पर्वतीय या पर्वतकृत वर्षा (Orographic rain)

Submitted by Hindi on Sat, 05/07/2011 - 13:15
आर्द्र हवाओं के मार्ग में किसी पर्वत की स्थिति के कारण हवाओं के ऊपर उठने तथा संघनन होने के परिणामस्वरूप होने वाली वर्षा। मार्ग में पर्वतीय अवरोध के कारण हवाएं पर्वतीय ढाल के सहारे ऊपर उठती हैं, ऊँचाई के साथ ठंडी होती जाती हैं और एक निश्चित ऊँचाई पर पहुँचने पर वे संतृप्त हो जाती हैं जिससे संघनन प्रारंभ हो जाता है तथा वर्षा होने लगती है। संघनन की गुप्त ऊष्मा के वायु में मिल जाने से वायु पुनः ऊपर उठती है और आर्द्र रुद्धोष्म ताप ह्रास दर से ठंडी होकर उसके पुनः संघनन से बढ़ती ऊँचाई पर भी वर्षा होती है। अतः हवाओं के सम्मुख स्थित पर्वतीय ढाल पर सर्वाधिक वर्षा होती है। पर्वत को पार करके जब हवाएं दूसरे ढाल (पवन विमुखी ढाल) के सहारे नीचे उतरती हैं, उनके तापमान में वृद्धि होने लगती है और संघनन के अभाव में वर्षा प्रायः नहीं हो पाती है अथवा अत्यल्प वर्षा होती है। अतः पर्वत का पवन विमुखी ढाल वृष्टि छाया प्रदेश (rain shadow region) कहलाता है। आर्द्र पवनों के मार्ग में अवरोधक रूप में पर्वत की स्थिति, सागर से पर्वत श्रेणी की निकटता, पर्वत का अधिक ऊँचा होना तथा प्रचलित पवन में पर्याप्त आर्द्रता की उपस्थिति पर्वतीय वर्षा के लिए आदर्श दशाएं होती हैं।

अन्य स्रोतों से

Orographic rain in Hindi (पर्वतकृत वर्षा)


आर्द्रतायुक्त वायु के मार्ग में पड़ने वाले पर्वतों के कारण उत्पन्न होने वाली वर्षा। यह वायु पर्वतों की रुकावट के कारण ऊपर उठती है और ठंडी होकर (यदि उसमें जलवाष्प यथेष्ठ मात्रा में उपलब्ध है) उच्च स्थलों में वर्षा करती है। इसको उच्चावच-वर्षा (relief rainfall) की संज्ञा भी दी जाती है।

वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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