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भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान पत्रिका, 01 जून, 2012
सारांश:
आजकल निर्माण उद्योग बड़ी शीघ्रता से उन्नति कर रहा है। जिस प्रकार से इमारतों की रूपरेखा और उनका निर्माण किया जा रहा है उससे हानिकारक पर्यावरण संकट उत्पन्न होता है। एक शोध के अनुसार निर्माण उद्योग ऊर्जा की खपत करने वाला तीसरा बड़ा उद्योग है। इस उद्योग द्वारा बढ़ते हुये शहरीकरण से पृथ्वी के तापमान में भी वृद्धि हो रही है। इसके अतिरिक्त इस उद्योग में प्रयुक्त सामग्रियाँ पर्यावरण को प्रदूषित करने लिये भी उत्तरदायी हैं। निर्माण सामग्रियों से संबंधित मुख्य वातावरण समस्या वायु, जल एवं ध्वनि प्रदूषण की है। विभिन्न प्रकार की निर्माण प्रक्रियायें जैसे भू-उत्खनन, डीजल इंजन का चालन, इमारत विध्वंस तथा दहन आदि वायु प्रदूषण के कारक हैं। विभिन्न निर्माण सामग्रियों यथा कंक्रीट सीमेंट एवं सिलिका पत्थर आदि के प्रयोग से अत्यंत छोटे धूल कण PM-10 उत्पन्न होते हैं जो श्वास प्रकिया में फेफड़ों के भीतर तक प्रवेश करके कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं जैसे सांस रोग, दमा, ब्रोंकाइटिस, कैंसर आदि उत्पन्न करते हैं। निर्माण क्षेत्रों पर चलने वाले वाहनों, भारी यंत्रों और अन्य उपकरणों का चलना ध्वनि प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं। ध्वनि प्रदूषण से सुनने की क्षमता का क्षय, उच्च रक्त चाप, अनिद्रा और तनाव उत्पन्न होता है। ध्वनि प्रदूषण जानवरों की प्राकृतिक प्रक्रियाओं को भी प्रभावित करता है। इस प्रकार निर्माण सामग्रियाँ पर्यावरण के लिये अत्यन्त हानिकारक पाई गई हैं लेकिन देश को विकसित करने के लिये औद्योगिकीकरण भी अनिवार्य है इसलिये यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि इस सब के लिये प्राकृतिक संसाधनों के साथ इस हद तक छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिये जिससे कि मानव के स्वयं के अस्तित्व के लिये संकट उत्पन्न हो जाए।
Abstract
Today the advancement of construction industries is very rapid. The method of building construction and their plan for construction makes adverse impact on environment. According to a research construction industries are the third largest energy consumer sector. Due to growth of construction industries as well as urbanization, the global earth temperature rises that means global warming. Besides this the construction ingredient is also responsible for degradation of environment. The main impact by construction sectors on environment are : air, water and noise pollution. In this sector air pollution is due to the land digging, running of diesel engine, disintegration of building etc. Particulate matter (PM-10) generated by ingredients of construction, which causes health effect such as respiratory diseases, asthma, bronchitis, cancer etc. The sources of noise pollution are due to continious running of heavy vehicle and equipments on the construction site, they cause loss of hearing high blood pressure, insomnia and stress. Noise pollution can affect animals natural process. Thus construction materials are very much harmful for environment but they are important for the development of nation. However, this measure should not be manipulated with natural resources. The crisis of human existence should not occur.
प्रस्तावना
मानव द्वारा प्रकृति से अधिक छेड़-छाड़ के परिणामस्वरूप कुछ गम्भीर विनाशकारी प्रक्रियाएँ जैसे सुनामी, जंगल में आग लगना, बाढ़, भूमंडलीय ताप के कारण सूखा, समुद्र तल का उठना, ओजोन परत का क्षय जो कैंसर का कारण बनती हैं, जन्म लेती हैं। इसके अलावा मृदा के दूषित होने से भूमि की क्षति भी होती है। निर्माण उद्योग इन पर्यावरण समस्याओं में एक बहुत बड़ा योगदान देते हैं। निर्माण सामग्री के अधिक उपयोग के कारण साधनों का विस्तृत क्षय होता है। विश्व भर में एक वर्ष में निर्माण सामग्री 10 लाख टन अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न करती है। निर्माण सामग्रियों के उत्पादन में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जिसके परिणामस्वरूप अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है तथा स्टील और सीमेंट की उत्पादन ऊर्जा क्रमशः 32 व 7,8 MJ/Kg होती है। सीमेंट सबसे अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करता है। निर्माण सामग्रियों की प्रक्रिया और इनके परिवहन में सबसे अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है। यदि संपूर्ण विश्व में निर्माण सामग्रियों की खपत इसी तरह से होती रही तो वर्ष 2050 तक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन 3-5 अरब मीट्रिक टन पहुँच जायेगा लेकिन निर्माण सामग्रियों का वार्षिक उत्पादन और खपत साथ-साथ बढ़ रही है। सीमेंट का वार्षिक उत्पादन 5 अरब मीट्रिक टन के ऊपर पहुँच जायेगा। जिससे लगभग 4 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होगी। निर्माण सामग्रियों में सीमेंट का प्रचुर मात्रा में प्रयोग होने के कारण इसका वातावरण पर दूसरे अन्य स्रोतों की तुलना में अधिक प्रभाव होता है। मानव की जीवन शैली में परिवर्तन के कारण इमारतों की औसत आयु घट रही है जिसके परिणामस्वरूप इमारतों को ध्वस्त किया जाता है और पुनः अच्छी अवस्था में लाया जाता है। इस प्रक्रिया का पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
इस प्रकार निर्माण उद्योग प्रदूषण के मुख्य स्रोतों में से एक है। जो चारों तरफ पार्टिक्यूलेट उत्सर्जन, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन, जल प्रदूषण और बहुत सारी ध्वनि प्रदूषण की शिकायतों के लिये जिम्मेदार है। यद्यपि निर्माण प्रक्रियायें मृदा को भी प्रदूषित करती हैं लेकिन इससे संबंधित मुख्य क्षेत्र वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण है। यह लेख निर्माण सामग्रियों की अनियन्त्रित खपत के कारण उत्पन्न पर्यावरण संकट को दर्शाता है।
निर्माण में प्रयोग की जाने वाली सामग्रियाँ
मात्रा के अनुसार मुख्य निर्माण सामग्रियाँ टूटी हुई चट्टान, बालू, सीमेंट, सीमेंट कंक्रीट, आस्फाल्ट कंक्रीट, इमारती लकड़ी का उत्पादन, ईंटे, कंक्रीट ब्लॉक, रूफिंग पदार्थ, इस्पात, एल्युमिनियम, कॉपर और दूसरे धातु प्लास्टिक पेपर, पेंट, सरेस और बहुत सारे रासायनिक उत्पाद प्राकृतिक समुच्चय (पिसी हुई चट्टान, बजरी, बालू) पोर्टलैण्ड सीमेंट कंक्रीट और अस्फाल्ट कंक्रीट का समूह निर्माण में सबसे अधिक मात्रा में प्रयोग किये जाते हैं। हाल के वर्षों में कोयले के दहन उत्पादों (उड़न राख, तलीय राख एवं वाष्पित मल) वात्या भट्टी मल और ढलाई शाला बालू ने प्राकृतिक समुच्चय (एग्रीगेट) को प्रतिस्थापित किया है।
निर्माण सामग्रियों का वातावरण पर प्रभाव
निर्माण प्रदूषण मुख्यतः निम्न दो प्रकार के निर्माण कार्यों के दौरान उत्पन्न होता है।
इमारत निर्माण प्रदूषण: इमारत निर्माण कार्यों के दौरान हुए प्रदूषण को इमारत निर्माण प्रदूषण कहते हैं। इमारतों की ध्वस्त अवस्था भी इस प्रकार का प्रदूषण उत्पन्न करती है।
सड़क निर्माण प्रदूषण: जहाँ सड़क निर्माण कार्य होता है। उन क्षेत्रों में उत्पन्न प्रदूषण को सड़क निर्माण प्रदूषण कहते हैं। सड़क और इमारत निर्माण कार्यों में प्रयुक्त की गई निर्माण सामग्रियाँ मुख्यतः वायु जल और ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।
वायु प्रदूषण: जिस वायु को हम श्वास द्वारा ग्रहण करते है, निर्माण कार्यों के कारण वह प्रदूषित हो सकती है। वायु प्रदूषण में जो निर्माण प्रक्रियाएं योगदान देती हैं, वे हैं: भूमि साफ करना, डीजल इंजनों का चलाना, इमारतों को ध्वस्त करना, आग जलाना और विषैले पदार्थों के साथ कार्य करना। सभी निर्माण क्षेत्र उच्च स्तर की धूल उत्पन्न करते हैं (कंक्रीट, सीमेंट, लकड़ी, पत्थर, सिलिका आदि से)। निर्माण से संबंधित धूल को PM-10 के रूप में वर्गीकृत किया गया है (PM-10 विविक्त द्रव्य जिनका व्यास 10 माइक्रोन से कम होता है), इन्हें नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता। मुख्य निर्माण प्रदूषणकारी तत्व जो हवा द्वारा वातावरण में फैलते हैं, इस प्रकार हैं विविक्त द्रव्य के साथ बंधे वाष्प्शील कार्बनिक यौगिक, ऐस्बेस्टस, गैसें जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड। ये प्रदूषणकारी तत्व हवा द्वारा दीर्घकाल के लिये बहुत दूरी तक वातावरण में फैल जाते हैं और ये उन क्षेत्रों को ज्यादा प्रभावित करते हैं जिस दिशा में हवा का बहाव होता है।
एक शोध के अनुसार PM-10 श्वसन द्वारा फेफडों में भीतर तक प्रवेश करके अनेक स्वास्थ्य समस्यायें जैसे श्वसन रोग, दमा, ब्रॉकाइटिस, कैंसर आदि उत्पन्न करते हैं। निर्माण क्षेत्रों में PM-10 का एक बहुत बड़ा स्रेात वाहनों और उपकरणों के डीजल इंजन से उत्पन्न धुआँ है। इसे डीजल विविक्त द्रव्य कहते हैं। इनमें कालिख सल्फेट और सिलिकेट्स होते हैं जो वातावरण के अन्य विषैले पदार्थों से मिलकर श्वास द्वारा अनेक स्वास्थ्य समस्याओं को उत्पन्न करते हैं। डीजल कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजनऑक्साइड और कार्बनडाइऑक्साइड के उत्सर्जन के लिये भी जिम्मेदार हैं।
ये सभी प्रदूषक अलग-अलग प्रकार के होते हैं और अपनी रासायनिक संरचना, क्रिया, गुणों, उत्सर्जन स्रोतों, पर्यावरण में स्थायित्व, लम्बी और छोटी दूरी तय करने की इनकी योग्यता और अपने अन्तिम प्रभाव से भिन्न होते हैं।
वायु प्रदूषण के निर्माण संबंधित स्रोत
कंक्रीट: कंक्रीट निर्माण और औद्योगिक अनुप्रयोगों में प्रयोग किया जाने वाला आवश्यक उत्पाद है। कंक्रीट को सर्वप्रथम इजिप्ट के लोगों ने 3000 ईसा पूर्व निर्माण में प्रयोग किया था। तैयार मिश्रित कंक्रीट सर्वप्रथम 1913 ई. में बाल्टीमोर मैरीलैण्ड संयुक्त राज्य अमरीका में बनाया गया।
कंक्रीट को पोर्टलैण्ड सीमेंट, जल, खुदरा पत्थर, बारीक समुच्चय और कुछ रसायनों (जो जमने के गुणों को नियंत्रित करते हैं) को मिश्रित करके बनाया जाता है। सीमेंट और जल की अभिक्रिया से मिश्रण सख्त हो जाता है। कंक्रीट भार का 9-13 प्रतिशत होता है। अनुपूरक सीमेंट पदार्थ सीमेंट के कुछ भाग को विस्थापित करने के लिये प्रयोग किया जाता है। अनुपूरक सीमेंट पदार्थ में उड़न राख तलीय, वात्या भट्टी मल और सूक्ष्म सिलिका मिले होते हैं।
कंक्रीट के उत्पादन की प्रक्रिया में निम्नलिखित विषैले पदार्थ निकलते हैं, जो पर्यावरण को दूषित करते हैं।
विविक्त द्रव्य (PM-10); सल्फर ऑक्साइड (SOx); नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx); वाष्प्शील कार्बनिक यौगिक (VOCs); तथा तलीय स्तर ओजोन (NOx और VOCs की अभिक्रिया द्वारा O3 बनती है)।
इस उद्योग से संबंधित दूसरे दूषित तत्व निम्नलिखित हैं
कुल विविक्त द्रव्य (TPM); कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) ; कार्बन मोनोऑक्साइड (CO); मीथेन (CH4); तथा नाइट्रस ऑक्साइड (NOx)।
नीचे दिये गए ग्राफ में सन 2000 ई. में लिये गये आंकड़ों के अनुसार कंक्रीट के उत्पादन उद्योग और कुल राष्ट्रीय औद्योगिक उत्सर्जन के मध्य तुलना को दर्शाया गया है (ग्राफ 1-3)।
उत्सर्जन
विविक्त द्रव्य (पीएम-10): कंक्रीट के उत्पादन में उत्सर्जित होने वाला मुख्य पदार्थ है।
सीमेंट: पोर्टलैण्ड और मैसोनरी सीमेंट द्रवचालित सीमेंट होते हैं जो जल के साथ अभिक्रिया करके सख्त हो जाते हैं। सीमेंट के उत्पादन से संबंधित वायु प्रदूषक तत्व निम्न प्रकार हैं:
विविक्त द्रव्य (TPM, PM-10, PM-2.5) नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, वाष्पशील कार्बनिक यौगिक - (Benzene, toluene, Ethyl Benzene, Xylene) तथा अमोनिया ग्रीन हाउस गैसें (कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड)।
अन्य पदार्थ
अम्लीय यौगिक: हाइड्रोजन क्लोराइड, हाइड्रोजन फ्लोराइड, सल्फ्यूरिक अम्ल।
भारी धातु: आर्सेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, लैड, मरकरी और निकिल।
कार्बनिक पदार्थ: पॉलीक्लोराइड डाई बेन्जो पी डाआक्टि पॉलीक्लोराइड, बाइफिनाइल, हेक्साक्लोरोबेन्जीन, पॉलीसाइक्लिक ऐरोमैटिक हाइड्रोजन को एग्रिगेट जैसे पत्थर, बालू व बजरी के साथ मिलाकर आस्फॉल्ट बनाया जाता है।
अस्फाल्ट: अस्फाल्ट सीमेंट को एग्रीगेट जैसे पत्थर, बालू व बजरी के साथ मिलाकर अस्फाल्ट बनाया जाता है। अस्फाल्ट विश्व की सबसे पुरानी निर्माण सामग्री है। अस्फाल्ट चालन रास्तों, पार्किंग स्थानों, दौड़ने के रास्तों, टैनिस कोर्ट और दूसरे अनुप्रयोगों (जहाँ चिकनी, स्थायी चालान सतहों को आवश्यकता होती है) में प्रयोग किया जाता है। अस्फाल्ट के उत्पादन में निकलने वाले वायु प्रदूषक हैंः विविक्त द्रव्य (TPM, PM-10, PM-2.5), नाइट्रोजन ऑक्साइड सल्फर ऑक्साइड कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, भारी धातु पॉलीऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन व वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (सारणी 1)।
लोहा और इस्पात: लोहा और इस्पात का उपयोग रूफिंग पदार्थों, पाइपों सड़क निर्माण सामग्रियों आदि में किया जाता है। लौह इस्पात उत्पादन प्लांटों से 80 प्रतिशत TPM, NOx, Sox, CO, VOCs और ग्रीन हाउस गैसें निकलती हैं।
औद्योगिक ऊर्जा का प्रयोग: निर्माण उद्योग में विभिन्न कार्यों के लिये ऊर्जा की आवश्यकता होती है। दहन प्रणाली औद्योगिक ऊर्जा का घटक है। यह उत्सर्जन धुआँ अम्लीय वर्षा, विविक्त द्रव्य और कार्बन डाइ ऑक्साइड के बनने में योगदान देता है और मौसम परिवर्तन का कारण बनता है।
इमारती लकड़ी और संश्रित लकड़ी उत्पाद: मानक औद्योगिक वर्गीकरण (SIC&25) के अनुसार भौतिक सुविधाओं की विस्तृत इमारती लकड़ी और संश्रित लकड़ी उत्पादन उद्योग के अंतर्गत आते हैं। वे संगठन जो लकड़ी उत्पादों को बनाने के लिये लकड़ी को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं वे इस प्रकार हैं : आरा मशीन कारखाना, प्लाईवुड, कारखाना, पैनल बोर्ड कारखाने जिनके अन्तर्गत पार्टिकल बोर्ड कारखाने, मध्यम घनत्व फाइबर बोर्ड कारखाने। इमारती और मिश्रित लकड़ियों का बहुत बड़ा भाग रिहायशी और औद्योगिक निर्माण में प्रयुक्त होता है। लकड़ी उत्पाद कारखानों से निकलने वाले उत्सर्जित पदार्थों को बनाने में जो प्रक्रिया प्रयोग में लाई जाती है वह लकड़ी के प्रकार पर निर्भर करती है। लकड़ी उत्पादों के कारखानों से निकलने वाले उत्सर्जन में वाष्प्शील कार्बनिक यौगिक, विविक्त द्रव्य, नाइट्रस ऑक्साइड कार्बन मोनोऑक्साइड, मिथाइल एल्कोहाल, फॉर्मेल्हिाइड, ऐक्रोलेन और एसिड होते हैं।
ऐस्बेस्टस: ऐस्बेस्टस इमारतों और निर्माण उद्योग में बहुतायत से प्रयोग किया जाता है। यह सिलिकेट परिवार का एक जंग मुक्त अवयव है, इसी कारण से यह विद्युत, आग और रसायनों का विरोधी होता है। ऐस्बेस्टस ही एक ऐसा पदार्थ है जिसमें ये सब विशेषताएँ होती हैं, इसलिये यह इतना प्रचलित है। यद्यपि ऐस्बेस्टस उन लोगों के लिये जो लगातार इसके संपर्क में रहते हैं काफी खतरनाक भी हो सकता है। यह सूक्ष्म जन्तुओं के समूह का बना होता है। जब ऐस्बेस्टस की क्षति होती है तो इसके तन्तु अलग-अलग हो जाते हैं और हानिकारक पदार्थ वायु में फैल जाते है जहाँ से ये श्वास द्वारा अंगों और फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। निर्माण क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों में एक सबसे अधिक होने वाला रोग ऐस्बेस्टस कैंसर होता है। यह पाचन अंगों को नष्ट कर देता है। इस प्रकार यह पाचन की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। इस प्रकार का कैंसर उन लोगों में अधिक होता है, जो काफी लम्बे समय तक इसके संपर्क में रहते हैं इसीलिये निर्माण उद्योग से जुड़े श्रमिको में इस प्रकार के मामले ज्यादा पाये जाते हैं। ऐस्बेस्टस का प्रयोग इतना विस्तृत है कि इसके बगैर कोई भी निर्माण उद्योग इसके प्रयोग को कम नहीं कर रहा है।
जल प्रदूषण
निर्माण क्षेत्रों में और उसके समीप का भूमिगत जल और सतह पर बहता जल निर्माण कार्यों में प्रयुक्त निर्माण सामग्रियों द्वारा प्रदूषित कार्बनिक यौगिक, पेन्ट, सरेस, डीजल, तेल, दूसरे विषैले रसायन और सीमेंट ये प्रदूषक बहते जल को गंदा करते हैं और सतह एवं भूमिगत जल को प्रभावित भी करते हैं (क्योंकि बहता हुआ जल सतहों पर छनकर भूमिगत जल में मिल जाता है)। भूमिगत जल और सतह पर बहता जल निर्माण क्षेत्रों से निकले प्रदूषण के स्रोत को कम कर सकते हैं घरेलू और पालतू पशु इस दूषित जल को पीते हैं जो कि उनके लिये घातक होता है और इससे वहाँ की मृदा भी दूषित हो जाती है। इसके अतिरिक्त भूमिगत जल दूषित होने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमारे चारों तरफ की आबोहवा भी प्रभावित होती है। (जल से निकले वाष्पशील प्रदूषक तत्व आस-पास की हवा में फैल जाते हैं)। कुल मिलाकर निर्माण क्षेत्रों से उत्पन्न जल प्रदूषण को कम नहीं आंका जा सकता बल्कि इनमें गम्भीर वातावरणीय समस्याओं को पैदा करने की क्षमता होती है।
जल प्रदूषण से संबंधित स्रोत: जल प्रदूषण से संबंधित स्रोतों का ब्यौरा निम्नवत है
: 1. निर्माण उद्योग में प्रयोग किया जाने वाला सीमेंट, स्नेहक तथा प्लास्टिक हमारे जल संसाधनों को दूषित करते हैं। निर्माण क्षेत्रों से बहते हुए जल के साथ भारी गाद और तलहट नदियों और झीलों को भी प्रदूषित करती है।
2. निर्माण क्षेत्रों पर जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं: डीजल व तेल, पेन्ट, विलायक, क्लीनर्स और दूसरे हानिकारक रसायन, निर्माण मलबा और धूल। निर्माण क्षेत्रों में जब भूमि को साफ किया जाता है तो यह मृदा अपरदन का कारण बनता है जिसके कारण बहते जल में गाद और तलहट प्रदूषण होता है। गाद और मिट्टी बहते हुये जल के साथ मिलकर जल के प्राकृतिक संसाधनों को गंदला कर देते हैं। गंदा जल सूर्य के प्रकाश के छनने को रोकता है जिससे जलीय जीवन का विनाश होता है।
3. निर्माण क्षेत्रों के प्रदूषण तत्व भूमिगत जल द्वारा अवशोषित कर लिये जाते हैं जो मानव के पीने के पानी का स्रोत होता है। एक बार भूमिगत जल के दूषित होने पर सतह के जल की अपेक्षा इसका उपचार करना कठिन होता है।
ध्वनि प्रदूषण
निर्माण उपकरणों द्वारा किया गया शोर ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत है। दूसरे स्रोत जो सुनने की क्षमता को प्रभावित करते हैं वे निर्माण क्षेत्रों में हुई विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे निर्माण परिवर्तन, इमारतों को ध्वस्त करना और दूसरी संबंधित क्रियाओं जैसे भूमि साफ करना, उनके कार्यस्थल तैयार करना, खुदाई करना और क्षेत्रफल सौन्दर्यकरण आदि करने के लिये जो उपकरण प्रयोग किये जाते हैं उनके द्वारा होता है क्योंकि निर्माण उपकरण बाहर खुले स्थानों पर चलाये जाते हैं। अतः ये निर्माण क्षेत्रों पर कार्य करने वाले श्रमिकों के अलावा दूसरे लोगों को भी प्रभावित करते हैं। ध्वनि प्रदूषण सुनने का क्षय, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा और तनाव उत्पन्न करता है। शोधों से यह भी ज्ञात हुआ है कि ध्वनि प्रदूषण जानवरों की प्रकृति को भी प्रभावित करता है।
मृदा प्रदूषण
निर्माण क्षेत्रों के चारों तरफ की मृदा वायु प्रवाह के कारण दूषित हो सकती है क्योंकि वायु में उपस्थित निर्माण सामग्रियों से उत्सर्जित दूषित तत्व आस-पास की मृदा में जमा हो जाते हैं। इसी प्रकार दूषित जल के बहने से भी मृदा दूषित हो जाती है। मृदा में उपस्थित दूषित पदार्थ लम्बे समय तक बने रहते हैं जैसे पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन।
प्रदूषण को रोकने के उपाय
1. मृदा अपरदन और पानी के बहाव को रोकने के लिये अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिये।
2. निर्माण क्षेत्रों में रखी निर्माण सामग्रियों जैसे बालू पर पानी का छिड़काव और महीन जाल बिछाना चाहिये।
3. जितना सम्भव हो सके विषैले पेन्ट, विलायक और दूसरी खतरनाक सामग्रियों का प्रयोग नहीं करना चाहिये।
4. निर्माण क्षेत्रों में पदार्थ को जलाना नहीं चाहिये।
5. सभी वाहनों और उपकरणों के इंजनों में कम सल्फर वाला तेल प्रयोग करना चाहिये और नवीनतम विशेषताओं वाले विविक्त निस्यंदक प्रयोग करना चाहिये।
6. विषैले पदार्थों को अलग-अलग और अच्छी तरह से ढक कर रखना चाहिये तथा
7. निर्माण सामग्रियों जैसे सीमेंट, बालू आदि को ढक कर रखना चाहिये और उन्हें ऐसी जगह रखना चाहिये जहाँ से वे पानी के साथ न बह सकें।
निष्कर्ष
निर्माण उद्योग ऊर्जा को खपत करने वाला तीसरा बड़ा उद्योग है। इस उद्योग द्वारा हुये शहरीकरण से पृथ्वी के तापमान में भी वृद्धि हो रही है। इसके अतिरिक्त इस उद्योग में प्रयोग की जाने वाली निर्माण सामग्रियाँ पर्यावरण प्रदूषण के लिये उत्तरदायी होती है। निर्माण सामग्रियों से संबंधित मुख्य वातावरणीय समस्याओं में वायु, जल एवं ध्वनि प्रदूषण है। विभिन्न निर्माण सामग्रियाँ जैसे-कंक्रीट, सीमेंट, सिलिका पत्थर, लकड़ी आदि से अत्यन्त छोटे विविक्त द्रव्य उत्पन्न होते हैं जो श्वसन रोग, दमा, ब्रोकोइटिस, कैंसर आदि बीमारियाँ उत्पन्न करते हैं। इसके अतिरिक्त इन सामग्रियों के उत्पादन और प्रयोग के दौरान नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, वाष्पशील कार्बनिक यौगिक, अमोनिया और ग्रीन हाउस गैसें आदि उत्सर्जित होती है जो पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डालती है। निर्माण क्षेत्रों में चलने वाले भारी उपकरण और वाहन ध्वनि प्रदूषण करते हैं। ध्वनि प्रदूषण सुनने की क्षमता का क्षय, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा और तनाव उत्पन्न करता है। पर्यावरण को सुरक्षित उपायों द्वारा दूषित होने से बचाया जा सकता है।
आभार
शोध हेतु प्रयोगशाला तथा अन्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिये लेखकगण, निदेशक सीएसआईआर-केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान, दिल्ली का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।
संदर्भ
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सम्पर्क
सिप्पी कालरा चौहान, विजय बहादुर यादव, अनुराधा शुक्ला एवं ओम प्रकाश, Sippy Kalra Chauhan, Vijay Bahadur Yadav, Anuradha Shukla & Ome Prakash
पर्यावरण विज्ञान विभाग, सीएसआईआर-केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली 110025सीएसआईआर-नीरी जोनल लैब, नई दिल्ली 110025, Environmental Science Division, CSIR-Central Road Research Institute, New Delhi 110025CSIR-NEERI, Zonal Laboratory, New Delhi 110025