सारांश
एक विकासशील शहरी समाज में अपशिष्ट जल आमतौर पर प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 30.70 मी3 प्राप्त होता है। यह अपशिष्ट जल नालों के द्वारा बहकर हमारे साफ पानी वाले स्त्रोंतो में मिलकर उस साफ पानी को भी दूषित कर देता है। अतः समय की मांग को देखते हुए जरूरी है कि इस अपशिष्ट जल में उपस्थित अमाननीय घटकों को ट्रीटमेंट प्लांट की कुछ एरोबिक एवं रासायनिक क्रियाओं द्वारा उनके सही मापदण्डों के करीब लाकर उस उपचारिक जल की जांच करके, इस जल को उसकी गुणवत्ता के आधार पर अलग-अलग स्थानों पर जैसे सिंचाईए धुलाईए टायलेट तथा पशुओं को नहलाने इत्यादि में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसी उद्देश्य को ध्यान मे रखते हुए रूडकी शहर के पास 7 किमी. की दूरी पर स्थित रतमउ नदी के पास स्थित एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से उपचारित किये जल में से लगभग 100 सेम्पल अलग-अलग दिनों के लेकर उनके मुख्य सातों घटकों की मात्रा की जांच कराई गई एंव उनकी एकाग्रता के लिये विश्लेषण किया गया। पानी के नमूनोंको गुणवत्ता के आधार पर श्रेणीबद्ध करने के लिये सर्वप्रथम जल गुणवत्ता सूचकांक (Water Quality Index WQI) को Emperical विधि द्वारा विभिन्न सातों घटकों के लिये एक समान भार रखने पर विभिन्न wqiके मान प्राप्त किये गये जबकि इन सभी सेम्पल के विभिन्न घटकों के महत्व के आधार पर अलग-अलग भार देने पर दूसरी wqiकी मात्रा प्राप्त हुई।
पानी की गुणवत्ता जांचने के लिये एक नई उभरती तकनीक ‘फजी तकनीक‘ का इस्तेमाल किया गया है। ‘फजी मामदानी तकनीक’ का उपयोग फजी नियमों को फ्रेम करके लिये गये नमूनों की पानी की गुणवत्ता के रूप में परिणाम प्राप्त करने के लिए किया जाता है। पानी के नमूनों के डेटा का उपयोग करते हुए सभी इनपुट डेटा फजी बनाये गये हैं एवं सभी इनपुट और आउटपुट के लिए ट्रेपेजॉइडल सदस्यता फंक्शन (Trapazoidal Membership function) तैयार किए गए हैं। अंत में एक ऐसा मॉडल विकसित किया गया है जो भविष्य में इन घटकों के किसी भी एकाग्रता के लिए पानी की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए उपयोगी होगा। फजी तकनीक से विकसित किये गये इस मॉडल के परिणामों द्वारा यह निष्कर्ष निकलता है कि आज के समय मं जब साफ जल की समस्या एक भयानक रूप ले रही है तो ऐसे में हमें दूषित जल को ट्रीटमेंट प्लांट के द्वारा उपचारित करके पीने के पानी के अलावा अन्य कार्यो में इस्तेमाल करना चाहिए ताकि हम स्वच्छ जल को बचा सकें। जैसे कि परिणामों से विदित है कि इस उपचारित जल के नमूनों की वाटर क्वालिटी इंडेक्स ‘WQI’ मान अलग-अलग है, अतः हम इनकी WQI अनुसार ही इसका इस्तेमाल अलग-अलग स्थान पर कर सकते हैं। सात मुख्य पैरामीटर जिनकी मात्रा पानी में अधिक महत्व रखती है (जैसे COD, BOD, Turbidity etc.) की वैल्यू उपचारित जल से test कराकर अलगद-अलग सेम्पल के लिऐ एकत्रित की गई फिर उन्हे एक मॉडल के द्वारा सारे इन्पुट को फजीफाई करके इस्तेमाल किया गया और प्रत्येक पैरामीटर को उसके महत्व के अनुसार भार देकर उनका WQI प्राप्त किया गया। परिणाम से पता लगा है कि उपचारित जल के सभी नमूनों में अधिकतर का वाटर क्वालिटी इंडेक्स 60 से 90 के बीच हैं। अतः अधिकतर उपचारित जल कोसिंचाई, धुलाई एंव मवेशियें आदि जैसे अलग-अलग कामों में उपयोग में लाया जा सकता है।
Abstract
In a developing urban society, the waste water generation is usually 30 – 70 m3 per person per year. The quality of waste water (mixture of black and gray water) after treated with activated sludge process was monitored for seven different constituents (turbidity, dissolved solids, chlorides, sodium ratio, conductivity, BOD and COD). This waste water can be used for irrigation purposes after the proper treatment through treatment plants. From treated water, more than one hundred water samples have been takenand analyzed for the concentration of their constituents. Water samples have been categorized for quality on the basis of water quality indices (WQI) which transformed all the seven constituents and their concentrations present in a single value through empirical method (equal and unequal weightage of different constituents). A new emerging technique like Fuzzy technique is employed for water quality modeling. Fuzzy –Mamdani technique is used to frame the fuzzy rules and get the result as water quality of the samples. Using water sample’s data, all input data are fuzzified. Trapezoidal membership functions are drawn for all inputs and output. A final model is developed which is useful to find the quality of water for any concentration of these constituents in future.
The model has given the water quality index of the treated water. It is found that the quality index of water after treatment is not very poor. It lies between 60 to 90 for most of the samples. This water can be used for irrigation purpose. Water having quality index less then 60 can be used for gardening flushing etc. Sometime in crucial situations water with quality index above 80 can be use for domestic purpose. It is also concluded that the weights should be specified according to the importance of the parameter rather equal distribution.
परिचय
पर्यावरण प्रबंधन के तीन महत्वपूर्ण पहलू हैं। पहला पहलू वैज्ञानिक है जो जैविक जीवन की उत्तर जीविका की मूल बातें बताता है कि कैसे पारिस्थितिकी तंत्र प्राक्रतिक पर्यावरण में व्यक्तिगत प्रजातियों के विकास और अनुकूलन क्षमता के लिये काम करता हैं, दूसरा पहलू कानूनी है जो मानव गतिविधियों की सीमाओं को परिभाषित करता है एवं जो मानव गतिविधियां प्राकृतिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है उन्हें नियंत्रित विनियमित और प्रतिबंधित करता है। यह अंतर्राष्ट्रीय या राष्ट्रीय स्तर पर हो सकता है। और तीसरा पहलू प्रबंधकीय है जो प्राकृतिक गतिविधियों जैसे हवा पानी भूमि खनिज और बायोटा का उपयोग करने के लिए मानव गतिविधियों को इष्टतम तरीके से प्रबंधित करता है। और बढ़ती आबादी की बढ़ती मांग को पृरा करने के लिए औद्योगिक उत्पादन में पर्यावरण प्रबंधन के वैज्ञानिक और कानूनी पहलू का उपयोग करता हैं। सभी पहलू आपस में जुडे हुए है और पर्यावरण प्रबंधन के प्रबंधक अपने उदेश्यों को प्राप्त करने के लिए अपनी सामाजिक जिम्मेदारी और अग्रणी संगठन के निर्वहन के लिए तीनों पहलूओं पर विचार करके कार्य करते हैं। एक विकासशील शहरी समाज में अपशिष्ट जल उत्पादन आमतौर पर प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष लगभग 30 से 70 मी3 है जो दस लाख लोगों के एक शहर में उत्पन्न अपशिष्ट जल को ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा उपचारिक करके लगभग 1500 से 3500 फीट 2 खेत की सिंचाई के लिये पर्याप्त हो सकता है। लेकिन हमारे यहां 300 शहरी केंद्रों में सीवरेज प्रणाली पहुंच के बावजूद उनमें से केवल 70 में उपचार की सुविधा है और केवल 28% शहरी घर सार्वजनिक सीवरेज प्रणाली से जुडे हुए हैं। सिंचाइर्, धुलाई, मवेशी धोने, शौचालय आदि विभिन्न उदेश्यों के लिए उपचारिक अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग करना आज की आवश्यकता है।
इस अध्ययन का उददेशय सात मुख्य घटकों के मापदंडों का उपचार करने के बाद हाइड्रोलॉजिकल ऑपरेशन नियमों का निर्माण करके अपशिष्ट जल की गुणवत्ता के लिए एक फजी नियम आधारित मॉडल विकसित करना है। जहां अपशिष्ट जल में सभी घटकों की एकाग्रता अलग अलग होती है क्योंकि प्रवाह और बहिर्वाह अनिश्चित होते हैं। रूड़की के पास उपचारिक अपशिष्ट जल का एक केस अध्ययन करने के लिए इस मॉडल का उपयोग किया गया हैं। घटक की एकाग्रता का विश्लेषण करने के लिये ढाई साल तक एक सौ से अधिक पानी के नमूने लिए गये हैं। इन नमूनों से सर्वप्रथम पानी के मुख्य सात घटकों-टर्बिडिटी, सोडियम अनुपात ठोस मात्रा, क्लोराइड, चालकता, COD एंव BOD की मात्रा ज्ञात करके इन्हें एक ट्रीटमेन्ट प्लांट से ट्रीट कराकर पुनः इनके अवययों की मात्रा की जांच की जाती है। प्रत्येक नमूने के लिये Empirical विधि से प्राप्त परिणाम एक विशेषज्ञ राय के रूप में उपयोग किया गया है। मॉडल परिणामों का विश्लेषण बनाये गये फजी नियमों का मूल्यांकन करके उपचारित पानी की गुणवत्ता का प्रदर्शन सूचकांकों के साथ किया गया है।
अध्ययन क्षेत्र
अध्ययन में लिया गया क्षेत्र रूड़की से 7 किमी की दूरी पर हरिद्वार की तरफ रतमऊ नदी के किनारे स्थित है जिसका अक्षांश 290 55N एंव देशान्तर 700 55’ E है। इस स्थान पर औसतन वर्षा 1100 मिमी है यहां अधिकतर वर्षा जुलाई से सितम्बर माह के बीच होती है। इस स्थान का तापमान सर्दियों में50 c से 200 तक तथा गर्मियों में 250 c से 420 c तक पाया जाता है।
अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र सारे परिसर से एकत्रित अपशिष्ट जल के काले और गंदेपानी की धारा को दो घंटेतक बड़े से समतुल्य टैंकमें प्रवाहित किया जाता है। उसके बाद यह पानी सक्रिय कीचड़ प्रक्रिया में लिये एक दूसरे टैंक में पम्प किया जाता है। जिसमें पानी को निलंबित माइक्रोबियलफलोक्स की उपस्थिति में वातित किया जाता है। कुछ कार्बनिक पदार्थों का सेवन करते हुए एरोबिक बैक्टीरिया जीवाणुओं को संश्लेषित करके एवं वनस्पतियों द्वारा कचरे का जैविक क्षरण करके Co2 और H2o उत्पन्न करते हैं। इसमे बैक्टीरियल वनस्पतियां उगती रहती हैं और फ्लोक के रूप में निलंबित रहती हैं । इस प्रक्रिया के अंन्तर्गत जो बैक्टीरियल फ्लोरा बनता है और फ्लोक के रुप में नीचे जमा हो जाता इस फ्लोरा को टैंक से तलछट प्रक्रिया द्वारा अलग कर दिया जाता है, इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराया जाता है ताकि पानी के अमानीय तत्व कम हो सकें।
इस प्रकिया में टैंक से सारे कीचड़ के तलछट के नीचे बेठने पर ऊपर के जल को प्रवाहित कराकर दूसरे टैंक में डाला जाता हैं। इस कीचड़ को इसी टैंक में रिसाइकिल कराकर एक कीचड़ डाइजेस्टर में रख दिया जाता है एवम ऊपर के प्रवाहित जल को दूसरे टैंकों में भेजकर वहां ट्रीटमेंट किया जाता है।
डेटा उपलब्धता
इस प्रक्रिया में लगभग 2000 लोगों का अपशिष्ट जल पाईप के द्वारा एक भूमिगत टैंक में जमा किया जाता है और फिर इस काले एंव गे्र पानी को एक ट्रीटमेंट प्लांट के द्वारा ट्रीट करके उसके सेम्पल अध्ययन के लिए इस्तेमाल किये गये है, इस ट्रीट किये जलमें से लगभग 100 दिन एक-एक सेम्पल लेकर लैब में इसका मुख्य घटकों जैसे घुलित ठोसए क्लोराइडए सोडियम, अनुपात, चालकता, बीओडी और सीओडी का परीक्षण किया गया है और उपचार के बाद अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र से लिए गए 100 से अधिक नमूनों के लिए मानों को संग्रहीत किया गया है एंव जल के जल गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार ही उपचारित जल के उपयोग के लिये दिशा निर्देश दिये गये हैं।
विधि और सामग्री
जल गुणवत्ता सूचकांकों (WQI) का उद्देश्य उपचारित जल के सभी घटकें की गुणवत्ता को एक मूल्य देना है। जो एक नमूने में मौजूद गठन और उनकी सांद्रता की सूची का अनुमेादन करता है। जिससे हम प्रत्येक नमूने के सूचकांक मूल्य के आधार पर विभिन्न नमूनों की गुणवत्ताकी तुलना कर सकते हैं। डब्ल्यू क्यू आई का उपयोग जल आपूर्ति और जल प्रदूषण नियंत्रण के लिए जिम्मेदार एजेंसियां विभिन्न आवश्यकताओं के अनुसार जल वितरण में प्रयोग में लाती हैं। उपचारित अपशिष्ट जल गुणवत्ता की गणना करने के लिए निम्नलिखित विधियों को नियोजित किया गया है।
अनुभवजन्य (Empirical Method) विधि
Empirical विधि द्वारासमान अथवा अलग-अलग वजन के साथ सभी पैरामाीटर का मापदंड ज्ञात किया जाता है।
1 प्रत्येक पैरामीटर के लिए यूनिट वजन (Wi) की गणना इस प्रकार की गई है।
2 प्रत्येक उप.सूचकांक (SI)I का मूल्य qi wi के बराबर है। जहॉ qi पपैरामाीटर की ith गुणवत्ता रेटिंग है।
अनुभव जन्य विधि के माध्यम से प्राप्त WQI के मानों को प्राप्त करने के लिये समान और अलग-अलग भार के मान नीचे दी गई सारणी मं दिये गये हैं।
सभी इनपुट डाटा की अधिकतम एंव न्यूनतम मूल्यों को देखते हुए उपचारित जल को प्रयोग मंे लाने के लिये इसे अलग-अलग श्रेणियों में जैसे उत्कृष्ट, बहुत अच्छा, अच्छा, संतोषजनक और बेकार के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। मामदानी इन्फरेंस विधि के इस्तेमाल के लिये प्रत्येक पैरामीटर के इनपुट डाटा को फजी डाटा बनाने के लिये प्रत्येक पैरामीटर को एक फिक्स वर्ग अन्तरालकी श्रेणी में विभाजित किया गया है। प्रत्येक पैरामीटर का रेटिंग स्केल (तालिका 2) उनकी प्रमाणिकता के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
तालिका 2: Rating scale for water quality parameters and ranges of different classes of membership functions.
फजी इन्फॉर्मेशन सिस्टम (FIS)
इनपुट डेटा को फ़ज़िफ़िकेशन के लिए परिसर के न्यूनतम और अधिकतम मान को विभिन्न वर्गों में विभाजित किया गया है। सभी इनपुट मापदंडों के लिए टेपेज़ियम ओवरलेप्ड मेम्बरशिप फंक्शन का उपयोग किया गया है (चित्र 1 एवं 2) । सभीमेम्बरशिप फंक्शन को पांच-पांच श्रेणियो में विभाजित किया गया है, चित्र 3मेंइन फजीफाईड़ वेल्यू से फज़ी नियमों के लिये एक डाटाबेस कोदर्शाया गया है। फजी नियमों का निर्माण फजी नियम को तैयार करने के लिए सभी मापदंडों के फजी मूल्यों को उनकी विभिन्न श्रेणियों के रखा गया है। नियमों को तैयार करने के लिए विशेषज्ञ का मार्गदर्शन लेने की बजाय अनुभवजन्य पद्धति के परिणाम का उपयोग किया गया है। सभी नमूनों के लिए निर्दिष्ट फजीकृत इनपुट और आउटपुट मान के अनुसार नियम तैयार किए गए हैं। उद्धाहरर्णाथः
IF (Turbidity is Satisfactory) AND (TDS is V.Good) AND (Chloride is V.Good) AND (Na% is Good) AND (Conductivity is Poor) AND (COD is V.Good) AND (BOD is V.Good) THEN (Water Quality is Good).
परिणाम और विश्लेषण
अनुभवजन्य मॉडल के दोनों मामलों (समान और असमान भारके साथ) के फजी मॉडल के माध्यम से प्राप्त परिणामों को चित्र 4 में दशार्या गया है। यह सभी परिणाम दर्शाते हैं कि फजी मॉडल से प्राप्त आउटपुट अनुभवजन्य मॉडल द्वारा प्राप्त आउटपुट के बहुत करीब हैं। अतः अधिकतर उपचारित जल को इसी वाटर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार अलग-अलग जरूरत के लिये व्यवहार में लाया जा सकता है। चित्र 4 में बने ग्राफ का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि अधिकतर नमूनों का वाटर क्वालिटी इंडेक्स 60 से 90 के बीच है जबकि कुछ नमूनों का WQI 50 से 60 के बीच है। अतः इस उपचारित जल को हम मवेशियों के नहलाने में प्रयोग कर सकते हैं अतः प्राप्त किए गए परिणामों के अनुसार हम वह उपचारित जल जिसका WQI 80 से 90 है उसे सिंचाई के लिये इस्तेमाल कर सकते हैं। वह जल जिसका WQI 70 से 80 है उसे घरों की क्यारियों में एंव धुलाई इत्यादि के कार्यो मे इस्तेमाल किया जा सकता है। वह जल जिसका WQI 60 से 70 के बीच है उसे भीषण जरूरतों के समय आवश्यकता अनुसार इस्तेमाल किया जा सकता है। एक सर्वे में यह भी कहा गया है कि पीने के जल की बहुत भीषण समस्या के समय वह जल जिसका WQI 80 से 90 के बीच मंहै उसे कपड़े से छानकर इस्तेमाल किया जा सकता है।
विकसित किये गये मॉडल की प्रमाणिकता की जांच के लिये भी कुछ विश्लेषण जैसे RSME-रुट मीन स्कवायर त्रुटि एंव सहसम्बन्ध गुणांक की गणना की जा सकती है।
अतः चित्र 5 व 6 में विकसित मॉडल एंव इम्पीरिकल मॉडल द्वारा प्राप्त WQI के मानों को समान भार एंव असमान भार के लिये दर्शाया गया है, चित्र में देखने से ज्ञात होता है कि असमान भार वाले परिणाम ज्यादा अच्छे हैं उनका RMSE भी कम है एंव सहसंबंध गुणांक भी अधिक है। जो तालिका 3 में दशार्या गया है।
मॉडल का प्रदर्शन रूट माध्य वर्ग त्रुटि के साथ सत्यापित किया गया है। तालिका 3 से पता चलता है कि असमान भार के साथ फजी मॉडल का रूट मीन स्क्वायर त्रुटि (RMSE) समान भार इनपुट डेटा के RMSE से कम है। चित्र 3 और 4 में असमान एवं समान वजन केदोनों मामलों के लिए सहसंबंध गुणांक (R2) दर्शाया गया है।
निष्कर्ष
फजी तकनीक से विकसित किये गये इस मॉडल के परिणामों द्वारा यह निष्कर्ष निकलता है कि आज के समय में जब साफ जल की समस्या एक भयानक रूप ले रही है तो ऐसेमें हमें दूषित जल को ट्रीटमेंट प्लांट के द्वारा उपचारित करके पीने के पानी के अलावा अन्य कार्यो में इस्तेमाल करना चाहिए। जैसे कि परिणामों से विदित है कि इस उपचारित जल के नमूनों की WQI अलग-अलग है, अतः हम इस जल के मुख्य पैरामीटर जिनकी मात्रा पानी में अधिक महत्व रखती है (जैसे COD, BOD, Turbidity etc) की वेल्यू उपचारित जल से test करा कर अलग-अलग सेम्पल के लिए एकत्रित करके WQI के अनुसार उन्हें एक मॉडल के द्वारा प्रत्येक पैरामीटर को उस के महत्व के अनुसार भार देकर उनका WQI प्राप्त करके इस जल का प्रयोग निश्चित कर सकते हैं। परिणाम से पता लगा है कि रूडकी के पास 7km की दूरी पर रतमउ नदी के किनारे लगे ट्रीटमेंट प्लांट से प्राप्त हुए उपचारित जल को सिंचाई, धुलाई एंव मवेशियों के लिये अच्छे से इस्तेमाल किया जा सकता है एवं पीने के जल की बहुत भीषण समस्या के समय वह जल जिसका WQI 80 से 90 के बीच में है, उसे कपड़े से छानकर इस्तेमाल किया जा सकता है।
References
• CSH (2012), The water and sanitation scenario in India metropolitan cities, Report of the working group of water management for domestic industrial and other uses, Ministry of Water Resources, New Delhi