दिनेश कोठारी एवं सुधा रघुवंशी के नेतृत्व में एनसीए के पुनर्वास निदेशक अफरोज अहमद से मिला और उनसे आंदोलनकारियों की पूर्णतः न्यायोचित मांगों के तुरंत समाधान की मांग की। साथ ही प्रतिनिधिमंडल ने निदेशक से आग्रह किया कि बड़ी संख्या में आंदोलनकारी विपरीत मौसम के कारण लगातार बीमार पड़ रहे है। इस दौरान एमवाय अस्पताल के चिकित्सकों ने घटना स्थल पर आकर मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया एवं दवाईयां भी दीं।
दोपहर बाद एनसीए के कार्यकारी सदस्य वीके ज्योति एवं डॉ अफरोज अहमद, निदेशक पुनर्वास ने धरना स्थल पर आकर आंदोलनकारियों के समक्ष लिखित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। प्रतिवेदन के संबंध में जानकारी देते हुए अफरोज अहमद का कहना था वे तमाम नीतिगत, गांव व व्यक्तिगत मुद्दों पर राज्य सरकारों को निर्देश देते रहे हैं और आगे भी देंगे। उनका कहना था कि पुनर्वास राज्य का विषय है। परंतु इसका यथोचित क्रियान्वयन हो इसे सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि पुनर्वास उपदल की बैठक में इस संबंध में विस्तृत चर्चा की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट रुप से कहा कि बांध की उंचाई बढ़ाने का अंतिम निर्णय अभी तक नहीं किया गया है।
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर ने विशेष रूप से खारया बादल में पुनर्वास व मछुआरों के संबंध में यह कहा कि पुनर्वास के बिना और वैकल्पिक रोजगार के बिना बांध की ऊंचाई नहीं बढ़ाई जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने विशेष पुनर्वास पैकेज न लेने वाले बांध प्रभावितों की स्थिति पर भी स्पष्टीकरण मांगा। वैसे प्रथम दृष्टया अध्ययन के आधार पर आंदोलन का मत है कि दिए गए प्रतिवेदन से प्राधिकरण का मत स्पष्ट नहीं हो रहा है। प्राधिकरण ने कल राज्य सरकारों को पत्र लिखने की बात की है। आंदोलन का मानना है कि प्राधिकरण निजी भूमि क्रय कर, भूमि बैंक बनाने, सभी सहायक नदियों का सर्वेक्षण करने के बाद ही बैक वाटर स्तर स्थापित करने जैसे अनेक महत्वपूर्ण मसलों पर अपना मत राज्य सरकारों को दें क्योंकि सन् 2000 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार सभी राज्य सरकारें नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के दिशा-निर्देश को मानने के लिए बाध्य है।
नबआं का कहना है कि एनसीए द्वारा दिए गए प्रतिवेदन की जांच जारी है और उसका गहन अध्ययन किया जा रहा है। अध्ययन के पश्चात कल दोपहर के बाद धरने के भविष्य पर विचार किया जाएगा। इस प्रकार धरना बदस्तूर जारी है।