पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में गंगा बचाओ आंदोलन पर विचार

Submitted by Hindi on Mon, 05/21/2012 - 18:24
Source
यू-ट्यूब, 29 मार्च 2012

गंगा, जो हमारी भारतीय संस्कृति सभ्यता और अपनी सनातन परंपरा की पहचान ही नहीं उसके साथ हमारा जन्म-मरण का एक नाता जुड़ा हुआ है और हिमालय के गंगोत्री से गंगा सागर तक भारतीय संस्कृति सभ्यता का विकास गंगा के पावन तट पर हुआ। जो गंगा हमें अपने जल से सींचती आ रही है, उस गंगा की निर्मलता-अविरलता अब संकट में है ऐसी परिस्थितियों में हमें गंगा की रक्षा करना चाहिए। हमनें गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित तो कर दिया है परन्तु कहीं गंगा पर बांध बनाकर तो कहीं फैक्ट्रियों का गंदा पानी छोड़ रहे हैं जिससे गंगा का अस्तित्व अब संकट में आ गया है। स्वामी ज्ञानस्वरूप का गंगा के लिए चार बार अनशन करने के बावजूद सरकार बस उनको आश्वासन व आयोग बनाकर खत्म कर देती है।