रेगिस्तान का पानी

Submitted by admin on Sat, 08/28/2010 - 10:30
Source
अमर उजाला, August 28, 2010

सोने-चांदी के गहनों और दूसरी कीमती चीजों को तो हर कोई बहुत संभालकर रखता है। मगर राजस्थान के बीकानेर जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर एक गांव ऐसा भी है, जहां पीने के पानी का भंडारण करने वाले तालाब पर सुरक्षा प्रहरी तैनात हैं। ऐसा इसलिए, ताकि ग्रामीण अपनी जरूरत के मुताबिक ही तालाब से पानी लेकर जाएं और उसका सदुपयोग हो। तकरीबन आठ हजार की आबादी वाले इस गांव की प्यास बुझाने के लिए यही एकमात्र तालाब है। जिले की श्रीकोलायत पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाले गांव खारी चारनाण में महीने भर से पेयजल का गंभीर संकट बना हुआ है। यहां जलप्रदाय विभाग की ओर से पांच जीएलआर और एक बड़ी डिग्गी बनाई गई है, जो कि पूरी तरह से सूखी पड़ी है। यहां से 20 किलोमीटर दूर स्थित चानी गांव से पानी आता है। इस गांव में 6,800 भेड़, बकरी, भैंस, गाय और ऊंट जैसे मवेशी भी हैं, जिनके लिए भारी मात्रा में पानी की जरूरत पड़ती है। जल संकट के इस भयावह दौर में इस गांव की पीड़ा समझी जा सकती है।

ग्राम पंचायत की सरपंच मूली देवी कुमावत बताती हैं कि गांव के सभी घरों को इस सार्वजनिक तालाब से पानी मिल सके, इसके लिए तालाब के चारों ओर चार पहरेदार तैनात किए गए हैं। यह जिम्मेदारी गांव के ही नत्थू खां, किशन लाल शर्मा, दुले खां और चूना राम कुम्हार निभा रहे हैं। तालाब के ये पहरेदार परिवार के सदस्यों की संख्या के अनुपात में गांव मे पानी का वितरण करते हैं। सरपंच बताती हैं कि पशुओं के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर गांव के सभी चौराहों पर पीने के पानी की व्यवस्था की गई है, जहां वे प्यास बुझाते हैं। श्रीकोलायत पंचायत समिति की प्रधान श्रीमती रामप्यारी बिश्नोई के मुताबिक, खारी चारनाण गांव में इस समय बेशक पीने के पानी का संकट है, लेकिन जल्द ही यह दूर हो जाएगा। बीएडीपी (बॉर्डर एरिया डेवलेपमेंट प्रोग्राम) योजना के तहत तीन सौ हैंडपंप स्वीकृत हुए हैं, जिनमें से सौ हैंडपंप लगाए जा चुके हैं।

बहरहाल, गांव के लोगों ने तालाब पर पहरा लगाकर पानी बचाया है, जो अच्छा प्रयास है। चारों ओर पहरा देने से तालाब का पानी अधिक समय तक बचा रहता है। साथ ही, गांव के लोगों को कम पानी में अधिक काम करने का अनुभव भी हो गया है, जिससे आपात स्थिति में मुश्किल नहीं आएगी। इस गांव के ही एक जागरूक युवक रामगोपाल कहते हैं कि पानी के संकट से निपटने के लिए पहरेदारी से बेहतर कोई समाधान नहीं था। इससे गांव में पानी का बचाव हुआ और इससे दूसरे गांव के लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी।