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डेली न्यूज एक्टिविस्ट, 27 अप्रैल 2015

नगर आयुक्त ने जर्जर भवनों के निरीक्षण कर चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं। दो दिन में चिन्हाकन के बाद भवन स्वामियों को नोटिस देने की कार्रवाई की जाएगी। नोटिस देने के बाद भी भवन न गिराने पर नगर निगम ऐसे भवनों को गिराकर क्षतिपूर्ति शुल्क वसूल करेगा। −एसके अंबेडकर, मुख्य अभियंता, नगर निगममिनट भर के लिए धरती के हिलने से हर कोई सिहर उठा था। कई इमारतों में दरारें आ गईं। भूकम्प के झटकों से विधान भवन भी सुरक्षित नहीं है। रविवार को झटकों से विधा भवन में दरारें आ गईं। पुराने शहर की पुरानी ऐतिहासिक इमारतें, इमामबाड़ा, घण्टाघर, सहित सौ साल पुरानी इमारतों के गिरने का डर सताने लगा है। अलीगंज प्रियदर्शनी कॉलोनी स्थित पार्क में बनी पानी की टंकी की मरम्मत न किए जाने से झटकों के बाद इसमें प्लास्टर गिरने से लोग दहशत में हैं। टंकी से पानी का रिसाव होने पर कई बार शिकायत की गई लेकिन जलकल विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की है। अब भूकम्प को लेकर यहाँ के लोग टंकी के गिरने की आशंका से डरे हुए हैं। पुराने प्लास्टर में दरारें पहले आ चुकी थीं लेकिन लोग इसे भूकम्प का कारण मान रहे थे।
72 इमारतें खतरनाक
नगर निगम की लापरवाही कभी भी लखनऊवासियों के लिए भारी पड़ सकती है। शहर में 60-70 साल पुराने भवन जर्जर हो चुके हैं। वर्ष 2012 में अन्तिम सूची तैयार की गई थी। इस दौरान शहर के विभिन्न इलाकों में 192 भवन जर्जर घोषित किए गए थे। उक्त सूची में से 72 भवन बिल्कुल खतरनाक घोषित किए गए थे। इन भवनों पर नोटिस चस्पा करने के बाद नगर निगम ने कार्रवाई करना उचित नहीं समझा। बीते तीन वर्षों से नगर निगम ने शहर में जर्जर भवनों की सूची तक नहीं बनाई है। नगर निगम के इंजीनियर हर वर्ष उन्हीं भवनों की सूची आगे-पीछे कर अपनी कार्रवाई पूरी कर लेते हैं। इन जर्जर घोषित भवन की आज की दशा क्या है इसकी जानकारी तक नगर निगम के पास नहीं है। वहीं पुरानी सूची में कई भवन स्वामियों ने भवन गिराकर नया निर्माण करा लिया है। जबकि अमीनाबाद में जर्जर भवनों के नीचे ही शोरूम चल रहे हैं।
नियम है, कार्रवाई नहीं
जर्जर भवनों को चिन्हित कर उन्हें मरम्मत या गिराने का नोटिस देने का अधिकार नगर निगम के पास है। इसके साथ ही नगर निगम अधिनियम में यह भी व्यवस्था है कि जर्जर भवन को भवन स्वामी के न गिराने पर नगर निगम उक्त भवन को गिरा कर उसका शुल्क भवन स्वामी से वसूल कर सकता है। नियम होने के बाद भी नगर निगम ने अपने इस अधिकार का कभी प्रयोग नहीं किया है।