परहथ बनिज, सँदेसे खेती

Submitted by Hindi on Thu, 03/25/2010 - 10:28
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घाघ और भड्डरी

परहथ बनिज, सँदेसे खेती, बिन बर देखे ब्याहै बेटी।
द्वार पराये गाड़ै थाती, ये चारों मिलि पीटैं छाती।।


शब्दार्थ- परहथ-दूसरे के हाथ या भरोसे। थाती-धन। बनिज-व्यापार।

भावार्थ- दूसरों के सहारे व्यापार करने वाला, संदेशों से खेती करने वाला, बिना वर देखे ही अपनी लड़की का व्याह करने वाला और अपनी थाती या धन को दूसरे के दरवाजे पर गाड़ने वाला व्यक्ति सदैव पछताता है।