Jul 22, 12:18 amरेणुकूट (सोनभद्र) । एशिया के सबसे विशाल रिहंद डैम की जलग्रहण क्षमता दिन-ब-दिन सिमटती जा रही है। इस डैम की अधिकतम जल ग्रहण क्षमता 880 फीट है लेकिन वह अपने न्यूनतम जल स्तर 830 फीट के करीब पहुंच गया है। कहा जा रहा है कि प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ व कुछ हद तक बनी व्यवस्था का सही तरीके से निर्वहन न किए जाने से डैम की जलग्रहण क्षमता कम हो रही है। इसकी वजह से तीन सौ मेगावाट विद्युत उत्पादन की ईकाई प्रभावित हुई है।
रासायनिक अवशेषों व निचले स्तर पर हानिकारक घासों के उत्पन्न होने से 20 लाख का प्रतिवर्ष मछली का ठेका भी प्रभावित हुआ है। उच्च स्तरीय जांच कमेटी बैठक कर रिहंद बांध के हर मसले जैसे रिहंद बांध से लेकर उसके जल की गुणवक्ता तक का अध्ययन करती है लेकिन रासायनिक अवशेषों पर प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है। इतना ही नहीं केंद्रीय मृदा सामग्री एवं अनुसंधान केंद्र दिल्ली व रूड़की में जल संसाधन संगोष्ठी द्वारा रिहंद जलाशय के पानी को पीने योग्य न होने की रिपोर्ट दे चुके हैं। इसके अलावा जलाशय के खाली क्षेत्रों में लोगों का अवैध कब्जा, औद्योगिक प्रदूषण का प्रभाव गुणवक्ता को प्रभावित कर रहा है। इसकी वजह से बीजपुर, शक्तिनगर, विंध्यनगर, रेणुसागर, अनपरा, पिपरी, कनोरियास हिण्डाल्को व ओबरा से 12 सौ मेगावाट विद्युत उत्पादन पर ग्रहण लगने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
दस वर्षो का जल स्तर ..
वर्ष न्यूनतम अधिकतम
2000 841.10 873.01
2001 843.08 879.01
2002 834.20 865.90
2003 830.70 871.00
2004 830.70 847.30
2005 830.80 859.30
2006 830.60 862.30
2007 831.50 851.60
2008 835.40 860.30
नोट : 21 जुलाई को रिहंद जलाशय का जल स्तर 840.20 रहा। जबकि पिछले वर्ष इसी तारीख को 845.90 फीट जल स्तर रिकार्ड किया गया था।