पुरबा में पछुँवा बहै

Submitted by Hindi on Thu, 03/18/2010 - 15:33
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घाघ और भड्डरी

पुरबा में पछुँवा बहै। हँसि के नारि पुरुष से कहै।
ऊ बरसे ई करै भतार। घाघ कहै यह सगुन बिचार।।


भावार्थ- यदि पुरवा नक्षत्र में पछुवा बहे और कोई स्त्री परपुरुष से हँस-हँसकर बात करे तो सगुन विचार कर घाघ कवि कहते हैं कि पानी अवश्य बरसेगा और वह स्त्री उस पुरुष से अनुचित सम्बन्ध बनायेगी।