रड़है गेहूँ कुसहै धान

Submitted by Hindi on Mon, 03/22/2010 - 12:19
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घाघ और भड्डरी

रड़है गेहूँ कुसहै धान। गड़रा की जड़ जड़हन जान।।
फुली घास रो देयँ किसान। वहिमें होय आन का तान।।


शब्दार्थ- रड़हैं- राँढ़ी नामक घास।

भवार्थ- यदि राढ़ी घास काट कर गेहूँ का खेत बनाया जाये, कुश काट कर धान की और गडरा नामक घास का जड़हन का खेत बनाया जाये तो पैदावार अच्छी होती है। लेकिन जिस खेत में फुलही घास पैदा होती हो उसमें किसी प्रकार के अन्न की पैदावार नहीं होगी और किसान रो देगा।